न्यूक्लियर टेंशन हाई है! ट्रंप ने परमाणु पनडुब्बी घुमाई तो रूस ने 38 साल पुरानी परमाणु संधि तोड़ी

रूस का यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो परमाणु पनडुब्बियों को रूस के पास "उचित क्षेत्रों में तैनात करने" के आदेश के कुछ दिनों बाद आया है.

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  • ट्रंप रूस पर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने के लिए आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ वॉर का दबाव बढ़ा रहे हैं.
  • रूस ने 1987 की इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल संधि से खुद को औपचारिक रूप से अलग कर लिया है.
  • रूस ने पश्चिमी देशों की मिसाइल गतिविधी को सुरक्षा के लिए प्रत्यक्ष खतरा बताते हुए संधि से हटने का फैसला किया.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस पर इस बात का दबाव बढ़ा रहे हैं कि वह यूक्रेन के खिलाफ अपनी जंग खत्म कर दें. बात रूस पर आर्थिक प्रतिबंध और उसके सहयोगी देशों के खिलाफ टैरिफ वॉर से शुरू होकर न्यूक्लियर हथियारों के मूवमेंट तक आ गई है. इस बीच रूस ने बड़ी घोषणा करते हुए खुद को अमेरिका के साथ 1987 में किए गए एक परमाणु संधि,  इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल (INF) संधि से बाहर कर लिया है. यह संधि  छोटी और मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलों की तैनाती पर रोक लगाती है. मॉस्को ने अपनी सुरक्षा पर "प्रत्यक्ष खतरा" पैदा करने के लिए "पश्चिमी देशों की कार्रवाइयों" को जिम्मेदार ठहराया है.

रूस का यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो परमाणु पनडुब्बियों को रूस के पास "उचित क्षेत्रों में तैनात करने" के आदेश के कुछ दिनों बाद आया है. रूस के विदेश मंत्रालय ने कहा कि सोवियत काल में हुई इस संधि का पालन करने की शर्तें "गायब" हो गई हैं और मॉस्को अब अपने पिछले स्वयं लगाए गए प्रतिबंधों का पालन नहीं कर रहा है.

आरटी की रिपोर्ट के अनुसार, रूसी विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, "पश्चिम की ओर से अस्थिर करने वाली मिसाइल क्षमता का निर्माण हमारे देश की सुरक्षा के लिए सीधा खतरा पैदा करता है."

इसके रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने छोटी और मध्यम दूरी की परमाणु मिसाइलों पर रोक को खत्म करने के लिए नाटो देशों को दोषी ठहराया और कहा कि मॉस्को प्रतिक्रिया में आगे कदम उठाएगा. मेदवेदेव और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सोशल मीडिया पर अलग जंग चल रही है. मेदवेदेव ने कहा: "यह एक नई वास्तविकता है जिसे हमारे सभी विरोधियों को स्वीकार करना होगा. आगे के कदमों की उम्मीद करें."

मेदवेदेव अभी रूस की शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के उप प्रमुख हैं. आगे के कदमों से उनका क्या मतलब है, उन्होंने यह विस्तार से नहीं बताया.

गौरतलब है कि अमेरिका 2019 में ही इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल (INF) संधि से हट गया था. उसने रूस पर संधि का पालन नहीं करने का आरोप लगाया था. रूस ने तब से कहा है कि वह अपनी तरफ से ऐसे हथियार तैनात नहीं करेगा, बशर्ते वाशिंगटन ऐसा न करे. हालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने पिछले दिसंबर में संकेत दिया था कि मॉस्को को रणनीतिक क्षेत्र में अमेरिका और नाटो द्वारा "अस्थिर करने वाली कार्रवाइयों" का जवाब देना होगा.

अब रूस के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, "चूंकि यूरोप और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका निर्मित भूमि-आधारित मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों की वास्तविक तैनाती की दिशा में स्थिति विकसित हो रही है, रूसी विदेश मंत्रालय ने नोट किया है कि समान हथियारों की तैनाती पर एकतरफा रोक बनाए रखने की शर्तें गायब हो गई हैं."

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INF संधि क्या है?

सोवियत रूस के नेता मिखाइल गोर्बाचेव और अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने 1987 में INF संधि पर साइन किया था. इस संधि के तहत परमाणु हथियारों के रूप में एक पूरी श्रेणी - 500 से 5,500 किलोमीटर (311 से 3,418 मील) की रेंज वाली जमीन से लॉन्च की जाने वाली मिसाइलों को बैन किया गया था.

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