बांग्लादेश इन दिनों नौकरियों में आरक्षण को लेकर भड़की हिंसा से जूझ रहा है. अभी तक अलग-अलग जगहों पर हुई हिंसा में 6 लोगों की मौत की खबर है. मरने वालों में 3 छात्र भी शामिल हैं. स्थिति किस कदर बिगड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बांग्लादेश में फिलहाल कई शिक्षण संस्थानों को अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है. बांग्लादेश में हिंसा की सबसे बड़ी वजह यूनिवर्सिटी के छात्रों की वो मांग है जिसके तहत ये छात्र 1971 के मुक्ति युद्ध में लड़ने वाले सैनिकों के बच्चों के लिए सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहे हैं. आपको बता दें कि बांग्लादेश में 1971 में पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ने वालों को वॉर हीरो कहकर बुलाया जाता है. यहां फिलहाल एक तिहाई सरकारी नौकरियां इन वॉर हीरो के बच्चों के लिए आरक्षित हैं.
ऐसे भड़की हिंसा
बांग्लादेश में इस सप्ताह के शुरू में राजधानी ढाका समेत देश के कई शहरों में एक साथ नौकरियों में आरक्षण देने का मामला हिंसक रूप लेने लगा. ये हिंसा खासतौर पर छात्रों के दो गुटों में फैला. पहला गुट नौकरियों में वॉर हीरो के परिवार के युवाओं को आरक्षण देने की मांग कर रहा था वहीं दूसरा गुट इसके विरोध में था.
फैली हिंसा के दौरान छात्रों के दोनों गुटों ने एक दूसरे पर पत्थर और लाठी से हमला किया था. इस हमले सैंकड़ों लोगों के घायल होने की खबर है. आपको बता दें 2018 में विरोध प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना सरकार ने आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया था. लेकिन इसी साल जून की शुरुआत में ढाका हाईकोर्ट ने अधिकारियों को आरक्षण व्यवस्था फिर से लागू करने का आदेश दिया था. इस आदेश के बाद ही फिर से बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया.
पीएम के बयान से नाराज हैं छात्र
कहा जा रहा है कि नौकरियों में आरक्षण देने को लेकर पीएम शेख हसीना के हालिया बयान से काफी छात्र नराज हैं. उनका कहना है कि पीएम हसीना ने आरक्षण का विरोध करने वालों के लिए जिस शब्द का इस्तेमाल किया है वह सही नहीं है. उनका कहना है इस शब्द का कथित तौर पर उन लोगों के लिए किया जाता है जिन्होंने 1971 युद्ध में पाकिस्तानी सेना का साथ दिया था. लेकिन किसी देश का नागरिक होकर भी अपने लिए ऐसे शब्दों का सुनना कहीं से भी सही नहीं है. हम उनके इस बयान और खास तौर पर उस शब्द का विरोध करते हैं.
बांग्लादेश में ये है आरक्षण सिस्टम
बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में सबसे ज्यादा (30 फीसदी) आरक्षण 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के आरक्षित की गई है. बांग्लादेश में सरकारी नौकरी में मिलने वाले कुल आरक्षण की बात करें तो वो 56 फीसदी है. स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के अलावा महिलाओं को 10 फीसदी, अविकसित जिले के लोगों के लिए 10 फीसदी और स्वदेशी समुदाय को 5 फीसदी और विकलांगों को 1 फीसदी का आरक्षण मिलता है.