करीब 8 महीने पहले पड़ोसी देश मालदीव (Maldives) ने भारत को अकड़ दिखाई थी. चीन के प्यार और मोह में पड़कर राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (Mohamed Muizzu) ने एंटी इंडिया कैंपेन (Anti India Campaign) चलाया था. उन्होंने भारत को अपने सैनिक मालदीव से वापस बुलाने को कहा था. पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते में बढ़ी तल्खियों के बीच भारत ने अपने सैनिक मालदीव से वापस बुला लिए थे. भारतीय सेलिब्रेटीज के मालदीव बॉयकॉट के बाद इस देश को तगड़ा आर्थिक झटका लगा है, जिसके बाद ये देश बैकफुट पर आ गया है. अब मुइज्जू मदद के लिए भारत के मंत्री के चक्कर काट रहे हैं. पहले मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला खलील ने भारत का दौरा किया और मदद मांगी. अब वहां के रक्षा मंत्री भारत आए हैं.
मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून बुधवार (8 जनवरी) को नई दिल्ली पहुंचे और 10 जनवरी तक भारत में रहेंगे. आज उनकी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) के साथ मुलाकात हुई. इस दौरान मोहम्मद घासन मौमून ने राजनाथ सिंह से हिंद महासागर में सहयोग की अपील की है.
आइए समझते हैं चीन के करीबी मुइज्जू को आखिर भारत की याद आई? अकड़ दिखाने वाला मालदीव कैसे घुटनों पर आया:-
पहले जानिए, राजनाथ सिंह से घासन मौमून की क्या हुई बात?
-रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हिंद महासागर में मालदीव के साथ रक्षा संबंध बढ़ाने के लिए भारत की तत्परता की बात कही.
दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता व्यापक थी.
-वहीं, भारत-मालदीव के व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के संयुक्त दृष्टिकोण को साकार करने के लिए भी दोनों नेताओं से सहमति जताई.
-रक्षा मंत्रालय ने कहा, "मालदीव में अपने समकक्ष घासन मौमून से बातचीत के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-मालदीव व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी के संयुक्त दृष्टिकोण को साकार करने के लिए मिलकर काम करने की दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराई."
राजनाथ सिंह ने मालदीव की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में उसका समर्थन करने की भारत की इच्छा को रेखांकित किया. उन्होंने मालदीव की सुरक्षा तैयारियों को बढ़ाने के लिए रक्षा मंच और सैन्य संपत्तियां उपलब्ध कराने की भारत की तत्परता से भी अवगत कराया.
-उन्होंने भारत की नेबर फर्स्ट पॉलिसी और सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) के दृष्टिकोण के अनुरूप भी मालदीव को समर्थन की पुष्टि की. इसके तहत मालदीव की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए रक्षा प्लेटफार्मों और परिसंपत्तियों का प्रावधान शामिल है.
मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने अपने देश में भारत की यूपीआई सर्विस शुरू करने का किया फैसला
-मालदीव के रक्षा मंत्री मौमून ने मालदीव के लिए 'प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता' के रूप में भारत की ऐतिहासिक भूमिका की सराहना की. उन्होंने रक्षा और सुरक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण और आधुनिक अवसंरचना क्षमताओं को बढ़ाने में माले की सहायता के लिए नई दिल्ली को धन्यवाद दिया.
कैसे बिगड़े मालदीव-भारत के रिश्ते?
भारत और मालदीव के बीच जातीय, भाषाई, सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यावसायिक संबंध प्राचीन काल से हैं. लेकिन 2023 में जब चीनी समर्थक मोहम्मद मुइज्जू राष्ट्रपति बने, तब से दोनों देशों के रिश्तें में दूरियां आने लगीं. 9 सितंबर 2023 को मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में चीनी समर्थक मोहम्मद मोइज्जू की जीत हुई. सत्ता में आते ही उन्होंने अपने पहले ही बयान में मालदीव से भारतीय सेना को हटाने का वादा दोहराया. जिसके बाद संकेत मिल गए कि चीन के समर्थक मुइज्जू भारत से दोस्ती खराब करेंगे.
चीन की पहली आधिकारिक यात्रा कर चौंकाया
मुइज्जू ने 7 जनवरी 2024 को एक बार फिर चौंकाया. उन्होंने बतौर राष्ट्रपति पहली बार चीन का आधिकारिक दौरा किया. जबकि अघोषित परंपरा के मुताबिक, मालदीव के राष्ट्रपति पहली आधिकारिक यात्रा के तौर पर भारत आते रहे हैं. इस बीच मालदीव के मंत्रियों ने PM मोदी पर टिप्पणी की, जिससे विवाद खड़ा हो गया.
PM मोदी के लक्षद्वीप दौरे की तस्वीरों पर किए थे कमेंट
PM मोदी ने 4 जनवरी 2024 को लक्षद्वीप के दौरे की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की थी. उन्होंने भारतीयों को लक्षद्वीप आने को कहा था. PM के इस पोस्ट पर मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू के 3 मंत्रियों ने आपत्तिजनक कमेंट किए. उन्होंने लक्षद्वीप को लेकर भी आपत्तिजनक बातें कीं. इससे मामला बिगड़ा. भारतीयों और बॉलीवुड स्टार, सेलिब्रेटीज ने खुलकर मालदीव का विरोध करना शुरू कर दिया. कई फिल्म स्टार्स मालदीव वेकेशन कैंसिल करके लक्षद्वीप में छुट्टियां बीतने आ गए. मालदीव बॉयकॉट से वहां की इकोनॉमी पर बुरा असर हुआ.
मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने आर्थिक सहायता के लिए भारत का जताया आभार
फिर सुनाया भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने का फरमान
इसके बाद फरवरी के पहले हफ्ते में मुइज्जू ने मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों को देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया. दरअसल, भारत ने मेडिकल इवैकुएशन और हिंद महासागर में समुद्री निगरानी में मदद के लिए मालदीव को 3 हेलिकॉप्टर और एक डोर्नियर प्लेन डोनेट किया है. मालदीव में इनके मेंटेनेंस के लिए 75 भारतीय सैनिक तैनात थे. दोनों देशों के रिश्तों में आई खटास के बाद भारत ने इन्हें 2 फेज में वापस बुला लिया.
फिर घुटनों पर कैसे आया मालदीव?
दरअसल, 5 लाख की आबादी वाले मालदीव की इकोनॉकी टूरिज्म पर निर्भर करती है. यहां 70% नौकरियां टूरिज्म सेक्टर से पैदा होती हैं. इसमें 14% से 20% इनकम भारत से होती है. मालदीव में हर साल करीब 20 लाख लोग घूमने जाते हैं. इनमें भारत से जाने वाले टूरिस्ट की संख्या सबसे ज्यादा रहती है.
अक्टूबर 2024 में मुइज्जू ने की भारत की यात्रा
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी अपने पड़ोसी देश भारत की अहमियत बखूबी समझ चुके हैं. शायद इसलिए अक्टूबर 2024 में उन्होंने रिश्तों में आई दरार को भरने की कोशिश की थी. तब मुइज्जू अपनी पत्नी के साथ 5 दिनों की स्टेट विजिट पर आए थे.
भारत यात्रा से पहले उन्होंने X पर लिखा- "हमेशा मालदीव की मदद करने के लिए मैं भारत सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद करता हूं."
भारत ने मालदीव को दी 40 करोड़ डॉलर की सहायता, द्विपक्षीय बातचीत में इन अहम मुद्दों पर बनी सहमति
भारत ने कब-कब की मालदीव की मदद
-भारत हर मुश्किल घड़ी में अपने पड़ोसी के साथ खड़ा रहा है. 3 नवंबर 1988 को मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम भारत दौरे पर आ रहे थे. इसी दौरान तमिल विद्रोही संगठन पीपुल्स लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) की मदद से वहां के कुछ लोगों ने बगावत कर दी थी.
-लिट्टे ने सरकारी इमारतों पर कब्जा कर लिया था. जिसके बाद मालदीव के राष्ट्रपति गयूम सेफ ने तुरंत भारत के प्रधानमंत्री राजीव गांधी से मदद मांगी. राजीव गांधी ने मालदीव की सरकार को बचाने के लिए सेना भेजी थी. इसे 'ऑपरेशन कैक्टस' नाम दिया गया था.
भारत हमेशा हमारे साथ खड़ा रहा : एस जयशंकर से बोले मालदीव के विदेश मंत्री
- इसके बाद 26 दिसंबर 2004 को मालदीव में आई सुनामी के बाद पीने के पानी का संकट था. भारत ने तब भी मदद की थी. भारत दुनिया का पहला देश था, जिसने प्लेन से रसद माले पहुंचाया था.
-जुलाई 2007 में आए तूफान से मालदीव को बड़ा धक्का लगा था. तब भी भारत ने आगे बढ़कर अपने पड़ोसी के आंसू पोंछे थे.
-कोरोना महामारी के दौरान वहां टूरिज्म ठप हो गया था. इकोनॉमी बैठ गई थी. तब तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलेह की गुजारिश पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उस देश की आर्थिक मदद की थी.
मालदीव में 28 द्वीपों पर पानी और सीवरेज के प्रोजक्ट पूरे किए हैं. 6 और द्वीपों पर भी काम चल रहा है. ये प्रोजक्ट 30 हजार लोगों को साफ पानी पीने की सुविधा देंगे.
मालदीव की खाली झोली को कितना भरेगा भारत, कितना बदले हैं राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के सुर