भारत-आसियान संबंधों की 2022 में 30वीं वर्षगांठ मनाने के लिए मंगलवार को कंबोडिया के शहर सिएम रीप में पहली भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई, जिसे 'आसियान-भारत मैत्री वर्ष' के रूप में भी नामित किया गया है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और कंबोडिया के उपप्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री जनरल टी बान्ह ने बैठक की संयुक्त रूप से अध्यक्षता की. यह बैठक बुधवार को होने वाली नौवीं आसियान-डिफेंस मिनिस्टर्स मीडिंग (एडीएमएम) प्लस से पहले हुई.
रक्षा मंत्री ने आसियान देशों के साथ भारत के ऐतिहासिक और मजबूत संबंधों पर प्रकाश डाला. भारत-आसियान संबंध हाल ही में 12 नवंबर 2022 को कंबोडिया में आयोजित आसियान-भारत शिखर सम्मेलन के दौरान व्यापक रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ गए.
राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में आसियान की विशेष भूमिका भारत की 'एक्ट ईस्ट पोलिसी' की आधारशिला है. भारत-आसियान रक्षा मंत्रियों की इस पहली बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने भारत-आसियान रक्षा संबंधों के दायरे को बढ़ाने तथा इन्हें और मजबूत करने के लिए दो प्रमुख पहलों का प्रस्ताव दिया.
रक्षा मंत्री द्वारा प्रस्तावित पहलों में से एक 'संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना' अभियानों में महिलाओं के लिए भारत-आसियान पहल' थी, जिसमें भारत में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र में आसियान सदस्य देशों की महिला शांति रक्षकों के लिए तैयार पाठ्यक्रम संचालित करना और संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना चुनौतियों के पहलुओं को शामिल करते हुए आसियान की महिला अधिकारियों के लिए भारत में 'टेबल टॉप अक्सरसाइज' का संचालन शामिल है. रक्षा मंत्री ने स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए शांति मिशनों में महिला अधिकारियों के महत्व पर प्रकाश डाला.
राजनाथ सिंह द्वारा घोषित दूसरी पहल 'समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण पर भारत-आसियान पहल' थी, जिसमें समुद्री प्रदूषण के महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान करने की दिशा में युवाओं की ऊर्जा का उपयोग करना शामिल है. राजनाथ सिंह ने आसियान के सदस्यों को भारतीय समुद्र तटों की सफाई और भारतीय तटीय समुदाय में प्लास्टिक प्रदूषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एनसीसी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्यों की जानकारी दी. उन्होंने क्षेत्र में इस दिशा में सामूहिक प्रयास के लिए एनसीसी और आसियान देशों के समकक्ष युवा संगठनों के बीच समन्वय का सुझाव दिया.
दोनों पहलों को आसियान रक्षा नेतृत्व द्वारा बहुत गर्मजोशी से स्वीकार किया गया, जिन्होंने सर्वसम्मति से और दृढ़ता से इसकी व्यावहारिकता और प्रासंगिकता का समर्थन किया. आसियान के रक्षा मंत्रियों ने क्षेत्र में भारत द्वारा निभाई गई सकारात्मक भूमिका को भी स्वीकार किया.
रक्षा मंत्री ने स्वतंत्र, खुले, समावेशी और नियम आधारित हिंद-प्रशांत के लिए भारत के निरंतर समर्थन से भी अवगत कराया और क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के लिए भारत और आसियान को मिलकर काम करने की आवश्यकता का भी सुझाव दिया. उन्होंने अगले वर्ष मई में आयोजित होने वाले पहले भारत-आसियान समुद्री अभ्यास के लिए आसियान के समर्थन के प्रति संतोष व्यक्त किया. अंत में, फोरम ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भारत-आसियान संबंधों के महत्व को मान्यता दी.