QUAD देशों के विदेश मंत्रियों की चौथी बैठक में हिंद-प्रशांत महासागर को और मुक्त और खुला बनाने के प्रयास तेज़ करने पर सहमति बनी है. यह चीन को सीधा संदेश है कि इलाके में उसकी दादागिरी की कोशिशों को बढ़ने नहीं दिया जाएगा. QUAD देशों, आस्ट्रेलिया (Australia),भारत (India) जापान (Japan) और अमेरिका (US) के विदेश मंत्रियों की ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न (Melbourne) में हुई मुलाकात में अमेरिका की तरफ से इस क्षेत्र के हितों, उनके लोगों और विकास के लिए प्रतिबद्धता दोहराई गई. चीन QUAD को एशिया के NATO की तरह देखता है लेकिन QUAD के मूल उद्देश्य NATO से बहुत अलग हैं. इसमें कोरोना महामारी के बाद संकट में आई सप्लाई चेन को सुरक्षित रखने पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है.
इस बैठक में अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन(Antony Blinken) , भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar), ऑस्ट्रेलिया की विदेश मंत्री मरीस पायने (MarisePayne) , और जापान के विदेश मंत्री हयाशी योशिमासा (Hayashi Yoshimasa) शामिल हुए.
QUAD देशों के विदेश मंत्रियों की मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कहा गया कि क्वाड के तौर पर काम करते हुए हम क्षेत्र में और प्रभावी तरीके से व्यवहारिक सहयोग देने को तैयार हैं. साथ ही कहा गया कि ASEAN केंद्रित एकता के हम समर्थक हैं और हम ASEAN की अगुवाई का समर्थन करते हैं. हम हिंद-प्रशांत को लेकर अपने ASEAN सहयोगियों का के नज़रिए का समर्थन करना जारी रखेंगे.
आगे कहा गया, "हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिरता और विकास को ध्यान में रखते हुए इलाके के आर्थिक और राजनैतिक भविष्य पर काम किया जाएगा. हम उप-क्षेत्रीय तंत्र और संस्थाओं को समझते हैं जिसमें मेकोंग उप-क्षेत्र भी शामिल है. हम 2022 में ASEAN के अध्यक्ष के तौर पर कंबोडिया का समर्थन करना जारी रखेंगे."
अमेरिका और QUAD के लिए ASEAN का महत्व
ASEAN हिंद-प्रशांत क्षेत्र के 10 देशों में अहम संगठन है जिसमें ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलिपीन्स, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं.
ANI के हवाले से कुछ दिन पहले ही खबर आई थी कि चीन ने कंबोडिया में एक बड़ा नौसेना का ठिकाना बना लिया है और इससे भूराजनैतिक तनाव पैदा हो गया था. चीन ने कंबोडिया के रीम नेवल बेस (Ream naval base) के आसपास के समुद्र को गहरा करना शुरु कर दिया था. फिलहाल यहां के उथले पानी में केवल छोटी पेट्रोलिंग नौकाएं ही आ-जा सकती हैं.
जब अमेरिका यूक्रेन के मुद्दे पर रूस से उलझा हुआ थो तो उधर चीन लागातार आसियान देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा. उधर द आसियान पोस्ट के मुताबिक ASEAN-China डायलॉग और संबंधों की 30वीं वर्षगांठ पर जनवरी के दूसरे हफ्ते में ASEAN और चीन की एक कांफ्रेंस हुई जिसमें 1 जनवरी 2022 को रीजनल कांप्रिहेंसिव इकॉनमिक पार्टनरशिप (RCEP) के लागू होने की बात पर जोर दिया गया. इसे दुनिया की सबसे बड़ी ट्रेड डील कहा जा रहा है. कहा गया कि इस डील से ASEAN के चीन, जापान, साउथ कोरिया, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापारिक संबंध बढ़ेंगे. इस मौके पर पहली बार ASEAN-China के ऑनलाइन इंफ्लूएंसर्स की कांफ्रेंस हुई और इसमें "समुद्री सिल्क रोड" में टूर कराने पर चर्चा हुई."
NPR न्यूज़ के मुताबिक ऐसे समय में जब यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच संकट बना हुआ है, अमेरिका QUAD के ज़रिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र को यह संदेश देना चाहता है कि अभी भी उसका ध्यान अपने प्रमुख प्रतिद्वंधी से हटा नहीं है और हिंद प्रशांत के देशों को यह भरोसा रहना चाहिए कि अमेरिका अभी भी उनके साथ खड़ा है.