- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकना आसान समझा था लेकिन पुतिन ने उन्हें निराश किया है
- ट्रंप ने कहा कि अगर वे उस समय राष्ट्रपति होते तो रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं होता और यह चार साल तक जारी न रहता
- ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टार्मर ने पुतिन की आलोचना करते हुए उनकी हालिया सैन्य कार्रवाई को शांति विरोधी बताया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकना बहुत आसान समझ रहे थे. पुतिन से मिलने के बाद उन्हें लग रहा था कि इसे आसानी से खत्म किया जा सकेगा. लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ.ब्रिटेन दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि युद्ध को रोकना मुश्किल है. पुतिन ने इसे रोकने की प्रक्रिया में उन्हें निराश किया है.साथ ही ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी पुतिन की आलोचना की.
ट्रंप ने माना कि रूस-यूक्रेन युद्ध रोकना आसान नहीं
अलास्का में पुतिन और ट्रंप के बीच शिखर सम्मेलन के बावजूद शांति समझौता नहीं हो सका. ट्रंप ने कहा, "मुझे लगा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध को रोकना सबसे आसान है, लेकिन पुतिन ने मुझे निराश किया है. मुझे लगा था कि यह सबसे आसान हो सकता है. जैसा कि आप जानते हैं, हम इजरायल और गाजा के समाधान के लिए काम कर रहे हैं, हम कई संघर्षों को सुलझाने के लिए काम कर रहे हैं, हम इजरायल-गाजा को सुलझा लेंगे, इसी तरह, रूस और यूक्रेन को भी सुलझा लेंगे, लेकिन युद्ध में क्या होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता."
उन्होंने आगे कहा, "अगर उस समय मैं राष्ट्रपति होता, तो ऐसा कभी नहीं होता, और यह चार साल तक नहीं हुआ. ज्यादातर लोग इस बात से सहमत हैं."
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने पुतिन की आलोचना की
स्टार्मर ने कहा, "हाल के दिनों में, पुतिन ने युद्ध शुरू होने के बाद से सबसे बड़ा हमला करके अपना असली चेहरा दिखाया है, जिसमें और भी ज्यादा खून-खराबा हुआ है, और भी ज्यादा निर्दोष मारे गए हैं, और नाटो के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन हुआ है. ये किसी ऐसे व्यक्ति की हरकतें नहीं हैं जो शांति चाहता हो. इसलिए हमने आज इस बात पर चर्चा की है कि हम यूक्रेन का और समर्थन करने के लिए अपनी सुरक्षा व्यवस्था कैसे मजबूत कर सकते हैं और पुतिन पर दबाव बढ़ाकर उन्हें एक स्थायी शांति समझौते के लिए राजी कर सकते हैं."
दोनों नेताओं ने तकनीकी निवेश पर एक बड़े समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके बारे में अधिकारियों का कहना है कि इससे हजारों नौकरियां पैदा होंगी और एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग और परमाणु ऊर्जा में अरबों डॉलर का निवेश होगा. स्टार्मर ने इस समझौते को "अभूतपूर्व" करार देते हुए कहा कि यह ब्रिटिश इतिहास का सबसे बड़ा निवेश पैकेज है.