
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार की अप्रूवल रेटिंग (Approval Rating) महामारी (Pandemic) की शुरुआत के बाद बढ़कर सबसे अधिक हो गई है. हालांकि जरूरी चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर चिंताएं भी बरकरार हैं. ब्लूमबर्ग के अनुसार, सोमवार को जारी हुए एक सर्वे की रिपोर्ट में यह कहा गया है. लोकल-सर्कल (LocalCircles) के सर्वे के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में उम्मीद से बढ़कर काम किया. 64,000 में से 67% लोगों ने यह माना कि दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री मोदी का प्रदर्शन उम्मीद से अधिक रहा.
कोविड19 महामारी (Covid19 Pandemic) के कारण आई दूसरी लहर के दौरान केवल 51% लोगों ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया. उस दौरान अस्पताल में संक्रमितों और शहदाहगृहों में मृतकों की बाढ़ सी आ गई थी. महामारी के शुरुआती दौर में 2020 में जबकि 62% लोगों का यह कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी ने उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन किया. ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी की अप्रूवल रेटिंग में अब 2022 में ज़बरदस्त उछाल देखने को मिला है.
जिन लोगों का सर्वे किया गया उन्होंने कहा कि सरकार कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार थी और सरकार ने अर्थव्यवस्था पर इसके असर का प्रबंधन भी प्रभावी तरीके से किया है. हालांकि साल की शुरुआथ से ही बेरोज़गारी चिंता का विषय है. मतदान में शामिल हुए 47% लोगों का यह कहना था कि सरकार बेरोज़गारी के मुद्दे को हल करने में कामयाब नहीं हो पाई है.
लेकिन बेरोजगारी से निपटने में सरकार में विश्वास जताने वालों में बढ़ोतरी हुई है. इस मामले में सरकार की अप्रूवल रेटिंग 2020 में 29% थी. 2021 में 27% और अब यह बढ़कर 37% हो गई है. 2020 और 2021 में लॉकडाउन के कारण प्रवासी कर्मचारियों को शहरों में अपनी नौकरी गंवानी पड़ी थी लेकिन एक ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम ने मदद की थी.
मोदी सरकार की अप्रूवल रेटिंग ऐसे समय बढ़ रही है जब देश में खुदरा महंगाई आठ साल के चरम स्तर पर है. एक राजनैतिक तौर पर संवेदनशील मुद्दा भी है , जिसके कारण नरेंद्र मोदी सरकार को गेहूं, चीनी जैसे उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा और मंहगाई बढ़ने से रोकने का प्रयास करना पड़ा.
इस सर्वे में भी यह मुद्दा देखने को मिला, जिसमें 73% भारतीयों ने कहा कि ज़रूरी चीजों की कीमतों में और रोजमर्रा का जीवन जीने की कीमत पिछले तीन साल से कम नहीं हुई है. 2024 में तीसरा कार्यकाल जीतने पर विचार कर रहे नरेंद्र मोदी के लिए यह जटिल मुद्दा बन सकता है.
ये हैं 30 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के आठ साल पूरे होने पर आए सर्वे के अन्य अहम बिंदु:-
- 73% ने कहा कि वो अपने और अपने परिवार के भविष्य को लेकर आशावान हैं.
- 44% ने कहा कि सरकार ने हवा की गुणवत्ता सुधारने और प्रदूषण कम करने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए.
- 60% ने कहा कि सरकार सामुदायिक सद्भाव सुधारने में कामयाब रही है और 33% ने इससे इंकार किया है.
- 50% से अधिक ने कहा कि भारत में व्यापार करना पहने से आसान हो गया है.