प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की से फोन पर बात की और रूसी सेना से जूझ रहे पूर्वी यूरोपीय देश में परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा पर चिंता जताई. दोनों नेताओं ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा आंशिक लामबंदी की घोषणा के लगभग दो सप्ताह बाद बात की. पीएम ने कहा कि युद्धग्रस्त रूस-यूक्रेन के बीच किसी भी तरह के शांति प्रयासों में योगदान के लिए भारत तैयार है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक बयान में कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शत्रुता को जल्दी समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के मार्ग को आगे बढ़ाने की आवश्यकता के लिए अपने आह्वान को दोहराया. उन्होंने अपना दृढ़ विश्वास व्यक्त किया कि संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है. वहीं शांति प्रयास और योगदान के लिए भारत की तत्परता से अवगत कराया."
दोनों नेताओं ने यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे टकराव के बारे में चर्चा की. प्रधानमंत्री ने दोहराया कि वहां टकराव जल्द समाप्त होना चाहिए और बातचीत तथा राजनयिक तरीके से विवाद का समाधान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि टकराव का सैन्य समाधान नहीं हो सकता और भारत दोनों देशों के बीच किसी भी तरह के शांति प्रयासों में योगदान के लिए तैयार है.
प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर , अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और सभी देशों की संप्रभुता तथा प्रादेशिक अखंडता का सम्मान किये जाने पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन सहित सभी जगहों के परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा को अत्यंत महत्वपूर्ण मानता है. उन्होंने कहा कि इन प्रतिष्ठानों को खतरे के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं.