Parsi New Year 2022: भारत में कहां से आए पारसी? कैसे पड़ा नाम?

पारसी (Parsi) नाम का अर्थ है पर्शिया (Persia) या कहें कि ईरान (Iran) से आया हुआ. यह लोग मुस्लिम आक्रमणकारियों से अपना धर्म बचाने के लिए भारत पहुंचे.

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Parsi समुदाय सैकड़ों साल पहले फारस की खाड़ी के होर्मूज़ इलाके में रहता था (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Parsi New Year 2022: गूगल (Google) पर आज पारसी नववर्ष या कहें कि नवरोज (Navroz) ट्रेंड कर रहा है. भारत का अल्पसंख्यक पारसी समुदाय अपने कैलेंडर के अनुसार आज 16 अगस्त को अपना नया साल मना रहा है. भारत और दुनिया भर में घटती पारसी समुदाय की जनसंख्या चिंता का विषय है. 2016 में आई बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 61,000 पारसी हैं जबकि 40,000 बाकी दुनिया में फैले हुए हैं. करीब 12 सदी पहले भारत के संजन तट पर पारसियों से भरा जहाज पहुंचा जो पर्शिया यानि आज के ईरान पर अरब शासन के कब्जे के बाद बचते -बचाते भारत पहुंचा था ताकि वो अपनी 3000 साल पुरानी जोराष्ट्रियन मान्यताओं को बचाए रख सकें.  

ब्रिटैनिका एनसाइक्लोपीडिया के अनुसार, पारसी भारत में ईरान के धर्मगुरू जोराष्टर  (Zoroaster) के अनुयायी हैं. पारसी नाम का अर्थ है पर्शिया से आया हुआ. यह लोग मुस्लिम आक्रमणकारियों से अपना धर्म बचाने के लिए भारत पहुंचे. भारत में मुख्य तौर से मुंबई में पारसी रहते हैं. पाकिस्तान के कराची में भी कुछ पारसी रहते हैं. वहीं भारतीय राज्य कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू में भी पारसी मिल जाएंगे. हिंदु धर्म की तरह पारसी धर्म में कोई जाति नहीं होती.   

पारसी किस दिन भारत आए यह साफ नहीं है लेकिन पारसी परंपरा के अनुसार, पारसी पहले फारस की खाड़ी ( Persian Gulf) के होर्मूज़ (Hormuz) में बसे थे.  लेकिन फिर अपने उपर बढ़ते आक्रमण देख वो 8वीं शताब्दी में भारत पहुंचे. 10वीं शताब्दी के आखिर तक पारसियों का ईरान से भारत आना जारी रहा. पहले वो दिऊ के काठीयावाड़ में रहने लगे फिर जल्द ही गुजरात और मुंबई बसने लगे.   

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