दुनिया तेजी से बदल रही है. पावर बैलेंस का नया दौर शुरू हो चुका है. इसका असर फ्रांस में चल रहे एआई एक्शन समिट में भी दिख रहा है. यहां अमेरिका ने चीन को जमकर सुना दिया. साथ ही यूरोपीय संघ में शामिल अपने दोस्तों को भी उससे सतर्क रहने की सलाह दे डाली. इस समिट में अमेरिका ने एक तरह से जता दिया कि एआई के क्षेत्र में भी "बॉस" तो वही है.
AI पर अत्यधिक रेगुलेशंस के खिलाफ US
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी जेडी वेन्स (US Vice President JD Vance) ने सोमवार को टेक्नोलॉजी पर चल रहे पेरिस शिखर सम्मेलन (Paris Summit) में सभी देशों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर अत्यधिक रेगुलेशंस लगाने के विचार पर चेतावनी दी. उन्होंने यूरोपीय सहयोगियों और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के मामले में सरकारी पकड़ मजबूत करने पर चेतावनी दी.
टेक दिग्गजों पर भी पड़ रहा बोझ
जेडी वेन्स ने फ्रांस की राजधानी के ग्रैंड पैलेस में दुनिया भर से जुटे नेताओं और तकनीकी उद्योग प्रमुखों से कहा, "एआई क्षेत्र पर अत्यधिक रेगुलेशंस इस क्षेत्र को खत्म कर सकता है." उन्होंने यूरोपीय संघ के डिजिटल सर्विस एक्ट के जरिए गलत सूचनाओं वाले कंटेंट पर अंकुश लगाने की आलोचना की. उन्होंने कहा कि इसने अमेरिकी टेक दिग्गजों पर भी अनुचित बोझ डाला है.
चीन की तानाशाही पर भी हमला
वेन्स ने चीन में तानाशाही पर भी हमला किया. उन्होंने कहा कि कुछ देश अपने देश के नागरिकों और विदेशी सरकारों पर नियंत्रण बढ़ाने के लिए एआई का उपयोग करना चाह रहे हैं. वेंस ने कहा, "ऐसे देशों के साथ साझेदारी करने का मतलब है अपने देश को एक तानाशाह की जंजीर में जकड़ना, जो आपके सूचना ढांचे पर घुसपैठ कर कब्जा करना चाहता है."
सस्ता सामान क्यों? ये बताया
अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने चीन के सस्ते सामानों पर भी निशाना साधा. जेडी वेन्स ने कहा कि कुछ देश अपना सामान बेचने के लिए सस्ता सामान बेचते हैं, मगर इसके जरिए वो आपकी सूचना एकत्रित कर लेते हैं. चीन के सर्विलांस कैमरों और 5जी मोबाइल इंटरनेट उपकरणों का जिक्र करते हुए वेंस ने सस्ती तकनीक पर खास तौर पर कटाक्ष किया.