Pakistan: आतंकी संगठन TTP के 30 कमांडर होंगे रिहा? Afghanistan की तालिबान सरकार करा रही 'बात'

Pakistan: तहरीक ए तालिबान (TTP) के आतंकवादी 2008 में अपने गठन के बाद से ही सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ रहे हैं. वार्ता प्रक्रिया पिछले साल नवंबर में शुरू की गई थी लेकिन विभिन्न कारणों से दोनों पक्षों को कामयाबी नहीं मिल सकी थी.टीटीपी ने ईद उल फित्र के मौके पर 10 दिन के संघर्षविराम का ऐलान

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Taliban ने दावा किया है कि वो Pakistan और आतंकी संगठन TTP के बीच बात करा रहे हैं (File Photo)
पेशावर:

अफगानिस्तान (Afghanistan) की तालिबान (Taliban) सरकार ने पुष्टि की है कि वह पाकिस्तानी सरकार (Pakistan Government) और आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के बीच जारी बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा है.  इस दौरान खूंखार आतंकवादी समूह ने अपने 30 अहम कमांडरों को रिहा करने की मांग रखी है जिन्हें पाकिस्तानी सरकार ने पकड़ा हुआ है. इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान के प्रवक्ता ज़बीहुल्ला मुजाहिद ने ट्विटर पर कहा, “इस्लामिक अमीरात ऑफ अफगानिस्तान की मध्यस्थता में पाकिस्तानी सरकार और तहरीक-ए- तालिबान पाकिस्तान के बीच काबुल में बातचीत हुई है. ”

उन्होंने कहा कि अस्थायी संघर्ष विराम पर सहमति बनी है. मुजाहिद ने कहा कि दोनों पक्षों ने वार्ता के दौरान संबंधित मुद्दों पर अहम प्रगति की है.

इससे पहले टीटीपी के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासनी ने एक बयान में कहा था कि दोनों पक्ष 30 मई तक संघर्षविराम पर सहमत हुए हैं. 

टीटीपी के प्रतिनिधियों ने पाकिस्तानी सरकार को 30 कमांडरों की फेहरिस्त दी है जिसपर इस्लामाबाद ने सकारात्मक जवाब दिया है और भरोसा दिया है कि वे नामों पर गंभीरता से विचार करेगा.

टीटीपी के प्रवक्ता ने कहा कि तालिबान नीत अफगानिस्तान की सरकार बातचीत में मध्यस्थ की भूमिका निभा रही है. 

आतंकवादी समूह के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि टीटीपी ने मेहसूद जिरगा भी बुलाई थी जिससें 32 लोग शामिल थे और फिर मलकंद जिरगा बुलाई थी जिसमें 16 लोग थे. 

टीटीपी ने ईद उल फित्र के मौके पर 10 दिन के संघर्षविराम का ऐलान किया था जिसके बाद बातचीत की नई प्रक्रिया शुरू हुई. संघर्षविराम को पांच और दिनों के लिए बढ़ा दिया गया था. 

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समूचे पाकिस्तान में शरीया कानून लागू करने की चाहत रखने वाले आतंकवादी समूह ने कहा कि संघर्ष विराम महीने भर के लिए लागू रहेगा. 

गौरतलब है कि वार्ता प्रक्रिया पिछले साल नवंबर में शुरू की गई थी लेकिन विभिन्न कारणों से दोनों पक्षों को कामयाबी नहीं मिल सकी थी.

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बहरहाल, इस बार दोनों पक्ष गंभीर कदम उठा रहे हैं और ऐसा लगता है कि टीटीपी और देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई के पूर्व प्रमुख और पेशावर कोर के मौजूदा कमांडर लेफ्टिनेट जनरल फैज़ हामिद की अगुवाई वाले प्रतिनिधिमंडल के बीच बातचीत कामयाब रहेगी.

टीटीपी के आतंकवादी 2008 में अपने गठन के बाद से ही सुरक्षा बलों के खिलाफ लड़ रहे हैं. 

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