- पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए नए आचार संहिता में कड़े संशोधन किए गए हैं
- जजों के विवादास्पद मामलों और राजनीतिक मुद्दों पर सार्वजनिक बोलने, लिखने या बहस करने पर पूरी तरह बैन
- मीडिया से बातचीत पर भी रोक लगाई गई है खासकर उन मुद्दों पर जिनसे सार्वजनिक बहस या संस्थागत कमजोर पड़ सकती है
पाकिस्तान में सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए नए नियम कायदे आ गए हैं. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने शनिवार, 18 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के जजों के लिए आचार संहिता में कड़े संशोधनों को मंजूरी दे दी. अब उन्हें विशेष रूप से राजनीतिक सवालों पर सार्वजनिक टिप्पणी या मीडिया बातचीत में शामिल होने से रोक दिया गया है, साथ ही उनके सामाजिक और राजनयिक गतिविधि पर नए प्रतिबंध लगाए गए हैं.
इस रिपोर्ट के अनुसार अब जजों को विवादास्पद मामलों और राजनीतिक सवालों पर सार्वजनिक रूप से बोलने, लिखने, बहस करने या टिप्पणी करने से प्रतिबंधित किया गया है. यहां तक कि वो इन मामलों में उस समय भी सार्वजनिक रूप से नहीं बोलेंगे जहां कानून के जुड़े सवाल भी उठते हों. कहा गया है कि जजों को को मीडिया के साथ बातचीत नहीं करनी चाहिए, विशेषकर उन मुद्दों पर जिनसे सार्वजनिक बहस छिड़ सकती है या संस्थागत कॉलेजियम और अनुशासन कमजोर हो सकता है.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार इस आचार संहिता को मूल रूप से 1962 में सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल द्वारा तैयार किया गया था. इसे संविधान के अनुच्छेद 209 के तहत 18 अक्टूबर, 2025 को संशोधित किया गया है जिसे मानना पाकिस्तान के सभी सीनियर जजों के लिए बाध्यकारी है.