- पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में लंबे समय से विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जो सरकार और सेना की नाराजगी दर्शाते हैं.
- पाकिस्तान की सीनेट ने पीओके के खराब हालातों पर चर्चा पर प्रतिबंध लगा दिया, जो राजनीतिक विवाद का विषय बना.
- प्रदर्शन जेकेजेएएसी की अपील पर शुरू हुए, जिनमें व्यापारी, स्थानीय नेता और नागरिक समाज के कार्यकर्ता शामिल हैं.
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके में पिछले काफी दिनों से विरोध प्रदर्शन जारी हैं. ये प्रदर्शन सरकार और सेना की नाराजगी को बयां करते हैं. पूरी दुनिया की नजरें इस पर लगी हुई हैं लेकिन ऐसा लगता है कि पाकिस्तान के नेता इस पर आंखें बंद कर लेना चाहते हैं. ताजा जानकारी के अनुसार पाकिस्तान की सीनेट ने पीओके के खराब हालातों पर चर्चा को ही बैन कर दिया है.
यह कोई खास मसला नहीं
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) जिसके नेता बिलावल भुट्टो हैं, उसकी नेता शेरी रहमान ने सीनेट में पीओके के हालातों पर चर्चा करने पर ही प्रतिबंध लगा दिया. हैरानी की बात है कि पीओके पर चर्चा करने वाला उनकी ही पार्टी का नेता था. घटना के समय शेरी रहमान सीनेट के मुखिया की जिम्मेदारी निभा रही थी.
इस सांसद को कहते हुए सुना जा सकता है कि इस समय पीओके में हालात बेहद ही खराब हैं और यहां के लोगों पर बहुत ज्यादा अत्याचार हो रहा है. शेरी रहमान ने इन सदस्य को जवाब दिया और कहा कि यह कोई बहुत खास मसला नहीं है. आपने एक गलत मुद्दा उठाया है. क्वैश्वन ऑवर के बाद इस पर चर्चा करते हैं.
क्यों हो रहा है पीओके में प्रोटेस्ट
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में सोमवार से जम्मू कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेकेजेएएसी) की अपील पर प्रदर्शन जारी हैं. इस संगठन में जेकेजेएएमी में व्यापारी, स्थानीय नेता और नागरिक समाज के कार्यकर्ता शामिल हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, जनता के लिए राहत और शासन प्रणाली में पारदर्शिता की मांग को लेकर यह प्रदर्शन किए जा रहे हैं. शुरुआत में यह सिर्फ एक मामूली हड़ताल थी.
दो साल से सुलग रही थी आग
दो साल पहले जब इस आंदोलन की शुरुआत हुई थी तो उस समय नियमित और सब्सिडी वाले आटा और बिजली की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए था. लेकिन अब इसमें कश्मीर के एलीट क्लास की खास सुविधाओं में कटौती, आरक्षित विधानसभा सीटों को खत्म करना और मुफ्त शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाओं की मांगें भी जुड़ गई हैं.
‘समा टीवी' के अनुसार, मांगें पूरी न होने से जनता में बढ़ती निराशा के कारण बाजार, ट्रांसपोर्ट और यहां तक कि कम्युनिकेशन तक बंद हो गया है. स्कूल खुले थे लेकिन कक्षाएं खाली रहीं. इंटरनेट और मोबाइल सर्विसेज भी बंद हैं और लैंडलाइन सर्विसेज भी पूरी तरह काट दी गईं. ये प्रदर्शन पिछले कुछ दिनों से काफी तेज हो गया है और इसमें कुछ लोगों की मौत भी हो गई है.