पाकिस्तान के गधा बिजनेस मॉडल से टॉनिक बना रहा है चीन... पढ़ें कैसे फंसा पड़ोसी

पाकिस्तान के अंदर गधों की संख्या बढ़ने के बावजूद उनकी कीमत बढ़ती जा रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि चीन में पाकिस्तानी गधों की मांग तेजी से बढ़ रही है. यहां जानिए क्यों.

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पाकिस्तान के अंदर गधों की संख्या बढ़ने के बावजूद उनकी कीमत बढ़ती जा रही है

पाकिस्तान चीन का करीबी बना हुआ है, इतना करीबी को वो चीन के लिए गधों का सप्लायर बन गया है. पाकिस्तान में काम पर लगे गधों की आबादी 59 लाख है और डॉन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन सालों में इसमें लगातार वृद्धि देखी जा रही है. खास बात यह है कि पाकिस्तान में इतने गधे हैं कि यह अफ्रीकी देश इथियोपिया और सूडान के बाद सबसे बड़ी संख्या में गधों वाले देशों की लिस्ट में तीसरे स्थान पर मौजूद है. उससे भी चौंकाने वाली बात यह है कि गधों की संख्या बढ़ने के बावजूद पाकिस्तान के अंदर गधों की कीमत बढ़ती जा रही है. और इसकी सबसे बड़ी वजह है कि चीन में पाकिस्तानी गधों की मांग तेजी से बढ़ रही है. सवाल है कि चीन पाकिस्तानी गधों का आखिर कर क्या रहा है?

पाकिस्तान से गधे मंगाकर चीन कर क्या रहा है?

दरअसल चीन गधे से एक तरह की दवाई बनाता है जिसका नाम एजियाओ है. और चीन में एजियाओ की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हर साल लाखों गधों को मारा जाता है. एजियाओ एक जिलेटिन है जिसका उपयोग पारंपरिक चीनी चिकित्सा में किया जाता है. मरे हुए गधे की खाल को उबालकर इस लिक्विड को तैयार किया जाता है.

अब पाकिस्तान चीन का गलबहियां दोस्त है, वह चीन के निकट स्थित है और उसे हर समय पैसे की सख्त जरूरत होती है. उसने इस स्थिति में चीन में गधों के चमड़े की बढ़ती मांग को पूरा करने में खास रुचि दिखाई है.

अब आपके मन में यह ख्याल आ सकता है कि इस सूप से दिखने वाले एजियाओ में ऐसा क्या खास है जो चीन के लोग इसके पीछे पागल हैं. दरअसल एजियाओ को पारंपरिक चीनी चिकित्सा में टॉप के तीन टॉनिकों में से एक माना जाता है. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार चीन में इसका पिछले 3,000 सालों से इस्तेमाल हो रहा है और पिछले कुछ दशकों में दुनिया के बाकि देश- जैसे इंडोनेशिया, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग में भी इसका क्रेज बढ़ रहा है. अब इसके उत्पादन में शामिल कंपनियों ने दुनिया भर में अपनी पहुंच और उपयोग का विस्तार किया है.

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रिपोर्ट के अनुसार एजियाओ का व्यापक रूप से थकान दूर करने, इम्यून सिस्टम में सुधार करने, ट्यूमर खत्म करे और एनीमिया दूर करने जैसे प्रभाव के लिए क्लीनिकों में उपयोग किया जाता है. 

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चीन में बढ़ रही मांग, पाकिस्तान से मंगाना मजबूरी

2013 और 2016 के बीच, चीन में एजियाओ का वार्षिक उत्पादन 3,200 से बढ़कर 5,600 टन हो गया- यानी 20 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि. लेकिन उसके बाद के पांच सालों में, इसके उत्पादन में 160 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई. चीन में मीडिल क्लास बढ़ रहा और उसके साथ एजियाओ की मांग बढ़ रही. अब उस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए लाखों गधों की खाल की आवश्यकता पड़ रही है.

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चीन की मजबूरी हो गई है कि वह पाकिस्तान से गधे मंगाए.  वजह यह है कि उसके अपने देश में गधों की संख्या तेजी से नीचे गई है. रिपोर्ट के अनुसार चीन में जो गधों की आबादी 1990 में 56 लाख थी वो 2022 में घटकर 8.6 लाख रह गई है, जो कि 80 प्रतिशत की भारी गिरावट है. इस वजह से उसे अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया सहित विदेशी सप्लायरों की ओर रुख करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. पिछले साल जब अफ्रीकी यूनियन (अफ्रीकी देशों के संगठन) ने गधों की चमड़ी के व्यापार पर बैन लगा दिया, चीन के लिए पाकिस्तान ही सप्लायर बचा. उसके बाद से पाकिस्तान से चीन सप्लाई होने वाले गधों या उनके चमड़ों के आंकड़े तेजी से बढ़े हैं. इस वजह से पाकिस्तान के अंदर गधों की कीमत भी तेजी से बढ़ी है. रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच से 10 वर्षों में बड़े गधों की नस्लों की कीमत दोगुनी हो गई है.

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