POK में भी नेपाल वाला आंदोलन, Gen-Z उखाड़ फेकेंगे शाहबाज और मुनीर की सत्ता?

पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार को डर है कि Gen-Z के इस आंदोलन में न केवल PoK में, बल्कि पाकिस्तान के बाकी हिस्सों में भी फैलने और वहां समर्थन हासिल करने की क्षमता है.

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  • पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में छात्र शैक्षिक नीतियों और फीस बढ़ोतरी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं
  • पाक सरकार ने छात्र संघों और राजनीतिक गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा कर विरोध प्रदर्शन को दबाने की कोशिश कर रही
  • विरोध प्रदर्शन देश के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा है इसलिए शरीफ सरकार इसे रोकने में लगी है
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पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी PoK को एक बार फिर हिंसक विरोध- प्रदर्शन से हिला दिया है. यहां के छात्र, ज्यादातर Gen- Z पाकिस्तान की शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की शैक्षिक नीतियों के खिलाफ विरोध करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं. वैसे तो यहां छात्रों के नेतृत्व वाला यह आंदोलन यूनिवर्सिटी की बढ़ती फीस और गलत परीक्षा प्रक्रिया के खिलाफ एक शांतिपूर्ण प्रदर्शन के रूप में शुरू हुआ था. लेकिन जल्द ही इसने एक हिंसक रूप ले लिया जब कुछ व्यक्तियों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चला दीं. इस हमले में एक छात्र घायल हो गया.

हाल के महीनों में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में यह दूसरी बड़ी अशांति है. हाल ही में इस क्षेत्र में टैक्स राहत, सस्ती बिजली और विकास परियोजनाओं को पूरा करने सहित आर्थिक मुद्दों पर हिंसक प्रदर्शन हुए थे.

आखिर में Gen- Z छात्र विरोध क्यों कर रहे हैं?

इस नए विरोध प्रदर्शन की शुरुआत इस महीने मुजफ्फराबाद के आजाद जम्मू और कश्मीर विश्वविद्यालय (यूएजेके) में हुई. यहां छात्रों ने मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तरों पर एक नई डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली की शुरुआत के बाद बड़े पैमाने पर फीस बढ़ाने और परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी के खिलाफ रैली की. जब इंटरमीडिएट फर्स्ट ईयर की परीक्षा के नतीजे छह महीने की देरी के बाद जारी किए गए, तो कई छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें बहुत ही ज्यादा कम नंबर मिले हैं, जबकि दूसरे ने दावा किया कि उन्हें उन विषयों में पास कर दिया गया था, जिनमें वे कभी शामिल नहीं हुए थे.

भले यूनिवर्सिटी की तरफ से प्रक्रिया की समीक्षा के लिए एक पैनल बनाया गया लेकिन फिर से कॉपी जांचने के लिए प्रति विषय 1,500 रुपये मांगे गए. इससे बच्चों का गुस्सा और बढ़ गया. सरकार ने यूनिवर्सिटी में छात्र संघों और राजनीतिक गतिविधियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया. कश्मीर डिजिटल की एक रिपोर्ट के अनुसार, स्थिति तब और बिगड़ गई जब इस सप्ताह की शुरुआत में एक व्यक्ति ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर गोलियां चला दीं.

इस रिपोर्ट के अनुसार प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि राजा मामून फहद नाम के एक व्यक्ति ने कथित तौर पर पुलिस की मौजूदगी में छात्रों पर गोलियां चलाईं, लेकिन पुलिस ने आरोपी के खिलाफ गंभीर कार्रवाई नहीं की और वह घटनास्थल से भागने में सफल रहा. घटना का वीडियो बाद में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद नागरिक समूह और छात्र संगठन शरीफ सरकार और पाकिस्तानी सेना द्वारा किए जा रहे अत्याचारों के विरोध में एकजुट हो गए.

विरोध को दबाने में जुटी शरीफ सरकार

IANS की एक रिपोर्ट के अनुसार, शरीफ सरकार कोई जोखिम नहीं उठा रही है और विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है. उसे डर है कि Gen-Z के इस आंदोलन में न केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में, बल्कि पाकिस्तान के बाकी हिस्सों में भी फैलने और समर्थन हासिल करने की क्षमता है.

यह अशांति नेपाल में Gen- Z विरोध के समान ही है, जहां सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर बैन लगाने के आदेश के बाद छात्रों ने भ्रष्टाचार और विकास की कमी के खिलाफ रैली निकाली थी. इसमें केपी ओली की सरकार भी गिर गई. ऐसे में पाकिस्तानी सरकार इस बात से भी चिंतित है कि कई अन्य लोग छात्रों में शामिल हो जाएंगे और यह एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन बन सकता है. जम्मू-कश्मीर संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेकेजेएएसी) ने कहा है कि वह छात्रों का समर्थन करेगी. इससे प्रदर्शनकारियों को सत्ता के ख़िलाफ़ लड़ने के लिए और अधिक ताकत और साहस मिलेगा.

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