- मौलाना फजलुर रहमान ने कराची के ल्यारी में शहबाज शरीफ और आसिम मुनीर की दोहरी नीति पर तीखा हमला किया है
- उन्होंने पाकिस्तान की अफगानिस्तान नीति की आलोचना करते हुए कहा कि भारत का हमला क्यों जायज नहीं
- मौलाना फजलुर रहमान तालिबान के सर्वोच्च नेता से मिलने वाले एकमात्र पाकिस्तानी राजनीतिक नेता माने जाते हैं
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार और आसिम मुनीर के नेतृत्व वाली सेना को अब वहीं के नेता आईना दिखा रहे हैं. जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (जेयूआई-एफ) के चीफ मौलाना फजलुर रहमान ने कराची के ल्यारी में बैठकर शहबाज और मुनीर पर निशाना साधते हुए उनके दोमुंहेपन को दुनिया के सामने रखा है. धुरंधर फिल्म से सुर्खियों में आए ल्यारी से मौलाना फजलुर रहमान ने कहा कि अगर पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर हमला करना जायज है तो फिर भारत पाकिस्तान के अंदर घुसकर आतंकियों को क्यों नहीं मार सकता.
दरअसल कराची के ल्यारी में 22 दिसंबर को मजलिस इत्तेहाद-ए-उम्मत पाकिस्तान के तत्वावधान में सभी विचारधाराओं और धार्मिक संगठनों की एक सभा बुलाई गई थी. यहां मौलाना फजलुर रहमान ने राउंड टेबल से कहा, "अगर आप कहते हैं कि हमने अफगानिस्तान में अपने दुश्मन पर हमला किया है, अगर आप अपने इस स्टैंड को जायज बताते हैं तो हिंदुस्तान आपसे कहेगा कि हमने बहावलपुर और मुरीदके में हमला किया है और कश्मीर पर हमला करने वालों का बदला लिया है. तो फिर आप हिंदुस्तान की इस कार्रवाई पर एतराज क्यों कर रहे हैं."
मौलाना फजलुर रहमान लगातार पाकिस्तान सरकार की अफगानिस्तान नीति की आलोचना करते रहे हैं. ऑक्टूबर में जब दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर था तब जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के प्रमुख पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कम करने में मदद करने के लिए मध्यस्थता की पेशकश की. डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, फजल ने इस्लामाबाद में संवाददाताओं से कहा था, "अतीत में, मैंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव कम करने में भूमिका निभाई थी और मैं अब भी ऐसा कर सकता हूं."
बता दें कि मौलाना फजलुर रहमान तालिबान के सर्वोच्च नेता शेख हिबतुल्ला से मुलाकात करने वाले एकमात्र पाकिस्तानी राजनीतिक नेता हैं. उनको अफगान तालिबान के बीच प्रभाव रखने के लिए जाना जाता है.
मौलाना फजलुर रहमान पाकिस्तान के एक प्रमुख इस्लामी विद्वान और राजनेता हैं. वह वर्तमान में पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (F) के अध्यक्ष हैं. वह पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती महमूद के पुत्र हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा धार्मिक मदरसों से प्राप्त की और बाद में सक्रिय राजनीति में कदम रखा.













