अमेरिका (US) और चीन (China) के बीच बढ़ते तनाव में अब पाकिस्तान (Pakistan) भी कूद पड़ा है. अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा (Nancy Pelosi Taiwan Visit) के बाद चीन के "सर्वकालिक दोस्त" पाकिस्तान ने चीन की "एक-चीन नीति" (One China Policy) को अपना समर्थन दिया है. अमेरिका में उप-राष्ट्रपति के बाद सबसे बड़ी नेता नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा कर ताइवान के लोकतंत्र के लिए अमेरिका की प्रतिबद्धता दोबारा मज़बूत की है. इससे चीन भड़क गया है. चीन को लगता है कि यह चीन की "एक-चीन नीति" का उल्लंघन है. लेकिन अमेरिका ने कहा है कि यह यात्रा स्वशासित द्वीप को लेकर उसकी लंबे समय से चली आ रही नीति से अलग नहीं है.
चीन की संप्रभुता और सीमाई संप्रभुता के लिए समर्थन देते हुए पाकिस्तान ने बुधवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने लिखा," पाकिस्तान ताइवान जलडमरू में बन रहे हालात से गंबीर रूप से चिंतित है, इससे प्रभाव से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता प्रभावित हो सकती है."
साथ ही इसमें कहा गया कि पाकिस्तान चीन की "एक-चीन" नीति के साथ है और इसके लिए मजूबती से प्रतिबद्ध है. पूर्वी यूरोप में बने हालात और इसके प्रभावों की बात करते हुए पाकिस्तान के विदेश मंत्रालयन ने कहा कि दुनिया पहले ही सुरक्षा का खतरा देख रही है और अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा के लिए इसके अस्थिर करने वाले प्रभाव हैं.
पाकिस्तान ने अपनी विज्ञप्ति में कहा, "दुनिया एक और संकट नहीं झेल सकती जिसके वैश्विक शांति, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था के लिए नकारात्मक प्रभाव हों."
इसमें आगे कहा गया, " पाकिस्तान का पूरा विश्वास है कि दो-देशों के बीच संबंध आपसी सम्मान पर आधारित, आंतरिक मामलों में गैर-हस्तक्षेप और मुद्दों को सुलझाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सिद्दांतों के, अंतरराष्ट्रीय कानून और द्विपक्षीय समझौतौं पर आधारित होने चाहिए."
पाकिस्तान ने कहा, "One-China policy इस बात की कूटनीतिक स्वीकृति है कि चीन की केवल एक सरकार है. इस नीति के तहत अमेरिका ने चीन को मान्यता दी है और चीन के साथ उसके औपचारिक रिश्ते हैं, ताइवान के साथ नहीं, जिसे चीन अलग हुए एक प्रांत की तरह देखता है जिसे एक दिन मुख्य चीन की भूमि के साथ दोबारा जुड़ना होगा."
नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा बुधवार को खत्म हो गई और वो स्वशासित ताइवान से वापस लौट गईं हैं