भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ
भारत से जारी तनाव के बीच पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां भी उसकी दाल नहीं गली है. सोमवार, 5 मई को बंद दरवाजे के पीछे परामर्श (कंसल्टेशन) बैठक चली जहां सदस्य देशों ने पाकिस्तान से कड़े सवाल पूछे. उन्होंने पहलगाम हमले को लेकर पाकिस्तान के "फॉल्स फ्लैग" के झूठ यानी हमला भारत की तरफ से ही कराया गया था, इस दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया. सुरक्षा परिषद के मौजूदा अस्थायी सदस्य, पाकिस्तान से ही सवाल किया गया कि क्या हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के शामिल होने की संभावना है. कश्मीर मुद्दे के अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की पाकिस्तान की कोशिश भी विफल रही है, उसे भारत से बात करके द्विपक्षीय स्तर पर इसे सुलझाने की सलाह दी गई है. एनडीटीवी को यह जानकारी सुत्रों ने दी है.
सुत्रों ने बताया कि इस बंद दरवाजे की बैठक में पहलगाम आतंकवादी हमले की व्यापक निंदा की गई और कसूरवारों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता को मान्यता दी गई. 15 सदस्यों वाली इस परिषद में से कुछ सदस्यों ने विशेष रूप से पर्यटकों को उनकी धार्मिक आस्था के आधार पर निशाना बनाने का मुद्दा उठाया. कई सदस्यों ने चिंता व्यक्त की कि पाकिस्तान मिसाइल परीक्षण करके और बार-बार परमाणु हथियारों पर बयानबाजी करके तनाव को बढ़ा रहा है.
सबसे बड़ी बात यह है कि पाकिस्तान चाहता था कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर का मुद्दा लाकर उसका अंतर्राष्ट्रीयकरण कर सके. लेकिन पाकिस्तान के ये प्रयास भी विफल रहे हैं. उसे सुरक्षा परिषद की तरफ से भारत के साथ बैठकर अपने द्विपक्षीय रूप से मुद्दों को सुलझाने की सलाह दी गई है.
भारत ने बैठक के बाद क्या कहा?
सुरक्षा परिषद की इस बैठक से पहले, संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूर्व स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था कि ऐसी चर्चा से किसी परिणाम की उम्मीद नहीं की जा सकती है. संघर्ष का एक पक्ष (यानी पाकिस्तान) परिषद की अपनी सदस्यता का उपयोग करके परसेप्शन को आकार देना चाहता है. भारत ऐसे पाकिस्तानी प्रयासों की अनदेखी करेगा."
बैठक के बाद उन्होंने कहा, "अतीत की तरह आज भी पाकिस्तान की दादागीरी फिर से विफल हो गई है. जैसा कि अपेक्षित था, परिषद द्वारा कोई सार्थक प्रतिक्रिया नहीं दी गई. भारतीय कूटनीति ने सुरक्षा परिषद के हस्तक्षेप की मांग करने के पाकिस्तानी प्रयासों को एक बार फिर सफलतापूर्वक विफल कर दिया है."
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