- पाक राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दिवाली पर हिंदू समुदाय को शुभकामनाएं देते हुए समान अधिकारों की बात कही
- प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने दिवाली के अवसर पर हिंदू समुदाय को शांति, करुणा और समृद्धि की कामना की
- पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकार हनन की कई रिपोर्टें सामने आई हैं
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ, दोनों ने दिवाली के पावन अवसर पर पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोगों को शुभकामनाएं दीं. खास बात यह रही कि इस मौके पर दोनों ने पाकिस्तान में दोयम नागरिक की जिंदगी गुजारने पर मजबूर धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर जुबानी प्रतिबद्धता ही सही, वो भी दोहराई.
पाकिस्तान के अखबार डॉन ने अपनी वेबसाइड पर एक आर्टिकल छापी है. इसमें बताया गया है कि रेडियो पाकिस्तान के अनुसार, राष्ट्रपति जरदारी ने कहा कि दिवाली का त्यौहार हमें अंधेरे पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय की याद दिलाता है. उन्होंने कहा कि संविधान ने सभी नागरिकों को समान अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी दी है. उन्होंने कहा है, "कायद-ए-आजम मुहम्मद अली जिन्ना ने एक ऐसे पाकिस्तान की कल्पना की थी जहां अल्पसंख्यकों को समान अधिकार और अवसर मिलेंगे." रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति जरदारी ने शिक्षा, बिजनेस और सार्वजनिक सेवा में हिंदू समुदाय की सेवाओं की भी सराहना की है.
वहीं अपने संदेश में, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने पाकिस्तान और दुनिया भर में हिंदू समुदाय को अपनी "हार्दिक शुभकामनाएं" देते हुए उन्हें दिवाली की शुभकामनाएं दीं. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है, "दिवाली के शुभ अवसर पर, मैं पाकिस्तान और दुनिया भर में हमारे हिंदू समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं. जैसे घर और दिल दिवाली की रोशनी से जगमगाते हैं, यह त्योहार अंधकार को दूर करे, सद्भाव को बढ़ावा दे और हम सभी को शांति, करुणा और साझा समृद्धि के भविष्य की ओर मार्गदर्शन करे."
उन्होंने आगे लिखा है, "दिवाली की भावना जो अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और निराशा पर आशा का प्रतीक है, असहिष्णुता से असमानता तक हमारे समाज के सामने आने वाली चुनौतियों पर काबू पाने के लिए हमारे सामूहिक संकल्प को प्रेरित करती है. आइए हम यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करें कि प्रत्येक नागरिक, आस्था या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना, शांति से रह सके और प्रगति में योगदान दे सके. दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं."
पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों की स्थिति
बीते गुरुवार को ही एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में ईसाइयों, हिंदुओं और अहमदियों सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते मानवाधिकारों के हनन के साथ-साथ खुलेआम चुनावी धांधली ने यह उजागर कर दिया है कि देश के सामाजिक ताने-बाने में मताधिकार की कमी कितनी गहरी पैठ बना चुकी है. इसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के 60वें सत्र के दौरान, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के खिलाफ सरकार की शह से होने वाले अत्याचारों का विवरण देने वाली कई रिपोर्टें, बयान और प्रत्यक्ष गवाही पीड़ितों द्वारा साझा की गईं.
'यूरोपियन टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बिगड़ती अर्थव्यवस्था और पाकिस्तानी सेना प्रमुख असीम मुनीर के नेतृत्व में सेना के बढ़ते प्रभुत्व के बीच, देश की तथाकथित लोकतांत्रिक संस्थाएं पूरी तरह से कमजोर हो गई हैं, जिससे नागरिक अन्याय और मोहभंग में फंस गए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को व्यवस्थित उत्पीड़न और बढ़ती हिंसा का सामना करना पड़ता है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने "अपने धर्म या विश्वास के आधार पर कमजोर समुदायों के खिलाफ बढ़ती हिंसा" पर चिंता जताई है, यह देखते हुए कि अल्पसंख्यकों ने हाल के महीनों में लगातार हमलों, हत्याओं और अंतहीन उत्पीड़न को सहन किया है."
पाकिस्तान में हिंदुओं के जबरन धर्म परिवर्तन की घटना आम है. अभी हाल ही में 9 दिन से लापता नाबालिग मूक-बधिर हिंदू लड़की (15 साल उम्र) ने इस्लाम धर्म अपनाकर 7 बेटियों के बाप से शादी कर ली है. हालांकि लड़की के परिजनों का कहना है कि वो अभी बच्ची है और उसे किडनैंप करके, उसपर दबाव डालकर उसका धर्म बदला गया है, उससे शादी की गई है.