पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में किसानों के खिलाफ की जा रही सरकारी कार्रवाई को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पंजाब के गवर्नर सरदार सलीम हैदर खान ने सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) सरकार पर आरोप लगाया है कि वह किसानों पर अत्यधिक दबाव बना रही है और जबरन बिजली बिल वसूलने के लिए उनके घरों पर छापे डलवा रही है.
गुरुवार को लाहौर स्थित गवर्नर हाउस में विभिन्न किसान संगठनों के 80 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के दौरान गवर्नर खान ने कहा कि किसानों के साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है. उन्होंने कहा कि सरकार शहरों में खाद्य कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए किसानों को उनकी आजीविका से वंचित कर रही है, जो पूरी तरह से गलत है.
गवर्नर का यह बयान तब आया जब खबरें सामने आईं कि सरकार ने गांवों में बिजली बिलों की जबरन वसूली के लिए पाकिस्तानी रेंजर्स सहित सुरक्षा बलों को तैनात किया है. कई किसानों ने आरोप लगाया कि जब उन्होंने इस कार्रवाई का विरोध किया तो उनके खिलाफ पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर दी.
किसानों के मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए गवर्नर खान ने संघीय सरकार और किसानों के बीच बातचीत को आसान बनाने के लिए तीन सदस्यीय विशेष समिति गठित करने की घोषणा की. उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस समिति के माध्यम से किसानों की समस्याओं को हल करने की कोशिश की जाएगी.
बैठक में पाकिस्तान किसान इत्तेहाद (पीकेआई) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) दक्षिण पंजाब के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. उन्होंने सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि बढ़ती महंगाई और कृषि क्षेत्र की अनदेखी के कारण किसानों की स्थिति बेहद खराब हो गई है.
प्रतिनिधियों ने कहा कि खाद, बीज और कृषि रसायनों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिससे छोटे किसान बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं. इसके अलावा, बिजली बिलों में बढ़ोतरी ने उनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है. उन्होंने सरकार की कथित 'कृषि विरोधी' नीतियों पर नाराजगी जताते हुए सुधार की मांग की.
गवर्नर खान ने किसानों को भरोसा दिलाया कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) उनके साथ खड़ी है और उनकी समस्याओं को हल करने के लिए हर संभव कदम उठाएगी. उन्होंने कहा कि किसानों के खिलाफ जबरन बिजली बिल वसूली और छापेमारी जैसी कार्रवाइयों को उच्च स्तर पर उठाया जाएगा ताकि उन्हें न्याय मिल सके.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह मामला राजनीतिक तकरार का कारण बन सकता है. गवर्नर खान का बयान पीएमएल-एन सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है क्योंकि वह खुद पीपीपी से ताल्लुक रखते हैं. विश्लेषकों के मुताबिक, पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के लिए यह स्थिति चिंता का विषय हो सकती है.
राजनीतिक विशेषज्ञ जावेद चौधरी के अनुसार, “गवर्नर द्वारा किसानों की बैठक बुलाना यह दर्शाता है कि पीपीपी अब खुलेआम पीएमएल-एन की नीतियों की आलोचना कर रही है. सिंध में जल आपूर्ति और अन्य मामलों को लेकर भी दोनों पार्टियों में मतभेद हैं.”
चौधरी ने कहा कि पीपीपी ने पहले ही सरकार के कई फैसलों से दूरी बना ली थी, और अब वह किसानों के मुद्दे को एक बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है. इससे न केवल पीएमएल-एन की स्थिति कमजोर होगी, बल्कि पीपीपी खुद को जनता की आवाज के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश करेगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)