कैसे बच्चियों-महिलाओं को शिकार बनाती है पाकिस्तानी फौज... UN में भारत ने PAK को किया बेनकाब

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 'संघर्ष-संबंधित यौन हिंसा' विषय पर खुली बहस चल रही थी. यहां भारत के प्रभारी ने बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध आज भी जारी हैं, जो निंदनीय है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • भारत ने UNSC में पाकिस्तान और उसकी सेना द्वारा महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा का पुराना और जारी पैटर्न उजागर किया.
  • 1971 में पूर्वी पाकिस्तान में पाक सेना द्वारा लाखों महिलाओं के खिलाफ घोर यौन अपराधों को भारत ने शर्मनाक बताया.
  • भारत ने कहा कि पाकिस्तान की न्यायपालिका भी महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों को मान्यता देती है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

भारत ने एक बार फिर दुनिया के सामने पाकिस्तान का काला चिट्ठा खोल दिया है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद  (UNSC) के अंदर बताया कि कैसे पाकिस्तान और उसकी आर्मी महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ यौन हिंसा को कैसे एक टूल के रूप में इस्तेमाल करती रही है और आज भी कर रही है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रभारी (Charge d'Affaires) एल्डोस पुन्नूस ने मंगलवार (स्थानीय समय) को 1971 के बाद से पाकिस्तान द्वारा की जा रही यौन हिंसा को दुनिया के सामने रखा.

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 'संघर्ष-संबंधित यौन हिंसा' विषय पर खुली बहस चल रही थी. एल्डोस पुन्नूस ने भारत की तरफ से बोलते हुए कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों की महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध आज भी जारी हैं, जो निंदनीय है.

उन्होंने कहा, "पाकिस्तानी सेना ने 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में लाखों महिलाओं के खिलाफ घोर यौन हिंसा जैसे जघन्य अपराधों को जिस बेबाकी के साथ अंजाम दिया, वह एक शर्मनाक रिकॉर्ड है. यह निंदनीय पैटर्न आज भी बेरोकटोक और बेधड़क जारी है."

पाकिस्तान अभी UNSC में अस्थायी सदस्य है और मौका मिलने पर भारत ने उसे 1971 में बांग्लादेशी महिलाओं के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के कुकर्मों की याद दिलाई है. भारत के प्रभारी ने कहा, "धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति उत्पीड़न के हथियार के रूप में बड़े पैमाने पर अपहरण, तस्करी, बच्चों का जल्दी और जबरन विवाह और घरेलू दासता, यौन हिंसा और हजारों कमजोर महिलाओं और लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन के मामले रिपोर्ट किए गए हैं और उनके डिटेल्ड रिकॉर्ड हैं, जिसमें हाल की ओएचसीएचआर रिपोर्ट भी शामिल है."

एल्डोस पुन्नूस ने आगे कहा कि इस रूढ़िवादी देश की न्यायपालिका (अदालतें) भी महिलाओं के खिलाफ इन निंदनीय अपराधों को मान्यता देती है. उन्होंने कहा, "ये रिपोर्टें इस बात पर प्रकाश डालती हैं कि इसकी न्यायपालिका भी पाकिस्तान के घृणित कृत्यों को मान्यता देती है. यह विडंबना है कि जो लोग इन अपराधों को अंजाम देते हैं वे अब न्याय के चैंपियन के रूप में दिखावा कर रहे हैं. दोहरापन और पाखंड स्वयं स्पष्ट है."

पुन्नूस ने कहा कि इस तरह के जघन्य दुर्व्यवहार के अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे अपराध पूरे समुदाय के लोगों पर निशान छोड़ते हैं. उन्होंने कहा, "संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा के जघन्य कृत्यों के अपराधियों की कड़ी से कड़ी निंदा की जानी चाहिए और उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए. संघर्ष क्षेत्रों में यौन हिंसा न केवल व्यक्तिगत जीवन को नष्ट करती है, बल्कि समाज के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देती है, जिससे समुदायों पर पीढ़ियों के लिए स्थायी निशान रह जाते हैं."

Advertisement

भारत पहला देश था जिसने….

पुन्नूस ने यहां बताया, "2007 में, हम (भारत) लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र मिशन में एक सिर्फ महिला पुलिस की यूनिट तैनात करने वाले पहले देश थे. आज, हमने संघर्ष-संबंधी यौन हिंसा को संबोधित करने के उद्देश्य से मोनोस्को, यूनिसेफ और यूएनएमएएस में महिला टुकड़ियों को सफलतापूर्वक तैनात किया है. इस अनुभव के आधार पर, दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र शांति स्थापना अभियानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए विशेष पाठ्यक्रम आयोजित करता है, जिसमें सशस्त्र संघर्ष में यौन और लिंग आधारित हिंसा को रोकने और संबोधित करने के लिए लक्षित प्रशिक्षण (टारगेटेड ट्रेनिंग) भी शामिल है."

उन्होंने कहा कि भारत इच्छुक देशों के साथ अपनी विशेषज्ञता शेयर करने के लिए तैयार है, इस मुद्दे पर उन्होंने वैश्विक दक्षिण की महिला शांति सैनिकों के सम्मेलन के दौरान भी चर्चा की.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Delhi CM Rekha Gupta Attack News: कब बना था CM पर हमले का प्लान? | Kachehri With Shubhankar Mishra
Topics mentioned in this article