डराती-धमकाती है मुनीर ब्रिगेड... 44 अमेरिकी सांसदों ने पाकिस्तानी फौज की करतूतों का काला चिट्ठा सामने रखा

अमेरिकी सांसदों ने चेतावनी दी कि पाकिस्तान के लोकतांत्रिक संस्थानों को खत्म किया जा रहा है, जबकि देश के अंदर और बाहर आलोचना करने वालों को तेजी से निशाना बनाया जा रहा है.

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पाकिस्तान में हो रहे दमनकारी अभियानों का शोर अमेरिका तक पहुंच रहा है. इस सिलसिले में भारतीय मूल की अमेरिकी कांग्रेस सदस्य महिला प्रमिला जयपाल और कांग्रेस सदस्य ग्रेग कैसर के नेतृत्व में करीब 42 टॉप अमेरिकन सांसदों ने अमेरिकी मंत्री मार्को रुबियो से पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कदम उठाने का आग्रह किया है. इन सांसदों ने रुबियो से अपील की है कि वे पाकिस्तान में चल रहे अंतर्राष्ट्रीय दमनकारी अभियान और सुनियोजित मानवाधिकार उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें. सांसदों का कहना है कि पाकिस्तान तानाशाही के बढ़ते संकट का सामना कर रहा है.

स्थानीय समयानुसार सांसदों ने बुधवार को दावा किया कि पाकिस्तान में लोकतांत्रिक संस्थाओं और बुनियादी स्वतंत्रता को सुनियोजित तरीके से खत्म किया जा रहा है. पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व को जवाबदेह ठहराने की जिम्मेदारी और तरीके अमेरिका के पास हैं.

सभी सांसदों ने 3 दिसंबर के एक चिट्ठी में लिखा, "हम सरकार से अपील करते हैं कि वह उन अधिकारियों के खिलाफ वीजा बैन और संपत्ति जब्त करने जैसे कदम तेजी से लागू करे, जो सुनियोजित तरीके से दमन, अंतर्राष्ट्रीय दमन कर रहे हैं और न्यायिक आजादी को कमजोर कर रहे हैं."

सांसदों ने लिखा, "हाल के सालों में, पाकिस्तान में तानाशाही के खिलाफ आवाज उठाने वाले अमेरिकी नागरिकों और निवासियों को धमकियों, डराने-धमकाने और परेशान करने का सामना करना पड़ा है. ये धमकियां अक्सर पाकिस्तान में उनके परिवारों तक भी पहुंच जाती हैं."

सासदों ने चिट्ठी में आगे लिखा, "इन तरीकों में मनमानी हिरासत, जबरदस्ती और बदले की हिंसा शामिल है, जिसमें बाहर से आए लोगों और उनके रिश्तेदारों को निशाना बनाया जाता है. ये काम बोलने की आजादी के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और वे अमेरिकी जमीन पर विदेशी दखल के लिए एक खतरनाक मिसाल कायम करते हैं."

सांसदों ने कहा कि इस समय सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग की जा रही है, जिसमें पाकिस्तान के ताकतवर सैन्य नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराना और राजनीतिक कैदियों की रिहाई के लिए दबाव डालना शामिल है. उन्होंने चेतावनी दी कि पाकिस्तान के लोकतांत्रिक संस्थानों को खत्म किया जा रहा है, जबकि देश के अंदर और बाहर आलोचना करने वालों को तेजी से निशाना बनाया जा रहा है.

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उन्होंने लिखा, "हम आपसे गुजारिश करते हैं कि आप पाकिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय दबाव, बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और सुनियोजित दबाव के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ वीजा बैन और संपत्ति फ्रीज करने जैसे लक्षित कदम तेजी से लागू करें. हमने पहले भी दूसरे देशों में अंतर्राष्ट्रीय दबाव की बात की है और आगे भी करते रहेंगे; यहां भी वही तरीका अपनाया जाना चाहिए."

पाकिस्तानी अमेरिकियों और अमेरिकी लोगों से जुड़े मामलों का जिक्र करते हुए, सांसदों ने वर्जीनिया के खुफिया पत्रकार अहमद नूरानी का जिक्र किया, जिनके भाइयों को सैन्य भ्रष्टाचार के खिलाफ एक आर्टिकल छापने के बाद इस्लामाबाद में किडनैप कर लिया गया, पीटा गया और हिरासत में ले लिया गया.

उन्होंने बताया कि उनके मामले को टॉम लैंटोस मानवाधिकार कमीशन, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उठाया था. सांसदों ने पाकिस्तानी-अमेरिकी संगीतकार सलमान अहमद के मामले पर भी जोर दिया. सलमान को सेना से सीधी धमकी मिली, जिसमें अमेरिका और पाकिस्तान दोनों में उनके परिवार को धमकियां देना भी शामिल था.

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उन्होंने कहा कि उनके बहनोई को किडनैप कर लिया गया और बिना किसी चार्ज के तब तक रखा गया जब तक राज्य विभाग और एफबीआई ने हस्तक्षेप नहीं किया. सांसदों के मुताबिक, पाकिस्तान के अंदर इस तरह का दमन तेजी से बढ़ा है. विपक्षी नेताओं को बिना किसी आरोप के हिरासत में लिया गया, पत्रकारों को किडनैप कर लिया गया या देश निकाला की सजा दे दी गई, और आम नागरिकों को सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया है. महिलाओं, अल्पसंख्यक समुदायों और जातीय समूहों को, खासकर बलूचिस्तान में, बहुत ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है.

उन्होंने आगे लिखा कि इस तरह की घटनाएं समाज के नागरिकों को कुचलने और सैन्य शासन के लिए सभी चुनौतियों को खत्म करने के लिए एक सोची-समझी साजिश को दिखाती हैं. उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने, सेना के दबाव में आकर, सैन्य कोर्ट में नागरिकों पर मुकदमा चलाने की इजाजत दी. सांसदों ने रुबियो से वैश्विक मैग्निट्स्की एक्ट के तहत वीजा बैन और संपत्ति जब्त करने जैसे उपायों पर विचार करने की अपील की. सांसदों ने खास तौर पर पाकिस्तानी सेना के आलाकमान असीम मुनीर की भूमिका पर सवाल उठाए. सांसदों ने मुनीर को इस कार्रवाई का मुख्य हिस्सा बताया.

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उन्होंने यह भी पूछा कि क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने सितंबर में पीएम शहबाज शरीफ और जुलाई में मुनीर के साथ अपनी मुलाकात के दौरान मानवाधिकार की चिंताओं को उठाया था.

चिट्ठी में यह भी साफ करने की मांग की गई है कि किन हालात में बैन लगेंगे, अमेरिका के लोगों के खिलाफ खतरों का जवाब देने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं, और पाकिस्तानी सेना के साथ अमेरिका का जुड़ाव कैसे सत्तावादी तरीकों का समर्थन करने से बचेगा. उन्होंने लिखा, "ऐसे कदम, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और दूसरे राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग के साथ, मानवाधिकारों के लिए अमेरिका के वादे को और मजबूत करेंगे, अमेरिकी नागरिकों को अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचाएंगे और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देंगे."

चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले सांसदों में रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति, रशीदा तलीब, जेमी रस्किन, यवेट डी. क्लार्क, मैडेलीन डीन, लॉयड डॉगेट, जान शाकोव्स्की, एरिक स्वालवेल, बेनी जी थॉम्पसन, जूडी चू, जो लोफग्रेन, सारा मैकब्राइड, समर ली, इल्हान उमर और मैक्सिन वाटर्स शामिल थे. पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान 2023 से कई मामलों में जेल में हैं, जिन्हें उनके समर्थक और वैश्विक विश्लेषक राजनीति से प्रेरित बताते हैं. यूएन के विशेषज्ञ और अंतरराष्ट्रीय अधिकार संगठनों ने भी बलूच एक्टिविस्ट्स के साथ किए जा रहे बर्ताव और देश में आम लोगों की निगरानी में बड़े पैमाने पर गिरावट पर चिंता जताई है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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