- UN के विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट के अनुसार ओजोन छेद 2024 में पिछले वर्षों की तुलना में छोटा हुआ है.
- ओजोन परत में सुधार मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किये गए प्रयासों, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के कारण संभव हुआ
- ओजोन परत में सुधार से UV रेडिएशन से होने वाले त्वचा कैंसर और पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान कम होने की उम्मीद.
जैसी बची है, वैसी की वैसी, बचा लो ये दुनिया
अपना समझ के अपनों के जैसी उठा लो ये दुनिया…
यह गुलाल फिल्म के एक गाने की दो लाइनें मात्र नहीं हैं, यह आज पूरी मानवता की एक-दूसरे से साझा गुहार है. जब अपनी धरती हर बीतते वक्त के साथ मानवता और उसकी ख्वाहिशों के बोझ तले दबती जा रही है, उसका स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है, एक अच्छी खबर सामने आई है. संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रही कार्रवाई की सफलता की सराहना करते हुए कहा कि पृथ्वी की सुरक्षात्मक ओजोन परत ठीक हो रही है और आने वाले दशकों में उसमें बना छेद पूरी तरह से गायब हो जाना चाहिए.
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) की एक ताजा रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन छेद बीते सालों की तुलना में 2024 में छोटा था. इसमें कहा गया था कि "लोगों और ग्रहों के स्वास्थ्य के लिए यह स्वागत करने लायक वैज्ञानिक समाचार" है.
ओजोन लेयर में कैसे हुआ सुधार- रिपोर्ट में क्या पाया गया है?
WMO ने अपने ओजोन बुलेटिन 2024 को प्रकाशित करते हुए कहा कि ओजोन की कमी में आई गिरावट "आंशिक रूप से स्वाभाविक रूप से होने वाले वायुमंडलीय कारकों के कारण है, जो साल-दर-साल उतार-चढ़ाव को बढ़ाते हैं". लेकिन, इसमें इस बात पर जोर दिया गया कि ओजोन के स्वास्थ्य में दिख रहा दीर्घकालिक सकारात्मक रुझान "एक साथ की गई अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की सफलता को दर्शाता है".
इस बुलेटिन रिपोर्ट को विश्व ओजोन दिवस और वियना कन्वेंशन की 40वीं वर्षगांठ के मौके पर जारी किया गया था. वियना कन्वेंशन ने ही पहली बार समतापमंडल में ओजोन लेयर के हटने, उसमें छेद होने को एक वैश्विक समस्या के रूप में चिन्हित किया था.
एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार WMO ने कहा कि आज तक, उस समझौते के कारण ऐसे ओजोन को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों के 99 प्रतिशत से अधिक उत्पादन और खपत को चरणबद्ध तरीके से बंद कर दिया गया है. "परिणामस्वरूप, ओजोन परत अब इस सदी के मध्य तक 1980 के दशक के स्तर पर पहुंचने की राह पर है, जिससे अत्यधिक यूवी जोखिम के कारण त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) को होने वाले नुकसान के जोखिम में काफी कमी आएगी."
बुलेटिन में बताया गया कि कि ओजोन छेद की गहराई में पिछले साल 29 सितंबर को अधिकतम ओजोन द्रव्यमान की कमी 46.1 मिलियन टन थी - जो 1990-2020 के औसत से कम थी. यह छेद हर वसंत में अंटार्कटिक के ऊपर दिखाई देती है.
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