Oscar में हारकर जीती ‘बगावती’ ईरानी फिल्म, छिपकर बनाया, डायरेक्टर-एक्ट्रेस को मिली है कोड़े की सजा

The Seed of the Sacred Fig: ऑस्कर में हारने वाली फिल्म के बार में हम क्यों बात कर रहे हैं? दरअसल यहां कहानी एक ऐसे फिल्म की है जिसने बगावत की आवाज उठाई, उन कलाकारों की है जिन्होंने चुप रहने से इंकार कर दिया.

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नई दिल्ली:

किसी भी एक्ट्रेस के लिए उसके जीवन का सबसे अच्छा दिन क्या हो सकता है? शायद वह दिन जब फिल्मी दुनिया के सबसे बड़े अवार्ड शो, ऑस्कर (Oscar 2025) में उसकी फिल्म भी कंपीट कर रही हो. उसे भी अवार्ड मिलने का चांस हो. लेकिन क्या होगा अगर उस दिन भी वो एक्ट्रेस अपने देश में ‘बंद' हो और सजा के रूप में कोड़े खाने का इंतजार कर रही हो? ईरान की एक्ट्रेस सोहिला गोलेस्तानी के लिए ये सच्चाई है.

सोमवार, 3 मार्च को जब लॉस एंजिल्स में दुनिया भर के बड़े कलाकार ऑस्कर अवॉर्ड शो में शिरकत कर रहे थे, मंच से एक के बाद एक विनर का नाम अनाउंस किया जा रहा था, सोहिला गोलेस्तानी की कमी खल रही थी. उनकी फिल्म "द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग" को बेस्ट इंटरनेशनल फिल्म कैटेगरी में नॉमिनेट किया गया था. हालांकि यह फिल्म अवार्ड जीतने में असफल रही. 

खास बात है कि सिर्फ फिल्म की एक्ट्रेस सोहिला गोलेस्तानी ही सजा का इंतजार नहीं कर रही हैं. फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर मोहम्मद रसूलोफ और फिल्म के तीन अन्य महिला कलाकारों को जेल से बचने के लिए दूसरे देशों में शरण लेनी पड़ी है. यह फिल्म भी ईरानी कोटे से ऑस्कर में नहीं पहुंचीं थी बल्कि उसे जर्मनी ने ऑस्कर भेजा था.

आप सवाल कर सकते हैं कि ऑस्कर में हारने वाली फिल्म के बार में हम क्यों बात कर रहे हैं? यहां कहानी एक ऐसे फिल्म की है जिसने बगावत की आवाज उठाई, उन कलाकारों की है जिन्होंने चुप रहने से इंकार कर दिया. ये उस सोहिला गोलेस्तानी की कहानी है जिसने कट्टर सरकार नहीं बल्कि अपनी आर्ट और मानवाधिकारों के लिए अपनी वफादारी दिखाई.

ईरान की सच्चाई बयां करती एक पॉलिटिकल ड्रामा फिल्म

यह फिल्म एक पॉलिटिकल ड्रामा है. इसकी कहानी ईरान में 22 साल की महसा अमिनी की हिरासत में मौत के बाद शुरू हुए विरोध-प्रदर्शन के आसपास घूमती है. महसा अमिनी को ठीक से हिजाब नहीं पहनने के आरोप में हिरासत में लिया गया था और सितंबर 2022 में पुलिस हिरासत में ही उसकी मौत हो गई. फिल्म का प्लॉट ईमान (इस किरदार को मिसाघ जारे ने निभाया है) के बारे में बताता है जो एक जांच अधिकारी है और उसे जज बना दिया गया. वह हिजाब विरोधी प्रदर्शन करने वालों को कड़ी सजा दिलाता है. लेकिन उसकी अपनी दो बेटियां (महसा रोस्तमी और सेटरेह मालेकी ने किरदार निभाया है) भी गुप्त रूप से विरोध प्रदर्शन का समर्थन करती हैं, जबकि उसकी पत्नि (सोहिला गोलेस्तानी) बीच में फंसी हुई है और परिवार को टूटने से बचाने की हर कोशिश कर रही है. ईमान इस हद तक आ जाता है कि अपने ही परिवार की जांच कराने लगता है. इसके अलावा निओशा अक्षी ने बहनों की दोस्त की भूमिका निभाई है जो पुलिस की गोली से अंधी हो जाती है.
 

इनमें से फिल्म के डायरेक्टर मोहम्मद रसूलोफ के साथ-साथ महसा रोस्तमी, सेटरेह मालेकी और निओशा अक्षी, सबको ईरान छोड़कर भागना पड़ा है. इन तीनों एक्ट्रेस ने अमिनी की मौत के बाद विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था. ये तीनों भी अभी जर्मनी में रह रही हैं और अपनों से दूर जर्मनी भाषा सीख रही हैं.

वहीं सोहिला गोलेस्टानी ईरान नहीं छोड़ पाईं. उन्हें मां की भूमिका निभाने के लिए 74 कोड़ों के साथ-साथ एक साल की जेल की सजा मिली है. वो बेल पर अभी जेल से बाहर हैं.

सोफे पर बैठे-बैठे, ब्रॉडबैंड इंटरनेट से डायरेक्ट की गई “बगावत” की फिल्म

जिन परिस्थितियों में "द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग" फिल्म को बनाया गया, वो खुद में किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. एक ऐसी कहानी जो अचंभे में भी डालती है और डर भी पैदा करती है. द गार्डियन के लिए स्टाफ जर्नलिस्ट सईद कमाली देहगान ने डायरेक्टर मोहम्मद रसूलोफ का इंटरव्यू लिया था.

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इसमें बताया गया कि जब ईरान में महसा अमिनी की हिरासत में मौत हो गई तब बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ. उस समय मोहम्मद रसूलोफ जेल में थे. इस ईरानी डायरेक्टर को सरकार की आलोचना के लिए जेल में डाला गया था. जेल में बीते वक्त ने ही उन्हें एक नई फिल्म की कहानी दी: एक ऐसे पागल-डरे सरकारी इन्वेस्टिगेटर (पुलिस अधिकारी) की कहानी जो आखिर में अपने ही परिवार के लिए काल बन जाता है.

डायरेक्टर मोहम्मद रसूलोफ, महसा रोस्तामी, सेटरेह मालेकी और मिसाग जरेह ऑस्कर में शामिल हुए.
Photo Credit: एएफपी

जब हिजाब विरोध-प्रदर्शन बढ़ा तो बड़ी संख्या में लोगों को रिहा किया गया और उसमें मोहम्मद रसूलोफ भी जेल से बाहर आ गए. जेल से बाहर आकर, वह इस फिल्म पर काम करने लगे. लेकिन इस बार, पूरी तरह से छिपकर. उन्होंने किसी और के नाम से रजिस्टर्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन का इस्तेमाल किया और लगभग पूरी तरह से अपने सोफे पर बैठे-बैठ ‘द सीड ऑफ द सेक्रेड फिग' फिल्म को डायरेक्ट किया. यानी फिल्म का डायरेक्टर वीडियो कॉल से फिल्म को डायरेक्ट कर रहा था.

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इस इंटरव्यू में उन्होंने बताया, “ज्यादातर काम फेसटाइम (वीडियो कॉल) से किया गया था. फायदा यह हुआ कि अगर कोई सेट पर जांच करने आता तो वह मुझे वहां नहीं पाता. कभी-कभी, जब मुझे करीब होने की जरूरत होती, तो मैं कार में बैठ जाता था या 100 मीटर दूर खड़ा हो जाता था.”

लेकिन जब फिल्म पोस्ट-प्रोडक्शन में थी और 2024 के कान्स फिल्म फेस्टिवल के लिए चुन ली गई थी तब ईरान के अधिकारियों को पता चल गया कि वास्तव में इसे बना कौन रहा है. लगभग उसी समय पूराने मामलों में आठ साल की जेल की सजा दी गई थी. साथ ही अपार्टमेंट में शराब की बोतलें मिलने के आरोप में कोड़े मारने की सजा दी गई थी. उन्हें ईरान से भागना पड़ा, पहाड़ों के रास्ते, छुपते-छुपाते. ईरान छोड़ने के बाद जर्मनी में उन्होंने फिल्म की एडिटिंग का काम पूरा किया.

पहले फिल्म ने कांस फेस्टिवल में स्पेशल जूरी प्राइज जीता और फिर जर्मनी ने इसे ऑस्कर में भेजा. फिल्म ऑस्कर अवॉर्ड्स के इंटरनेशल फीचर फिल्म कैटगरी के फाइनल कट में जगह बनाने में कामयाब रही. हालांकि फिल्म ऑस्कर नहीं जीत सकी और उसकी जगह ‘आई एम स्टिल हियर' को बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म का ऑस्कर अवॉर्ड मिला है.

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तेहरान के फ्लैट में कैद सोहिला गोलेस्टानी

सोहिला गोलेस्टानी एक तरह से तेहरान के अपने फ्लैट में कैद हैं.  ईरान के तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की मौत के बाद डायरेक्टर समेत कई कलाकार देश से भागने में सफल हो गए क्योंकि तब ईरान में कर्फ्यू हटा लिया गया था. लेकिन उस समय गोलेस्टानी ईरान से नहीं भाग सकीं क्योंकि उन्हें इमरजेंसी सर्जरी करानी थी.

द न्यू अरब की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पहली दफा नहीं है जब गोलेस्टानी की ईरानी पुलिस के साथ ठनी है. उन्होंने 2022 में देश की एविन जेल में समय बिताया. इस जेल में कई राजनीतिक कैदियों को कथित तौर पर जिंदा जलाया गया है.

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अगर गोलेस्टानी के पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनका जन्म 1980 में हुआ था. वो एक एक्ट्रेस के साथ-साथ डायरेक्टर भी हैं. वह मिहमन दारिम (2014), शब बिरोन (2014), इमरूज़ (2014), बफेलो (2015), गोर्ग बाजी (2018) और टू डॉग्स (2021) जैसी फिल्मों में दिखाई दी हैं. उन्होंने 2015 में अपने स्क्रीनप्ले पर आधारित फिल्म ‘टू' से डायरेक्टर के रूप में अपनी शुरुआत की.

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