ऑपरेशन सिंदूर के जबरा फैन हुए लंदन के प्रोफेसर, बताया पाक पर क्यों जरूरी था पलटवार

किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डॉ. वाल्टर लाडविग ने एनडीटीवी से बात की और बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में हुई सैन्य कार्रवाई दो परमाणु हथियार संपन्न देशों के बीच एक-दूसरे पर लगातार हमले और जवाबी हमले करने का पहला उदाहरण था

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Operation Sindoor: किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डॉ. वाल्टर लाडविग ने NDTV से बात की

Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में हुआ सैन्य संघर्ष पहला ऐसा उदाहरण था जहां दो परमाणु हथियार संपन्न देश एक-दूसरे पर लगातार हमले और जवाबी हमले कर रहे थे. इसकी वजह से वैश्विक तनाव बढ़ गया. यह कहना है किंग्स कॉलेज लंदन के प्रोफेसर डॉ. वाल्टर लाडविग का. वाल्टर लाडविग ने सिक्योरिटी थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट के लिए 'कैलिब्रेटेड फोर्स: ऑपरेशन सिन्दूर एंड द फ्यूचर ऑफ इंडियन डिटरेंस' शीर्षक से एक एनालिसिस लिखा है. इसमें उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के पीछे जिम्मेदार आतंकवादियों को दंडित करने के लिए सैन्य कार्रवाई की, न कि पाकिस्तान के साथ "व्यापक संघर्ष" भड़काने के लिए.

किंग्स कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के सीनियर लेक्चरर एनडीटीवी से बात कर रहे थे जब उन्होंने यह टिप्पणी की. 

मिस्टर लाडविग ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने पिछले दशक में भारतीय वायु सेना (IAF) द्वारा विकसित की गई क्षमताओं की एक श्रृंखला का प्रदर्शन किया. उन्होंने कहा, "इसका मतलब यह भी हो सकता है कि जब सैन्य अभियानों की बात आती है तो हम एक बहुत ही अनडिस्कवर किए गए देश में हैं. परमाणु युग के संदर्भ में, हमारे पास इससे पहले एसे दो परमाणु हथियार संपन्न देशों का उदाहरण नहीं था जो इस तरह के एक-दूसरे पर हवाई हमलों में लगे हों."

पुलवामा आतंकी हमले के जवाब में किए गए बालाकोट हवाई हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, "साल 2019 थोड़ा महत्वपूर्ण क्षण था, और यह बहुत ही सुव्यवस्थित और व्यवस्थित था."

"हमारे पास ऐसा नहीं है. रूसियों और चीनियों के बीच 1960 के दशक के अंत में लड़ाई हुई थी, यह जमीन पर थी और कुछ मामलों में, लड़ाके तनाव बढ़ने को लेकर चिंतित थे. यह वास्तव में एक नया स्पेस है और आने वाले दशकों में इसका अध्ययन किया जाएगा." 

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प्रोफेसर ने पड़ोसी देश में आतंकी ढांचे पर सटीक हमलों के लिए भारत सरकार की नीतियों को श्रेय दिया. उन्होंने कहा, "मैं इसे सरकार की नीतियों में एक विकास के रूप में देखता हूं. अगर हम 2016 में वापस जाएं, तो सर्जिकल स्ट्राइक (उरी आतंकी हमले के जवाब में), इस तरह की सीमा पार रेड पहले भी हुई है, लेकिन उन्हें कभी प्रचारित नहीं किया गया. उन्हें कभी इतना सार्वजनिक नहीं किया गया. बालाकोट में 2019 के हवाई हमले पिछली मिसाल से अलग थे... और अब आपके पास उससे भी अगला स्तर है, जिसका मतलब है कि कई लक्ष्यों पर कई राउंड में हमला किया गया."

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प्रोफेसर ने यह भी कहा कि देश पर पाकिस्तान के हमलों के खिलाफ भारत के जवाबी हमले, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद तीन रातों तक चले, उसके दीर्घकालिक लक्ष्यों पर संदेह से बचने के लिए आवश्यक थे.

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उन्होंने कहा, "ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवादियों को सजा देने की कोशिश की थी, न कि संघर्ष भड़काने की. इसके अलावा, एक बार जैसे को तैसा का चक्र शुरू हो गया, तो हमला करने की क्षमता दिखाने और प्रदर्शित करने की इच्छा थी, आतंकी ढांचे पर हमला करने की क्षमता से अधिक करने की क्षमता थी, और कुछ हद तक वृद्धि दिखाने की क्षमता थी. यह सवाल उठाता है कि जब सरकार ने ऐसा किया (पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई की) तो क्यों रुक गई और वह पहले मिशन पर वापस क्यों आ गई."

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उन्होंने कहा कि भारत की जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता का प्रदर्शन केवल "बिल्ली और चूहे के खेल" को जन्म देगा. उन्होंने कहा, "हमलों के बाद, जैसे ही कोई बड़ी घटना घटेगी, स्मार्ट आतंकवादी अंडरग्राउंड हो जाएंगे. वे जवाबी कार्रवाई के इंतजार में अपने ठिकानों पर नहीं बैठे रहेंगे."

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