ओमिक्रॉन संभवत: ज्‍यादातर देशों में पहुंचा और अभूतपूर्व तेजी से फैल रहा : WHO

भारत में भी ओमिक्रॉन के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. अफ्रीकी देशों में ही नहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले अमेरिका, यूरोप में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में ओमिक्रॉन के 57 मामले हो चुके हैं.  

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ओमिक्रान वायरस के केस अब तक 77 देशों में मिल चुके हैं.
जिनेवा:

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर एक बार फिर चेतावनी जारी की है. डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि ओमिक्रॉन (Omicron) संभवत: ज्‍यादातर देशों में पहुंच चुका है और अभूतपूर्व तेजी से फैल रहा है. भारत में भी ओमिक्रॉन के लगातार मामले सामने आ रहे हैं. अफ्रीकी देशों में ही नहीं ओमिक्रॉन वैरिएंट के मामले अमेरिका, यूरोप में भी तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में ओमिक्रॉन के 57 मामले हो चुके हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वास्तविकता यही है कि ओमिक्रॉन संभवतः ज्यादातर देशों में पहुंच चुका है, भले ही तमाम देशों में उसकी पुष्टि नहीं हुई हो या पहचान नहीं हो पाई हो.

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डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एदोनाम गेब्रेसस ने संवाददाताओं से बातचीत में मंगलवार को ये बात कही.77 देश अब तक ओमिक्रॉन के मामलों की आधिकारिक तौर पर पुष्टि कर चुके हैं. यूएन की हेल्थ एजेंसी ने कहा कि ओमिक्रॉन बेहद अप्रत्याशित गति से पैर पसार रहा है. उन्होंने कहा कि हमने कोरोना के पहले किसी वैरिएंट की इतनी तेज रफ्तार नहीं देखी. 

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यूएन एजेंसी पहले ही कह चुकी है कि ओमिक्रॉन डेल्टा वैरिएंट को जल्द ही कोरोना के नए मामलों में पीछे छोड़ सकता है. हालांकि उनका कहना है कि मौजूदा टेस्ट तकनीकों और इलाज की पद्धतियों के जरिये ओमिक्रॉन वैरिएंट से निपटा जा सकता है. ओमिक्रॉन कोरोना के अन्य वैरिएंट के मुकाबले बेहद संक्रामक घोषित किया जा चुका है. हालांकि इसमें अस्पताल में भर्ती होने या मृत्यु के मामले बेहद कम रहे हैं. ओमिक्रॉन के ज्यादातर मरीजों में बेहद कम लक्षण या न के बराबर लक्षण मिलते हैं. 

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ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए तमाम देशों ने अफ्रीकी देशों से आने वाले यात्रियों के लिए तमाम अंकुश लगा दिए हैं. एय़रपोर्ट पर आने वाले विदेश यात्रियों के लिए भारत ने भी आरटीपीसीआर टेस्ट अनिवार्य किया है. कोविड पॉजिटिव पाए जाने वाले व्यक्तियों को ओमिक्रॉन वैरिएंट के परिणाम आने तक क्वारंटाइन रहने की शर्त भी है. ओमिक्रॉन के खतरे को देखते हुए कई देशों ने अपने नागरिकों को बूस्टर डोज देने का अभियान शुरू कर दिया है. हालांकि बूस्टर डोज इस वैरिएंट के खिलाफ कितनी कारगर होगी, इसका कोई डेटा अभी तक नहीं है.

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टेड्रोस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ बूस्टर डोज दिए जाने के खिलाफ नहीं है.  लेकिन टीकाकरण को लेकर असमानता से चिंतित है. डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि एक बात मैं स्पष्ट कर देता हूं कि सिर्फ वैक्सीन किसी देश को इस संकट से उबार नहीं सकती. देशों को ओमिक्रॉन वैरिएंट के प्रसार को रोकना होगा. लेकिन तमाम देशों के बीच टीकाकरण की दर में काफी अंतर है. 41 देशों में अभी भी वैक्सीनेशन 10 फीसदी पात्र आबादी तक नहीं पहुंचा है. जबकि 98 देशों में अभी यह 40 फीसदी तक नहीं पहुंचा है. तमाम देशों में आबादी के विभिन्न समूहों में टीकाकरण की दर अलग-अलग है. 

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डब्ल्यूएचओ ने कहा, अगर हम असमानता खत्म कर देंगे तभी कोविड-19 महामारी को भी खत्म कर पाएंगे. अगर हम असमानता तो इसी तरह जारी रहने देंगे तो महामारी भी इसी तरह कायम रहेगी. 

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