मोरक्को के विनाशकारी भूकंप से बचीं खदीजा तेमेरा को मंगलवार को मनोचिकित्सक के पास भेजा गया. वो उन 100 नए आघातग्रस्त रोगियों में से एक थी, जिन्हें 24 घंटों के भीतर देखा जाएगा. पिछले शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंप में 2,900 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से अधिकांश हाई एटलस पर्वत के दूरदराज के गांवों में थे.
संपति के नुकसान के अलावा, सैनिकों और सहायता कर्मियों का कहना है कि ये स्पष्ट होता जा रहा है कि जीवित बचे लोगों में से कई लोग गंभीर मानसिक पीड़ा का सामना कर रहे हैं.
टेमेरा कहती हैं, ''सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम जीवित हैं.''उनकी आंखें आंसुओं से सूज गई हैं. लेकिन अब वह "अपने मन को ठीक करना" चाहती हैं, और मंगलवार को वो मनोचिकित्सक से मिलीं और भूकंप से हुए मेंटल ट्रॉमा से उबरने के लिए मदद मांगी.
वह पहली बार हाई बीपी के इलाज के लिए एक डॉक्टर के पास गई थी. लेकिन क्षेत्र में मोरक्को के सैनिकों ने तुरंत उसे मनोचिकित्सक के पास भेजा, जिन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले दिन से 500 में से लगभग सौ मरीजों को देखा है, जो मराकेश से असनी के फील्ड अस्पताल में आए थे.
उस भयावह दिन के फ़्लैशबैक टेमेरा को परेशान करते रहते हैं. सीढ़ियां गिरने और उसे और उसके परिवार के नौ सदस्यों को बचाए जाने से पहले ही फंस जाने की घटनाएं उसे झकझोरती हैं. लारेब गांव के 68 वर्षीय व्यक्ति ने कहा, "मैं तब से जाग रहा हूं, मुझे नींद नहीं आ रही है - जैसे ही मैं लेटता हूं सब कुछ वापस याद आ जाता है."
बता दें कि विनाशकारी भूकंप के कारण शहर का पूरा नक्शा बदल गया है. 3000 से अधिक लोगों की जान गई है. हजारों लोग बेघर हो गए, अधिकांश लोग टेंट में रह रहे हैं. वहीं, मोहम्मद अल मखकोनी जैसे कुछ लोग आंतरिक मंत्रालय द्वारा प्रदान किए गए वास्तविक पवनरोधी तंबुओं में आश्रय ले रहे हैं. मोहम्मद ने कहा, "मैं अपने परिवार का भरण-पोषण करने वाला एकमात्र व्यक्ति था."
वे परिदृश्य पर हावी हाई एटलस पर्वत श्रृंखला के शिखर पर जाने वाले पर्यटकों को आभूषण बेचकर ऐसा करते थे. लेकिन अब उनके भूतल वाले अपार्टमेंट में "कुछ भी नहीं बचा है", जिससे वह और उनका आठ सदस्यीय परिवार बेसहारा हो गया है.
यह भी पढ़ें -
-- हापुड़ लाठीचार्ज : उत्तर प्रदेश के अधिवक्ता 13 और 14 सितंबर को भी रहेंगे हड़ताल पर
-- उत्तर प्रदेश में वर्षाजनित हादसों में 28 लोगों की मौत, छह जिलों में भारी बारिश का अलर्ट