अमेरिका ने पाकिस्तान के संकटग्रस्त प्रधानमंत्री इमरान खान के उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है, जिनमें उन्होंने कहा कि अमेरिका विपक्षी दलों की मदद से उनकी सरकार गिराना चाहता है. अमेरिका ने कहा कि ये दावे "बिल्कुल सच नहीं है". दरअसल, इमरान खान ने दावा किया था कि उनके खिलाफ विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव उनकी स्वतंत्र विदेश नीति के कारण एक "विदेशी साजिश" का परिणाम है. साथ ही उन्हें सत्ता से बेदखल करने के लिए विदेशों से मिल रहे फंड का इस्तेमाल किया जा रहा है. शुक्रवार को राष्ट्र के नाम एक संबोधन में 69 वर्षीय प्रधानमंत्री ने अपने आरोपों को दोहराया कि एक वरिष्ठ अमेरिकी राजनयिक ने पाकिस्तान में शासन परिवर्तन की धमकी दी थी.
इन आरोपों के सवाल में अमेरिका के उप विदेश विभाग की प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "मैं बहुत स्पष्ट रूप से कहना चाहती हूं कि इन आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है. हम पाकिस्तान की संवैधानिक प्रक्रिया और कानून के शासन का सम्मान और समर्थन करते हैं। लेकिन ये आरोप बिल्कुल सच नहीं हैं."
वहीं पाकिस्तानी सेना के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने संघीय मंत्रिमंडल द्वारा प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व वाली सरकार को अपदस्थ करने की कथित ‘ विदेशी साजिश' की जांच और अमेरिका से भेजे गए तथाकथित ‘धमकी भरे पत्र' के तथ्यों को सामने लाने के लिए गठित आयोग का नेतृत्व करने से इंकार कर दिया है.
‘एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की खबर के मुताबिक, पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने शुक्रवार को बताया कि मंत्रिमंडल ने लेफ्टिनेंट जनरल (अवकाश प्राप्त) तारिक खान के नेतृत्व में एक आयोग का गठन किया, जो यह पता लगाएगी कि सत्ता परिवर्तन की धमकी जिसका जिक्र पत्र में किया गया था, वह वास्तव में था या नहीं.
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