उत्तर कोरिया में खाने की भारी किल्लत, किम जोंग उन ने किया "सुधार के तरीके" खोजने का आह्वान

North Korea को पिछले कुछ दशकों में भोजन की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा है, जिसमें 1990 के दशक में आया अकाल भी शामिल है. उत्तर कोरिया में अक्सर बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का नुकसान होने की वजह से देश में खाने की कमी की समस्या गंभीर हो गई है. 

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किम ने अपनी पार्टी से देश लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने का भी अनुरोध किया है.
नई दिल्ली:

उत्तर कोरिया के लीडिर किम जोंग उन (Kim Jong Un) ने कहा है कि लोगों की बुनियादी जरूरतें, जिसमें खाना भी शामिल है को पूरा न कर पाना एक ''गंभीर राजनीतिक मुद्दा'' है. एक लोकल मीडिया के मुताबिक किम जोंग उन ने गुरुवार को उत्तर कोरिया (North Korea) में आर्थिक विकास में सुधार के तरीके खोजने का आह्वान किया है. 

KCNA के मुताबिक, किम ने मंगलवार और बुधवार के बीच वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया की 8वीं केंद्रीय समिति के राजनीतिक ब्यूरो की 19वीं विस्तारित बैठक में दिए एक भाषण में क्षेत्रीय विकास पर चर्चा की. इस दौरान उन्होंने लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा न कर पाने को गंभीर राजनीतिक मुद्दा बताया और कहा कि आर्थिक विकास में सुधार के तरीके खोजने की जरूरत है. 

बता दें कि उत्तर कोरिया को पिछले कुछ दशकों में भोजन की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा है, जिसमें 1990 के दशक में आया अकाल भी शामिल है. उत्तर कोरिया में अक्सर बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का नुकसान होने की वजह से देश में खाने की कमी की समस्या गंभीर हो गई है. 

दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय, जिस पर अपने पड़ोसी देश के साथ संबंधों को संभालने की जिम्मेदारी है, ने पिछले साल कहा था कि चीन के साथ व्यापार में वृद्धि के बावजूद उत्तर कोरिया में खाद्य स्थिति "अभी भी खराब" है.

उत्तर कोरिया के लीडर किम जोंग उन ने अपनी पार्टी से देशभर में लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने और अपनी नई क्षेत्रीय विकास नीति के जरिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच के अंतर को कम करने के लिए तेजी से बदलाव लाने का भी आग्रह किया है. 

किम के हवाले से कहा गया, ''पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था बुनियादी चीजों के बिना भयानक स्थिति में है. भौगोलिक परिस्थितियों, आर्थिक क्षमता और रहने की परिस्थितियों के मामले में क्षेत्रों के बीच गंभीर असंतुलन और भारी अंतर है''.

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उन्होंने कहा, ''हमें बैठकर चीजों और परिस्थितियों के सही होने का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि लोगों की खातिर अपने कर्तव्य के प्रति वफादार रहते हुए और अधिक नौकरियां ढूंढनी चाहिए.''

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