आरक्षण नहीं, अब निशाने पर शेख हसीना: बांग्लादेश में क्यों सुलग गई यह नई आग?

Protest in Bangladesh: बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में पीएम हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ आवामी लीग के समर्थकों के बीच रविवार को भीषण झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित 98 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हो गए.

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कहीं सेना छोड़ न दे शेख हसीना का साथ!

ढाका:

बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना की कुर्सी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. बात अब आरक्षण से आगे निकल गई है. प्रदर्शनकारी अब शेख हसीना से इस्‍तीफे की मांग कर रहे हैं. लेकिन शेख हसीना की ओर से पद छोड़ने की मांग को सिरे से ठुकरा दिया है. ऐसे में शेख हसीना सरकार और प्रदर्शनकारी आमने-सामने हैं. दोनों के बीच टकराव में अब तक 98 लोगों की जान चली गई है और सैकड़ों अन्‍य घायल हुए हैं. मारे गए लोगों में ज्‍यादातर पुलिसकर्मी हैं, जिन पर प्रदर्शनकारियों का गुस्‍सा फूट रहा है. प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया तथा कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए गृह मंत्रालय ने रविवार शाम छह बजे से देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया. साथ ही सरकारी एजेंसियों ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक', ‘मैसेंजर', ‘व्हॉट्सऐप' और ‘इंस्टाग्राम' को बंद करने का आदेश दिया है.   

बांग्लादेश में क्यों सुलग गई यह नई आग?

बांग्लादेश में क्यों सुलग गई यह नई आग? ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि शेख हसीना सरकार ने 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए लड़ने वालों स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए कई सिविल सेवा नौकरियों में दिए गए आरक्षण को खत्‍म करने का निर्णय लिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने ये कदम उठाया था. इसके बाद ऐसा लग रहा था कि अब प्रदर्शनकारी छात्र अपना 'असहयोग कार्यक्रम' खत्‍म कर देंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. दरअसल, अब ये आंदोलन पूरी तरह से राजनीतिक रंग लेता नजर आ रहा है. अगर ऐसा नहीं होता, तो मांग पूरी होने पर छात्र अभी तक अपना आंदोलन खत्‍म कर चुके होते.   

हिंसक हुआ आंदोलन, अब तक 97 लोगों की मौत

बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में पीएम हसीना के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सत्तारूढ़ आवामी लीग के समर्थकों के बीच रविवार को भीषण झड़पों में 14 पुलिसकर्मियों सहित 98 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों अन्य घायल हो गए. इसके चलते अधिकारियों ने मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी और अनिश्चितकाल के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया. सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे पर हुए बवाल को लेकर सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे प्रदर्शनकारी रविवार को ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के बैनर तले आयोजित ‘असहयोग कार्यक्रम' में भाग लेने पहुंचे. अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया तथा फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई. ‘प्रोथोम अलो' अखबार ने अपनी खबर में बताया कि ‘असहयोग' आंदोलन को लेकर देशभर में हुई झड़पों, गोलीबारी और जवाबी हमलों में कम से कम 97 लोगों की जान चली गई. पुलिस मुख्यालय के अनुसार, देशभर में 14 पुलिसकर्मियों के मारे जाने की खबर है जिनमें से 13 सिराजगंज के इनायतपुर थाने के थे. अखबार के अनुसार, कोमिला के इलियटगंज में एक व्यक्ति की हत्या कर दी गई. इसके अलावा 300 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.

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पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों को फूंका

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आज के विरोध प्रदर्शन में अज्ञात लोग और दक्षिणपंथी इस्लामी शासन तंत्र आंदोलन के कार्यकर्ता शामिल हो गए, जिन्होंने कई प्रमुख राजमार्गों और राजधानी की अंदरूनी सड़कों पर अवरोधक लगा दिए. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थानों, पुलिस चौकियों, सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यालयों और उनके नेताओं के आवासों पर हमला किया तथा कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया. गृह मंत्रालय ने रविवार शाम छह बजे से देश में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाने का निर्णय लिया. सरकारी एजेंसियों ने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक', ‘मैसेंजर', ‘व्हॉट्सऐप' और ‘इंस्टाग्राम' को बंद करने का आदेश दिया है. अखबार ने बताया कि मोबाइल प्रदाताओं को 4जी इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया गया है.

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"तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र, नहीं बल्कि आतंकवादी"

इस बीच, प्रधानमंत्री हसीना ने कहा कि विरोध के नाम पर बांग्लादेश में तोड़फोड़ करने वाले लोग छात्र, नहीं बल्कि आतंकवादी हैं और उन्होंने जनता से ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने को कहा. उन्होंने कहा, "मैं देशवासियों से अपील करती हूं कि इन आतंकियों से सख्ती से निपटा जाए." प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सूत्रों के हवाले से अखबार ने खबर में बताया कि हसीना ने गणभवन में सुरक्षा मामलों की राष्ट्रीय समिति की बैठक बुलाई. बैठक में सेना, नौसेना, वायुसेना, पुलिस, रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी), बांग्लादेश सीमा गार्ड (बीजीबी) के प्रमुखों और अन्य शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों ने हिस्सा लिया. देशभर में जारी हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बीच लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने सोमवार, मंगलवार और बुधवार को तीन दिवसीय सामान्य अवकाश की घोषणा की है. अखबार ने बताया कि नरसिंगडी में सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में अवामी लीग के छह नेताओं और कार्यकर्ताओं को पीट-पीटकर मार दिया गया और कई अन्य घायल हो गए.

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कहीं सेना छोड़ न दे शेख हसीना का साथ!

राजधानी में प्रदर्शनकारी ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल से चार लोगों के शव अपने साथ ले गए. खबर के अनुसार, प्रदर्शनकारी चारों शवों को लेकर सेंट्रल शहीद मीनार पहुंचे और सरकार विरोधी नारे लगाए. वहीं, एक संबंधित घटनाक्रम में सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों के एक समूह ने रविवार को सरकार से सशस्त्र बलों को सड़कों से हटाकर बैरकों में वापस भेजने का आग्रह किया. प्रधानमंत्री हसीना की सरकार में सेना प्रमुख के रूप में काम कर चुके इकबाल करीम ने कहा, "हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह मौजूदा हालात के समाधान के लिए राजनीतिक पहल करे. हमारे सशस्त्र बलों को ऐसे अभियान में उलझाकर उनकी अच्छी प्रतिष्ठा को नष्ट न करें."

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ऐसे सुलगा बांग्‍लादेश...

सरकार विरोधी प्रदर्शनों के समन्वयक नाहिद इस्लाम ने घोषणा की कि वे अपनी एक सूत्री मांग को लेकर सोमवार को प्रदर्शन और सामूहिक धरना देंगे. उन्होंने एक बयान में कहा कि सोमवार को वे आरक्षण सुधार आंदोलन के दौरान हाल ही में देशभर में मारे गए लोगों की याद में शहीद स्मारक पट्टिकाओं का अनावरण करेंगे. बांग्लादेश में हाल में पुलिस और मुख्य रूप से छात्र प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें देखने को मिली थीं जिसमें 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था.
(भाषा इनपुट के साथ...)