'देश की शांति भंग करने की अनुमति किसी को नहीं': इमरान की मांग पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने कहा

न्यायमूर्ति फारूक ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, "विरोध करना आपका अधिकार है, लेकिन नागरिकों के अधिकारों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए."

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इस्लामाबाद:

इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह किसी को भी देश की शांति भंग करने की अनुमति नहीं देगा. साथ ही कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) की उस याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें संघीय राजधानी में महारैली और धरना-प्रदर्शन की अनुमति मांगी गयी है.

हाईकोर्ट ने पीटीआई की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें संघीय सरकार को इस्लामाबाद में शीघ्र आम चुनाव की मांग को लेकर महारैली और धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया गया था.

वहीं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में विरोध मार्च के दौरान गुरुवार को एक अज्ञात बंदूकधारी ने पीटीआई प्रमुख इमरान खान पर गोलियां चलाईं, जिसमें वह घायल हो गए. खान पर यह हमला विरोध मार्च के सातवें दिन उस समय हुआ, जब यह पंजाब प्रांत के वजीराबाद शहर के अल्लाहवाला चौक पर पहुंचे.

देश में मध्यावधि चुनाव की मांग को लेकर खान का हकीकी आजादी मार्च 28 अक्टूबर को लाहौर में शुरू किया गया था. पीटीआई ने 31 अक्टूबर को एक याचिका दायर कर इस्लामाबाद में महारैली और धरना प्रदर्शन करने की अनुमति मांगी थी और प्रदर्शनकारियों को अतिरिक्त सुरक्षा मुहैया कराने की भी मांग की थी. सुनवाई के दौरान, संघीय सरकार ने एक मसौदा हलफनामा पेश किया, जिसमें 39 शर्तें थीं, जिसमें शीर्ष अदालत से पीटीआई को इस्लामाबाद में अपना विरोध प्रदर्शन रोकने की मांग की गई थी.

न्यायमूर्ति उमर फारूक ने मामले की सुनवाई की, क्योंकि इस्लामाबाद प्रशासन और पीटीआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं. न्यायमूर्ति फारूक ने पीटीआई को यह आश्वस्त करने का निर्देश दिया कि रैली के लिए आवंटित स्थान की परवाह किए बिना शांति और सुरक्षा व्यवस्था कायम रखी जाएगी. उन्होंने यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा कि नागरिकों को असुविधा न हो, इस बात का ख्याल रखते हुए सड़कें अवरुद्ध नहीं की जाएंगी.

न्यायमूर्ति फारूक ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा, "विरोध करना आपका अधिकार है, लेकिन नागरिकों के अधिकारों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए."

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इस्लामाबाद प्रशासन की ओर से पेश महाधिवक्ता बैरिस्टर जहांगीर जादून ने कहा कि पीटीआई ने खान द्वारा 25 मई के लंबे मार्च से पहले शीर्ष अदालत को दी गई प्रतिबद्धता का उल्लंघन किया और प्रदर्शनकारियों ने संपत्ति को नुकसान पहुंचाया और पुलिसकर्मियों को जख्मी किया. जादून ने कहा, "उन्होंने (पीटीआई) हमेशा नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया है, इसलिए हम उन पर भरोसा नहीं करते हैं."

पीटीआई की ओर से पेश वकील बाबर अवान ने जादून के तर्क को यह कहकर खारिज कर दिया कि 25 मई के विरोध के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. डॉन अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद प्रशासन ने पीटीआई से एक शपथपत्र मांगा है, जो पार्टी को 39 शर्तों के साथ केवल एक दिन के लिए सभा आयोजित करने की अनुमति देता है. रिपोर्ट के अनुसार, शपथपत्र पर पार्टी प्रमुख खान के हस्ताक्षर की आवश्यकता होगी और रैली में कोई भी हथियार लाने की अनुमति नहीं होगी.

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रिपोर्ट में कहा गया है कि शपथपत्र के तहत लाउडस्पीकर के इस्तेमाल, धार्मिक बयानबाजी और किसी भी राष्ट्रीय या पार्टी के झंडे को जलाने पर भी प्रतिबंध रहेगा.

इस बीच, पीटीआई नेता फवाद चौधरी ने संघीय सरकार की इन शर्तों को 'हास्यास्पद' करार दिया है और कहा है कि वे पार्टी के लिए अस्वीकार्य हैं. उन्होंने कहा, "मार्च के लिए सरकार की अधिकांश मांगें हास्यास्पद हैं. हम इसे स्वीकार नहीं करते. जहां तक ​​हथियारों का सवाल है, हम नहीं लाएंगे. हमारे साथ परिवार, बच्चे और महिलाएं हैं."

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क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान जल्दी चुनाव कराने की मांग कर रहे हैं और वह अपनी मांगों को लेकर इस्लामाबाद की ओर लंबे मार्च का नेतृत्व कर रहे थे. वर्तमान नेशनल असेंबली का कार्यकाल अगस्त 2023 में समाप्त होगा.

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