Nepal Crisis : "राष्ट्रपति ने किया संविधान का उल्लंघन", नागरिकता संशोधन विधेयक पर हो रहा बवाल

“हमारे सामने गंभीर संवैधानिक संकट पैदा हो गया है. राष्ट्रपति संसद के विरुद्ध नहीं जा सकतीं. संसद द्वारा पारित विधेयक को अनुमति देना राष्ट्रपति का दायित्व है. पूरी संवैधानिक प्रक्रिया पटरी से उतर गई है.” - नेपाल में संविधान विशेषज्ञ और वकील दिनेश त्रिपाठी

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
नेपाल की राष्ट्रपति ने उस संविधान संशोधन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं जिसे संसद से पारित कर दिया गया है (File Photo)
काठमांडू:

नेपाल (Nepal) की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ( President Bidhya Devi Bhandari) ने नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने वाले एक अहम विधेयक पर तय समयसीमा के भीतर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है. राष्ट्रपति के इस कदम को संवैधानिक विशेषज्ञ संविधान का उल्लंघन करार दे रहे हैं. गौरतलब है कि विधेयक को संसद के दोनों सदनों द्वारा दो बार पारित किया जा चुका है। राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी भेषराज अधिकारी ने कहा कि नेशनल असेम्बली और प्रतिनिधि सभा की ओर से दो बार पारित किए जाने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजा गया था और उन्होंने उसे संसद द्वारा पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया था.

इसके बाद पुनः विधेयक को भंडारी के पास भेजा गया और उन्हें मंगलवार मध्यरात्रि तक इस पर हस्ताक्षर करना था किंतु उन्होंने नहीं किया. 

सदन के अध्यक्ष अग्नि प्रसाद सापकोटा ने पांच सितंबर को विधेयक को पुनः मंजूरी दी थी और भंडारी के पास भेजा था. संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति को 15 दिन के भीतर विधेयक पर हस्ताक्षर करने होते हैं मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया है.

Advertisement

नागरिकता कानून में द्वितीय संशोधन, मधेस समुदाय केंद्रित दलों और अनिवासी नेपाली संघ की चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से किया गया था. विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिलने से राष्ट्रीय पहचान पत्र प्राप्त करने की प्रतीक्षा कर रहे कम से कम पांच लाख लोग प्रभावित हुए हैं.

Advertisement

विधेयक में वैवाहिक आधार पर नागरिकता देने की व्यवस्था की गई है और गैर-दक्षेस देशों में रहने वाले अनिवासी नेपालियों को मतदान के अधिकार के बिना नागरिकता देना सुनिश्चित किया गया है.

Advertisement

इससे समाज के एक हिस्से में रोष है और कहा जा रहा है कि इससे विदेशी महिलाएं नेपाली पुरुषों से शादी कर आसानी से नागरिकता प्राप्त कर सकेंगी. संविधान विशेषज्ञ और वकील दिनेश त्रिपाठी ने कहा, “यह संविधान का उल्लंघन है. राष्ट्रपति ने संविधान का उल्लंघन किया है."

Advertisement

उन्होंने कहा, “हमारे सामने गंभीर संवैधानिक संकट पैदा हो गया है. राष्ट्रपति संसद के विरुद्ध नहीं जा सकतीं. संसद द्वारा पारित विधेयक को अनुमति देना राष्ट्रपति का दायित्व है. पूरी संवैधानिक प्रक्रिया पटरी से उतर गई है.” त्रिपाठी ने कहा कि संविधान की व्याख्या करने की शक्ति केवल उच्चतम न्यायालय के पास है, राष्ट्रपति को यह अधिकार नहीं है.

नेपाली संविधान के अनुच्छेद 113 (4) के अनुसार यदि विधेयक दोबारा राष्ट्रपति को भेजा जाता है तो उन्हें उसे अनुसार देनी होती है। हालांकि, राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, भंडारी ने संविधान के मुताबिक कार्य किया है.

राष्ट्रपति के राजनीतिक मामलों के सलाहकार लालबाबू यादव ने कहा, “राष्ट्रपति संविधान के अनुरूप कार्य कर रही हैं. विधेयक से कई संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन हुआ और उसकी रक्षा करना राष्ट्रपति का दायित्व है.”

Featured Video Of The Day
Delhi में Mahila Samman Yojana के लिए Monday से Registration शुरू, AAP-BJP में घमासान जारी