नेपाल में प्रदर्शन के बीच सेना के हाथों में कमान
- नेपाल में अराजकता और प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद सेना ने कमान संभाली है
- नेपाल की सेना का सर्वोच्च कमांडर देश का राष्ट्रपति होता है, जो इस्तीफा दे चुके हैं
- नेपाल की सेना को उसकी बहादुरी के लिए जाना जाता है, गोरखा जवान काफी खूंखार होते हैं
नेपाल में अराजकता अपने चरम पर है और प्रदर्शनकारी पूरे देश को तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. देश की तमाम बड़ी इमारतों और बाकी जगहों को आग के हवाले कर दिया गया है. पीएम केपी ओली के इस्तीफे के बाद अब फिलहाल कमान सेना के हाथों में आ गई है. हिंसक प्रदर्शन को रोकने के लिए सेना ने पूरी ताकत लगा दी है और उपद्रवियों के खिलाफ एक्शन लिया जा रहा है. नेपाल के आर्मी चीफ अशोक राज सिगडेल ने Gen-Z नेताओं को बातचीत का ऑफर दिया है. आइए जानते हैं कि नेपाल की सेना कितनी ताकतवर है और युद्ध में इसका क्या इतिहास रहा है.
नेपाल के जनरल अशोक राज सिगडेल के हाथों में फिलहाल देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी आ गई है. ऐसे में नेपाल की सेना को लेकर लोग तमाम तरह की जानकारी हासिल करना चाहते हैं. कुछ लोगों को इस बात में भी दिलचस्पी है कि नेपाल की सेना कितनी ताकतवर है और किसी भी हालत से निपटने में कितनी कारगर साबित हो सकती है.
2008 में मिला नया नाम
नेपाल में आज से कुछ साल पहले लोकतंत्र नहीं था, यहां राजशाही चलती थी और राजा का पद हुआ करता था. 2008 में नेपाल में 240 साल की राजशाही को खत्म कर लोकतंत्र स्थापित किया गया. इसके बाद नेपाल की सेना का नाम भी बदला गया. राजशाही के दौर में नेपाली सेना को गोरखाली सेना कहा जाता था. राजाओं का दौर खत्म होने के बाद इसे नेपाल आर्मी कहा जाने लगा.
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नेपाल की सेना में कुल कितने जवान?
नेपाल एक छोटा देश है, जिसकी आबादी करीब तीन करोड़ है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के मुताबिक नेपाल के पास करीब 1 लाख 20 हजार सैनिक हैं. इसमें तमाम फोर्स शामिल है. इसके अलावा शहर की कानून व्यवस्था पुलिस के हाथ में है. नेपाली सेना का सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति होता है.
कितनी ताकतवर है नेपाल की सेना?
दक्षिण एशिया की सबसे पुरानी सेनाओं में नेपाली सेना का नाम भी आता है. नेपाल के पास कोई खतरनाक फाइटर जेट्स और टैंक नहीं हैं, लेकिन उसकी सेना के पास कुछ एडवांस्ड वैपन हैं. नेपाल अमेरिका से भी हथियार खरीदता है, इनमें मालवाहक विमान भी शामिल हैं. हालांकि नेपाली सेना की ताकत उनकी बहादुरी को माना जाता है, गोरखा जवान अपनी जान की परवाह किए बिना दुश्मन के सामने खड़े होते हैं और डटकर मुकाबला करते हैं. यही वजह है कि दुनिया में इसे सबसे खतरनाक आर्मी के तौर पर जाना जाता है.
नेपाल ने कितने युद्ध लड़े?
नेपाल जैसे छोटे देश के साथ कभी भी किसी देश का सीधे युद्ध नहीं हुआ है. कई दशक पहले अंग्रेजी हुकूमत और नेपाल की सेना के बीच एक युद्ध हुआ था. ईस्ट इंडिया कंपनी ने नेपाल पर कब्जा करने के लिए अपनी सेना को भेजा और हमला कर दिया, जिसका गोरखा जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया. हालांकि नेपाल का काफी हिस्सा अंग्रेजों के कब्जे में चला गया, लेकिन ब्रिटिश सेना ने नेपाल के जवानों की हिम्मत की दाद दी और उनकी बहादुरी को खूब सराहा.
ब्रिटिश सेना ने बाद में गोरखा रेजिमेंट की शुरुआत की और अपने कई युद्धों में इसका इस्तेमाल किया. गोरखा सैनिकों ने पहले और दूसरे विश्व युद्ध में लड़ाई लड़ी और अंग्रेजों की बड़ी मदद की. इसके अलावा यूएनओ ने भी गोरखा सैनिकों का इस्तेमाल कई जगह किया. गोरखा जवानों की बहादुरी का ही नतीजा है कि ब्रिटिश और इंडियन आर्मी में आज भी गोरखा रेजिमेंट है.