- नेपाल में जेन-जेड विरोध प्रदर्शनों के दौरान 14,558 कैदी भागे, जिनमें से 7,735 कैदी वापस जेलों में लौट आए हैं
- सुरक्षा बलों ने भागे कैदियों को गिरफ्तार करने के लिए अभियान चलाया और भारतीय पुलिस ने भी सहयोग किया है
- जांच आयोग ने पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और अन्य पूर्व अधिकारियों पर विदेश यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है
नेपाल के 'जेन-जेड' विरोध प्रदर्शनों के दौरान वहां के विभिन्न जेलों से भागे 7,700 से अधिक कैदी या तो वापस लौट आए हैं या उन्हें उनके संबंधित हिरासत केंद्रों में वापस लाया गया है. वहीं दूसरी तरफ विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुए शारीरिक, मानवीय और भौतिक नुकसान की जांच कर रहे आयोग ने कड़ा कदम उठाते हुए पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पूर्व गृह मंत्री रमेश लेखक के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है.
नेपाल की जेलों में वापस लौटें कैदी
जेल प्रबंधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, 8 और 9 सितंबर को 'जेन-जेड' विरोध प्रदर्शनों के दौरान, नेपाल भर के हिरासत केंद्रों से कुल 14,558 कैदी भाग गए थे. सुरक्षा बलों के साथ झड़प के दौरान दस कैदियों की मौत हो गई है, जबकि 7,735 कैदी जेलों में लौट आए हैं. कुछ कैदी स्वेच्छा से वापस लौट आये हैं, जबकि अन्य को सुरक्षा बलों ने गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि, विभिन्न जेलों से 6,813 कैदी अभी भी फरार हैं. सरकार ने फरार कैदियों की गिरफ्तारी के लिए अभियान शुरू कर दिया है.
नेपाल पुलिस के प्रवक्ता उप महानिरीक्षक बिनोद घिमिरे ने कहा कि भारतीय पुलिस ने उन लोगों को गिरफ्तार करने में भी मदद की, जिन्होंने भारत भागने की कोशिश की थी. डीआइजी घिमिरे ने कहा कि भागे हुए कैदियों को गिरफ्तार करने के लिए नेपाली सेना, नेपाल पुलिस और सशस्त्र पुलिस बल का अभियान चल रहा है.
केपी ओली के देश छोड़ने पर रोक लगी
जांच आयोग ने रविवार को जारी बयान में कहा कि उसने संबंधित सरकारी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि ओली और लेखक के अलावा पूर्व गृह सचिव गोकर्ण मणि दुवादी, राष्ट्रीय जांच विभाग के पूर्व प्रमुख हुतराज थापा और काठमांडू के पूर्व मुख्य जिला अधिकारी छवि रिजाल की विदेश यात्रा पर भी प्रतिबंध लगाया जाए. आयोग ने स्पष्ट किया कि ये सभी लोग जांच के दायरे में हैं और किसी भी समय पूछताछ के लिए बुलाए जा सकते हैं, इसीलिए इन्हें न केवल विदेश जाने से, बल्कि बिना अनुमति काठमांडू घाटी छोड़ने से भी रोका गया है.
गौरतलब है कि 8 और 9 सितंबर को हुए जनजातीय विरोध प्रदर्शनों के पहले दिन पुलिस गोलीबारी में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई थी. आने वाले दिनों में यह संख्या बढ़कर 70 से अधिक हो गई, क्योंकि कई घायलों ने दम तोड़ दिया और आगजनी की घटनाओं में भी लोगों की जान चली गई. प्रदर्शनकारियों ने मांग की है कि इन मौतों और हिंसक घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाए.
पिछले हफ्ते गठित इस जांच आयोग की अध्यक्षता पूर्व विशेष न्यायालय अध्यक्ष गौरी बहादुर कार्की कर रहे हैं। आयोग को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह मानवीय और भौतिक क्षति का आकलन करे, घटनाओं के कारणों की पहचान करे और अपने निर्णायक निष्कर्षों के साथ सिफारिश पेश करे. इसके अलावा आयोग को अपनी सिफारिशों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक स्पष्ट कार्ययोजना भी प्रस्तुत करनी होगी.