NASA ने बताया अत्यधिक गर्मी से कैसे खत्म हुआ शुक्र, धरती कैसे बची?

अगर  पर्यावरण बेहद गर्म हो जाता है तो सागर भाप बनना शुरू हो जाते हैं. अधिक पानी के साथ, पर्यावरण अधिक गर्मी सोखते हैं और इससे शीतोष्ण दुनिया अत्यधिक गर्मी से खत्म हो जाती है.  

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NASA ने बताया अत्यधिक गर्मी से कैसे खत्म हुआ शुक्र, धरती कैसे बची?
शुक्र ग्रह पर लंबे समय तक फटते रहे ज्वालामुखी

नई रिसर्च ने यह बताया है कि शुक्र ग्रह पर तबाही के लिए ज्वालामुखियों ने बड़ी भूमिका निभाई और उसे रहने लायक नहीं छोड़ा. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की तरफ से की गई रिसर्च बताती है कि कई हज़ार साल पहले ज्वालामुखी फटने से शुक्र ग्रह शीतोष्ण और नम इलाके से एसिडिक गर्म गोले में बदल गया होगा. शुक्र को उसके बेहद अधिक तापमान के लिए जाना जाता है. यह पारे को पिघलाने के लिए और ज्वालामुखी की गतिविधियों के लिए जाना जाता है. धरती जैसे स्ट्रक्चर और आकार वाले ग्रह शुक्र के मोटे, ज़हरीले पर्यावरण ने ग्रीनहाउस इफेक्ट, पैदा कर रखा है.  NASA के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज़ और के डॉ. माइकल जे वे कहते हैं, "धरती और शुक्र पर बड़े ज्वलनशील इलाकों (LIP) के रिकॉर्ड को समझने से हम यह निर्धारित कर सकते हैं कि शुक्र ग्रह पर ऐसे हालात क्यों बने." 

NASA ने कहा कि यह LIP लंबे समय तक ज्वालामुखी फटने के कारण बने हैं. इन ज्वालामुखियों के फटने से इसकी सतह पर 100,000 क्यूबिक मील तक यह लावा अब पिघली हुई चट्टान की तरह जम गया है. यह पूरे टेक्सास को आधे किलोमीटर तक दफनाने के लिए काफी है.   

LIP किसी ग्रह को कैसे प्रभावित करते हैं?

यह ज्वलनशील क्षेत्र किसी भी ग्रह के पर्यावरण को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं. शुक्र के मामले में, इन क्षेत्रों ने ग्रीनहाउस गैस पर्यावरण में छोड़ी, जिससे रनवे इफेक्ट बना.  

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अगर  पर्यावरण बेहद गर्म हो जाता है तो सागर भाप बनना शुरू हो जाते हैं. अधिक पानी के साथ, पर्यावरण अधिक गर्मी सोखते हैं और इससे शीतोष्ण दुनिया अत्यधिक गर्मी से खत्म हो जाती है.  

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धरती ने टाला यह भविष्य 

नासा का कहना है कि हमारे ग्रह पर इसकी 540 मिलियन साल पहले जीवन उत्पत्ति से अब तक कम से कम पांच बार प्रलय आ चुकी है. हर बार ऐसी घटनाओं में हमारे ग्रह का 50 प्रतिशत जीवन खत्म हो चुका है.  स्पेस एजेंसी का कहना है कि अधिकतरबार ऐसी घटनाएं ज्वालामुखी फटने से हुईं जिसकी वजह से  LIP बने. लेकिन धरती हर बार शुक्र जैसे हालात से बचती रही है. वैज्ञानिक अभी भी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्यों हुआ. 
 

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