PM Modi UN Speech: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के 'समिट ऑफ द फ्यूचर' में दिया 4 मिनट 30 सेकंड भाषण वैसे तो आपको सीधा-सपाट सा नजर आएगा, लेकिन ऐसा था नहीं. दुनिया के सबसे बड़े मंच से दुनिया के सबसे बड़े मुल्कों के लिए इसमें कई संदेश छिपे थे. कूटनीति की भाषा में बातें भी कोड में चलती हैं. मोदी के भाषण में भी यही कोड थे.अगर आप इसे गौर सुनेंगे तो इसमें पाकिस्तान और चीन की कारस्तानी की पूरी कहानी थी, तो साथ ही वीटो पावर रखने वाले मठाधीश मुल्कों के लिए आईना भी था, जो भारत के लिए सुरक्षा परिषद का दरवाजा बंद रखे हुए हैं. कैसे लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना की जाती है, पीएम मोदी ने भारत की जमीन पर जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता दिलाने का जिक्र कर यह बताया. आइए दुनिया के सबसे मंच से पीएम मोदी के इस भाषण के कोडवर्ड को समझते हैं...
संदेश नंबर 1: भारत लोकतंत्र की सबसे बुलंद आवाज है, दुनिया इसे सुने
पीएम मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत इन्हीं लाइनों के साथ की. उन्होंने बताया कि दुनिया में भारत कद क्या है और उसे क्यों गौर से सुना जाना चाहिए. पीएम मोदी ने 'मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव' के जरिए दुनिया को भारतीय लोकतंत्र के विराट स्वरूप के दर्शन कराए. उन्होंने यह क्यों कहा, इसका जवाब उनकी उनकी अगली लाइन में छिपा था, जिसमें उन्होंने कहा कि भारत के वाशिंदों की बात को दुनिया को गौर से सुनना चाहिए.
संदेश नंबर 2- 'ग्लोबल साउथ' की आवाज
संदेश नंबर-3 साड्डा हक इत्थे रख...
संयुक्त राष्ट्र के मंच से कही गई पीएम मोदी की इस लाइन को आप थोड़ा फिल्मी लहजे में 'साड्डा हक, इत्थे रख' कह सकते हैं. भारत दुनिया का सबसे विशाल लोकतंत्र है. एक ऐसी अर्थव्यवस्था है, जो टॉप तीन में आने के लिए तैयार है. इन शब्दों के जरिए पीएम मोदी ने सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के बंद दरवाजों पर एक जोरदार धक्का मारा है. उन्होंने इशारों में बता दिया कि रिफॉर्म के बिना काम चलेगा नहीं. साथ ही अफ्रीकन यूनियन का उदाहरण देकर भी बता दिया कि हक कैसे दिया जाता है.
संदेश नंबर 4- चीन-पाक पर ग्लोबल ऐक्शन की बात
पीएम मोदी के भाषण के इस हिस्से में दुनिया के मुल्कों के लिए ताकीद है. नाम नहीं है, लेकिन जिक्र पाकिस्तान और चीन का है. एक आतंकवाद का सरपरस्त है. दूसरे की समंदर की दादागीरी से पड़ोसी परेशान हैं.दुनिया में शांति के लिए बड़ा खतरा बताते हुए पीएम मोदी ने साफ-साफ कहा कि जुबानी खर्च से काम नहीं चलेगा, ग्लोबल ऐक्शन जरूरी है.