भारत ने भूकंप प्रभावित म्यांमार को 50 टन राहत सामग्री की नयी खेप भेजी

म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के कुछ मिनट बाद 6.4 तीव्रता का आफ्टरशॉक भी आया, जिससे देश के कई हिस्सों में तबाही मच गई.

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नई दिल्ली:

भारत ने म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के पीड़ितों की मदद के लिए सोमवार को 50 टन राहत सामग्री की एक नयी खेप भेजी. इस भूकंप से म्यांमार में 2,000 से अधिक लोगों की मौत हो गयी और 3,900 अन्य घायल हुए हैं. राहत सामग्री को भारतीय नौसेना के दो जहाजों - आईएनएस सतपुड़ा और आईएनएस सावित्री ने म्यांमारके यांगून शहर पहुंचाया. अधिकारियों ने बताया कि भारतीय नौसेना के तीन और जहाज - आईएनएस करमुख, आईएनएस घड़ियाल और एलसीयू-52 यांगून के लिए 500 टन से अधिक अतिरिक्त सहायता सामग्री लेकर रवाना हो गए हैं.

भारत ने शुरू किया ऑपरेशन ब्रह्मा

भारत ने शुक्रवार को म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप से हुई तबाही की त्वरित प्रतिक्रिया के रूप में ‘ऑपरेशन ब्रह्मा' नाम से राहत मिशन शुरू किया था. शनिवार को भारत ने भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए पांच सैन्य विमानों से राहत सामग्री, बचाव दल और चिकित्सा उपकरण म्यांमा भेजे थे. म्यांमार स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, भारतीय वायुसेना का एक और सी-130 विमान के मंगलवार को 15 टन से अधिक राहत सामग्री लेकर मांडले में उतरने की उम्मीद है. 

भूकंप के बाद चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था

म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भीषण भूकंप के बाद स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह चरमरा गई है. सोमवार को मृतकों की संख्या बढ़कर 2,056 हो गई, जबकि करीब 3,900 लोग घायल और 270 लोग लापता बताए जा रहे हैं. देश के दो प्रमुख शहरी क्षेत्र मंडाले और नयपीताव भूकंप के घायलों के बढ़ते दबाव से जूझ रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल आमतौर पर पहले ही मरीजों से भरे हैं, लेकिन अब हालात और भी बदतर हो गए हैं. जगह और संसाधनों की भारी कमी है, लेकिन फिर भी स्टाफ अपनी पूरी कोशिश कर रहा है, भले ही उनकी संख्या काफी कम हो.

मंडाले में हालात सबसे ज्यादा खराब

रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले चार वर्षों से जारी सैन्य शासन ने म्यांमार की स्वास्थ्य सेवाओं को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. भूकंप से पहले भी कई अस्पतालों की स्थिति खराब थी, लेकिन अब हालात और बिगड़ गए हैं. मंडाले में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं, क्योंकि यहां के 80 प्रतिशत से अधिक मेडिकल स्टाफ सैन्य शासन के खिलाफ सिविल नाफरमानी आंदोलन में शामिल हो चुके हैं. पिछले एक महीने में सात निजी अस्पतालों के लाइसेंस इसलिए रद्द कर दिए गए, क्योंकि उन्होंने सरकारी अस्पतालों के पूर्व कर्मचारियों को नौकरी पर रखा था.

भूकंप में बचे-खुचे अस्पताल भी बर्बाद

भूकंप से पहले ही मंडाले के कई निजी अस्पताल बंद हो चुके थे, क्योंकि सैन्य सरकार ने उन्हें काम करने से रोक दिया था. अब भूकंप में बचे-खुचे अस्पताल भी बर्बाद हो गए हैं, जिससे इलाज पूरी तरह ठप हो गया है. मंडाले जनरल अस्पताल, जो सैन्य शासन द्वारा संचालित है, वहां का दृश्य भूकंप के बाद बेहद भयावह हो गया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया, "अस्पताल में दाखिल होते ही चारों तरफ खून से लथपथ मरीज बिखरे पड़े थे. बेड की भारी कमी थी, मरीज जमीन पर पड़े थे. डॉक्टरों की संख्या कम होने के कारण कुछ लोग बस बैठे हुए थे, असहाय और हताश."

म्यांमार के मौसम विज्ञान और जल विज्ञान विभाग के अनुसार, अब तक 36 आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद आने वाले झटके) दर्ज किए गए हैं, जिनकी तीव्रता 2.8 से 7.5 के बीच थी. शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप के कुछ मिनट बाद 6.4 तीव्रता का आफ्टरशॉक भी आया, जिससे देश के कई हिस्सों में तबाही मच गई.

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