भीषण गर्मी के बीच साउथ अमेरिकी देश चिली के जंगलों में आग (Chile Wildfires)लगने से तबाही मची हुई है. जंगलों से रिहाइशी इलाकों तक फैले आग में अब तक 122 लोगों की मौत हो चुकी है. मरने वालों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका जताई जा रही है. सैकड़ों लोग लापता भी हैं. आग में अब तक 1100 से ज्यादा घर जल गए है. गंभीर हालत को देखते हुए चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक ने देश में आपातकाल (National Emergency)की घोषणा कर दी है. चिली में दो दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान भी हुआ है. ये आग कब लगी इसकी जानकारी नहीं है.
'न्यूयॉर्क टाइम्स' के मुताबिक, चिली में 14 साल बाद ऐसी तबाही देखने को मिली है. 2010 में यहां भूकंप आया था. इसमें 400 लोगों की मौत हो गई थी। 15 लाख लोग बेघर हुए थे. आइए जानते हैं आखिर चिली के जंगलों में कैसे लगी आग और क्यों मची ऐसी तबाही...
जंगल में कैसे लगती है आग?
आग जलने के लिए हीट, फ्यूल और ऑक्सीजन जरूरी होते हैं. जंगल में ऑक्सीजन हवा में ही मौजूद होती है. पेड़ों की सूखी टहनियां और पत्ते फ्यूल का काम करते हैं. वहीं, एक छोटी चिंगारी हीट का काम कर जाती है. गर्मी के मौसम में एक हल्की चिंगारी ही पूरे जंगल को आग की चपेट में लेने के लिए काफी होती है. फिर देखते ही देखते आग फैल जाती है. यहां तक कि पूरे गांव या शहर को अपनी चपेट में ले लेती है.
चिली के जंगलों में क्यों लगती है आग?
मौसम पैटर्न एल नीन्यो (El Nino effect) के चलते दक्षिण अमेरिका में कई हिस्सों में सूखा और उच्च तापमान देखे गए. इससे जंगल की आग का खतरा बढ़ जाता है. फरवरी की शुरुआत से ही चिली में तापमान बहुत बढ़ गया और हवा में रूखापन था. इस वजह से जंगल में आग लग गई.
आग इतनी तेजी से क्यों फैली?
चिली में गर्मी पूरे जोरों पर है. पिछले सप्ताह से भयंकर लू के कारण तापमान 40 डिग्री सेल्सियस (104 डिग्री फॉरेनहाइट) तक पहुंच गया है. शुक्रवार को चिली की राजधानी सैंटियागो से लगभग 120 किलोमीटर (74 मील) दूर, समुद्र तटीय शहर विना डेल मार और तटीय वालपराइसो क्षेत्र के अन्य स्थानों पर स्थित पहाड़ों में कई आग लग गई. तटीय क्षेत्र की पहाड़ी ढलानों पर आग की लपटें हवा की ओर तेजी से बढ़ती हैं, जिससे खतरा बढ़ जाता है.
आग में कहां हुआ सबसे ज्यादा नुकसान?
विना डेल मार (vina del mar) और वालपराइसो शहर (Valparaíso City) आग की लपटों में सबसे बुरे फंसे हुए हैं. दोनों तटीय शहर लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण हैं. वहां 10 लाख से ज़्यादा लोग रहते हैं. न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' के ड्रोन फुटेज में पूरा शहर झुलसा हुआ दिखाई दे रहा है. रहने वाले जले हुए घरों में अपना बचा-खुचा सामान तलाश रहे हैं. गाड़ियां सड़कों पर जली पड़ी हैं.
अब तक कितने लोगों की गई जान?
न्यूज एजेंसी 'रॉयटर्स' की रिपोर्ट के मुताबिक, 4 फरवरी की दोपहर तक 99 शव बरामद किए हैं, जिनमें 32 की पहचान हो चुकी है. अब तक 112 लोगों की मौत की खबर है, लेकिन शव बरामद नहीं हुए हैं. अकेले विला इंडिपेंडेंसिया के एक घर में 19 लोग मारे गए. यहां परिवार लकड़ी जैसी हल्की सामग्री से बने घरों में रहते हैं. देश की राष्ट्रीय आपदा सेवा के मुताबिक, 4 फरवरी की दोपहर तक मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में लगभग 64,000 एकड़ ज़मीन जल चुकी है.
क्या आग की वजह सिर्फ भीषण गर्मी?
अधिकारी इस संभावना की जांच कर रहे हैं कि आग जानबूझकर लगाई गई थी? राष्ट्रीय वानिकी निगम (कोनाफ) के अनुसार, देश में 99.7 प्रतिशत आग जानबूझकर या लापरवाही से लगाई जाती है. प्रोफेसर कैस्टिलो ने कहा, "चिली में जानबूझकर आग लगाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. ऐसी घटनाओं में 20 साल तक की जेल की सजा हो सकती है. हालांकि, इन मामलों में अपराधी शायद ही कभी पकड़े जाते हैं.
क्या क्लाइमेट चेंज भी इसके लिए जिम्मेदार है?
वैज्ञानिकों का कहना है कि ह्यूमन एक्टिविटी की वजह से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग भी आग के हादसों के लिए जिम्मेदार है. दुनिया के इस हिस्से में अल नीनो मौसम की घटना का प्रभाव भी तेज हो गया है. दरअसल, अल नीनो प्रशांत महासागर के तापमान को बढ़ाता है, जिससे कुछ क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है और कुछ क्षेत्रों में सूखा पड़ता है.
हाल ही में 'नेचर' जर्नल में प्रकाशित एक स्टडी में क्लाइमेटोलॉजिस्ट राउल कोर्डेरो ने कहा, "उष्णकटिबंधीय प्रशांत क्षेत्र (Tropical Pacific) में सिर्फ कुछ डिग्री का बदलाव हल्के जंगल की आग और व्यापक तबाही के बीच अंतर पैदा कर सकता है."
आग की घटनाओं से कैसे निपट रहा चिली?
चिली के अधिकारियों ने आग प्रभावित क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. आग को फैलने से रोकने के लिए फायर फाइटर्स की मदद के लिए सेना को भेजा गया है. 31 फायर ब्रिगेड हेलीकॉप्टर्स आग की लपटों को बुझाने के लिए पानी गिरा रहे हैं. लगातार करीब 1400 फायर टेंडर, 1300 सैनिकों और वॉलन्टियर आग बुझाने में जुटे हुए हैं. आग में 1100 से ज्यादा घर जल गए है.
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