QR कोड खोजा और पूरी दुनिया के लिए फ्री रख दिया, कौन था वो फरिश्ता

संसद में सुधा मूर्ति ने QR कोड को ग्लोबल इकोनॉमी बूम का एक अहम कारण बताया. QR कोड बनाकर दुनिया को स्कैन करने की आदत जापानी इंजीनियर मसाहिरो हारा ने दे दी थी. जिससे आज पेमेंट, टिकटिंग, हेल्थ, बिजनेस, सब बदल गया है. जानें क्या है QR कोड की कहानी.

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  • मसाहिरो हारा ने 1994 में QR कोड बनाया, जो बारकोड से तेज और ज्यादा जानकारी वाला था. इसे लाइसेंस मुक्त रखा गया.
  • इससे QR कोड अधिक-से-अधिक लोगों तक पहुंचा और इसने पेमेंट, टिकट, हेल्थ रिकॉर्ड और बिजनेस को बेहद आसान बना दिया.
  • स्मार्टफोन और मामूली से खर्च के साथ शुरू होने वाला QR कोड आज दुनिया भर में रोजमर्रा की जरूरत बन गया है.
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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान उच्च सदन राज्यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने गुरुवार को सोशल इनोवेटर्स को लेकर कुछ रोचक बातें कीं. इस दौरान उन्होंने कहा कि सोशल इनोवेटर्स के अहम योगदानों की वजह से आज आमजन कहीं आसान जिंदगी गुजार रहे हैं. इस दौरान उन्होंने क्यूआरकोड का जिक्र किया और बोलीं कि जिस शख्स ने जापान में QR Code का इजाद किया था, उन्होंने उसे पेटेंट नहीं कराया. मानव कल्याण और बहुजन हिताय के लिए इसे फ्री रखा, आज वही क्यूआर कोड ग्लोबल इकोनॉमी को बूम कर रहा है.

आज मोबाइल के जरिए जिस क्यूआर कोड को स्कैन करने भर से पेमेंट हो जाता है, कोई मेन्यू खुल जाता है, टिकट डाउनलोड हो जाती है या कोई वेबसाइट खुल जाती है, उसे इस्तेमाल तो बड़ी संख्या में लोग कर रहे हैं पर क्या आपने कभी सोचा है कि ये जादू जैसा लगने वाला QR कोड बनाया किसने?

तो चलिए बताते हैं कि इस कमाल की खोज के पीछे जापान के इंजीनियर मसाहिरो हारा हैं. उन्होंने 1994 में एक ऐसा कोड बनाया, जिसने दुनिया का काम करने का तरीका ही बदल दिया. 

Photo Credit: Denso

QR कोड को इजाद करने के पीछे की कहानी

दरअसल उस समय जापान की ऑटोमोबाइल कंपनी डेनसो (Denso) में एक बड़ी समस्या थी- हर कार पार्ट पर लगा बारकोड बहुत कम जानकारी रख पाता था और उसे मशीन से पढ़ने में वक्त लगता था. बारकोड की लाइनें अधिक डेटा भी नहीं संभाल पाती थीं.

कंपनी के इंजीनियर मसाहिरो हारा इसे आसान बनाना चाहते थे. उन्होंने सोचा कि अगर बारकोड की लाइनों को चौकोर डिब्बों में बदल दिया जाए और डेटा ऊपर-नीचे दोनों तरफ रखा जाए, तो क्या ज्यादा जानकारी नहीं आ सकती? उन्होंने अपनी टीम के साथ दिन-रात मेहनत की और एक नया 2D कोड बना दिया. 

हालांकि इसके बावजूद बारकोड की अपनी सीमाएं थी. इसे छोटे हिस्सों पर लगाना मुश्किल था, इसमें कम जानकारी स्टोर होती थी और स्कैनिंग धीमी होती थी.

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इस समस्या से निजात पाने के लिए हारा ने कैमरा से रीड करने वाला कोड और एरर को सही करने वाली तकनीक को इसमें जोड़ा और फिर जो QR कोड बन कर तैयार हुआ वो न केवल आकार में छोटा था बल्कि इसमें अधिक जानकारी भी स्टोरी की जा सकती थी. यह इतना स्मार्ट बनाया गया है कि अगर कोड थोड़ा फट भी जाए या गंदा हो, तब भी स्कैन हो जाता है.

Denso ने QR कोड के उपयोग करने का लाइसेंस खुला रखा. यानी इसे इस्तेमाल करने से किसी को रोका नहीं गया. छह सालों के भीतर इसने ग्लोबल प्रसिद्धि पा ली और साल 2000 में कैमरा फोन के साथ QR रीडिंग की उपलब्धता ने इसे बाजार में फैलने का अनूठा मौका दिया. बाद के वर्षों में iOS में कैमरे से QR स्कैनिंग और COVID-19 के दौरान कॉन्टैक्टलेस सेवाओं पर जोर ने इस QR कोड को लगभग हर जगह ही ला दिया.

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Photo Credit: ANI

QR कोड ने दुनिया कैसे बदल दी?

मसाहिरो हारा का ये कमाल का आइडिया अपने इजाद के तीन दशक बाद, आज की तारीख में बड़ा बन गया है कि दुनिया का लगभग हर स्मार्टफोन इसे पढ़ सकता है. 

डिजिटल पेमेंट आसान हो गया: छोटी दुकानों से लेकर बड़े मॉल तक, सभी QR पेमेंट इस्तेमाल करते हैं. किसी मशीन, कार्ड या स्वाइप की जरूरत नहीं- बस स्कैन करो और पेमेंट हो गया. कोविड के समय तो यह सबसे सुरक्षित तरीका बन गया.

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हेल्थ, टिकटिंग और ट्रैवल में क्रांतिः QR कोड की मदद से अस्पतालों में रिपोर्ट, टेस्ट रिजल्ट और मरीज की जानकारी सेकंडों में खुल जाती है. ट्रेन, बस, मेट्रो, सिनेमा, हर जगह QR टिकट चल रहा है. अब चाहे बुकिंग हो या चेक-इन सब एक स्कैन में होता है.

दुकानदारों और छोटे बिजनेस को बड़ा फायदाः QR कोड को लेकर एक सबसे खास बात यह है कि इसके लिए कोई बड़ी मशीन की जरूरत नहीं होती, यानी कोई भारी खर्च ही नहीं होता. केवल एक प्रिंटेड QR स्टिकर और पूरा डिजिटल सिस्टम तैयार. इसने छोटे व्यापारियों को डिजिटल दुनिया से जोड़ दिया.

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मार्केटिंग और एडवरटाइजिंग में क्रांतिः अब हर पोस्टर, पैकेट, बोर्ड पर QR लगा मिलता है. स्कैन करें और सीधे वेबसाइट, वीडियो, ऑफर या ऐप पर पहुंच जाएं. 

Photo Credit: NDTV

QR कोड इतना सफल क्यों हुआ?

इसके पीछे तीन मुख्य वजहें दिखती हैं.

मुफ्त और खुला इस्तेमाल: कंपनी ने इस तकनीक को ‘ओपन' कर दिया था. यानी इसके इस्तेमाल के लिए किसी को कोई लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

कैमरा वाले स्मार्टफोन की बढ़ती लोकप्रियता: एक तरफ QR कोड तैयार हुआ तो दूसरी ओर दुनिया में कैमरा मोबाइल फोन आने लगे. इससे QR कोड की स्कैनिंग आसान होती गई.

सस्ता, सरल और भरोसेमंद: एक अहम पहलू यह भी है कि QR कोड को बनाने, छापने और इस्तेमाल करने में लगभग कोई खर्च नहीं होता लिहाजा छोटे, मझोले दुकानदारों और खरीदारों की बड़ी तादाद तक इसका पहुंचना आसान हो गया.

QR कोड की क्रांति पर मसाहिरो क्या कहते हैं?

मसाहिरो ने इस खोज को अपना व्यक्तिगत चमत्कार कभी नहीं कहा. वे इसे एक टीमवर्क बताते हैं. उन्हें दुनिया भर में सम्मान मिला. QR कोड को कई अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिले. उनकी टीम को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली तो यूरोपीय इन्वेंटर अवार्ड जैसी मान्यताएं मिलीं. आज QR कोड इंटरनेट और मोबाइल युग का एक ऐसा हिस्सा है, जिसके बिना काम करना लगभग नामुमकिन लगता है. मसाहिरो हारा कहते हैं, “मैंने सिर्फ एक समस्या का हल खोजा था. ये दुनिया का भरोसा था, जिसने उसे इतना बड़ा बना दिया.”

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