Long Covid बना 'लाइलाज बीमारी', नए संकट की चेतावनी दे रहे वैज्ञानिक

लॉन्ग कोविड (Long Covid) एक जटिल मेडिकल समस्या है जिसे पहचानना मुश्किल है. इसके 200 से अधिक लक्षण हैं. इनमें से कई दूसरी बीमारियों से मेल खाते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेश के अनुसार, इसमें बुखार, दर्द और दिल की धड़कन बढ़ना.

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56 साल के स्कॉट टेलर को 2020 में कोविड (Covid19)  हुआ था.लेकिन 18 महीने बाद भी वो कोविड से उबर नहीं पाए. इसके बाद उन्होंने डालास के अपने घर में आत्महत्या कर ली. इससे पहले वो अपना स्वास्थ्य, याददाश्त और अपना पैसा खो चुके थे.   टेलर ने अपने दोस्त को लिखे आखिरी संदेश में कहा, " किसी को फिक्र नहीं है. किसी के पास सुनने का समय नहीं है." स्कॉट ने यह केवल अपनी नहीं लॉन्ग कोविड से जूझ रहे लाखों लोगों की व्यथा लिखी थी."

रॉयटर्स के अनुसार, टेलर ने आगे लिखा था, " मुझे कपड़े धोने में दिक्कत होती है, थकान, दर्द और पीठ की तकलीफ पीछा ही नहीं छोड़ती. मेरा सिर घूमता है, जी मिचलाता है, उल्टी होती है और दस्त भी रहते हैं. ऐसा लगता है कि मैं कुछ कह रहा हूं. लेकिन समझ नहीं आता क्या कह रहा हूं." 

लॉन्ग कोविड एक जटिल मेडिकल समस्या है जिसे पहचानना मुश्किल है. इसके 200 से अधिक लक्षण हैं. इनमें से कई दूसरी बीमारियों से मेल खाते हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेश के अनुसार, इसमें बुखार, दर्द और दिल की धड़कन बढ़ना. 

लॉन्ग कोविड से जूझ रहे लोगों में आत्महत्या को लेकर कोई आधिकारिक डेटा नहीं है. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और ब्रिटेन की डेटा कलेक्शन एजेंसी के अब कई वैज्ञानिक इस पर अब सबूत इकठ्ठा कर रहे हैं कि लॉन्ग कोविड के मामलों में डिप्रेशन और आत्महत्या के कितने मामले हैं और यह कितनी मौतों के लिए जिम्मेदार है.   

अमेरिका के 20 बड़े अस्पतालों में 1.3 मिलियन व्यस्कों के डेटा पर किए गए एनेलिसिस के अनुसार 19,000 लोगों में मई 2020 से जुलाई 2020 के बीच लॉन्ग कोविड की पहचान हुई.   

यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के हेल्थ मेट्रिक एंड इवैलुएशन के अनुसार, जबकि कई लॉन्ग कोविड के मरीज समय के साथ ठीक हो गए. करीब 15 प्रतिशत लोग 12 महीने बाद भी लक्षणों का सामना कर रहे हैं.  इसका कोई सत्यापित इलाज नहीं है और इसके लक्षण कई बार पीड़ितों को काम करने लायक नहीं छोड़ते.   

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अमेरिकी सरकार के अकाउंटेबिलिटी ऑफिस के मार्च में किए गए आंकलन के अनुसार, केवल अमेरिका में ही कोविड के कारण 23 मिलियन लोगों के लिए दिमागी बीमारी और आत्महत्या का खतरा बढ़ गया है.    
 

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