ब्रिटेन (UK) समेत पूरे यूरोप (Europe) में में इन दिनों भीषण गर्मी (Heatwave) पड़ रही है. सोमवार को लंदन (London) का तापमान दिल्ली (Delhi) , लखनऊ (Lucknow) और चेन्नई (Chennai) से भी अधिक पहुंच गया. ब्लूमबर्ग के अनुसार, लंदन की अंडरग्राउंड मैट्रो में सफर करने वाले कुछ लोगों को उससे भी अधिक तापमान सहना पड़ा जो वहां पशुओं को लाने-ले जाने के लिए सुरक्षित नहीं माना जाता. इससे पता चलता है कि यूरोप में कैसे बढ़ते तापमान से ट्रांसपोर्ट, खाने पीने की चीजें और ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हुआ है. लंदन में रहने वाली रिदिमा सिंह ने NDTV के साथ एक स्क्रीन शॉट साझा किया. जिसमें दिख रहा है कि सोमवार दोपहर 3 बजे लंदन का तापमान 36 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, जब दिल्ली में तापमान 33 डिग्री, लखनऊ में 34 डिग्री और चेन्नई में 30 डिग्री था. वहीं लंदन के हैरो ऑन द हिल्स में तापमान 38 डिग्री तक पहुंच गया.
बेहद अधिक गर्मी के कारण लंदन के ल्यूटन (Luton Airport) पर फ्लाइट्स को रनवे रिपेयर के लिए रोक दिया गया जबकि वेल्स में तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया. आयरलैंड में एक सदी में सबसे अधिक तापमान दर्ज किया गया. इन देशों में अधिक तापमान की आदत नहीं है और लोग मौजूदा हालात पर्यावरण में बदलाव पर चिंताएं बढ़ा रहे हैं.
लंदन और इंग्लैंड के दक्षिण में पारा इस हफ्ते 40 डिग्री तक पहुंच सकता है. लंदन सेंट्रल और नॉर्दन लाइन्स की ट्रेनों का तापमान सोमवार सुबह ब्लूमबर्ग ने दर्ज किया था जहां पारा 37 डिग्री सेल्सियस चढ़ गया. ब्रिटेन के नियमों के अनुसार, यह तापमान, गायों, सूअरों, और बकरियों को लाने -ले जाने के अधिकतम तापमान से भी अधिक है.
लंदन में और लोग घरों से काम कर रहे हैं और शॉपिंग मॉल में लोगों का आना 18 प्रतिशत तक कम हुआ. ईस्ट कोस्ट की प्रमुख लाइन लंदन से एडिनबरा को मंगलवार 12 बजे से रात 8 बजे तक बंद करना पड़ा क्योंकि लाइन 38 डिग्री सेल्सियस से अधिक का तापमान नहीं झेल सकती. स्काई न्यूज़ के अनुसार, रॉयल एयरफोर्स को अपने सबसे बड़े एयरबेस पर फ्लाइट रोकनी पड़ी क्योंकि "रनवे" पिघल गया था.
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक तक गर्मी का यही प्रकोप जारी रहेगा. कुछ कंपनियां अपने कर्मचारियों को गर्मी से बचाने के लिए छुट्टियां दे रही हैं.
पुर्तगाल, स्पेन, में भीषण जंगल की आग के कारण, अत्यधिक गर्मी के कारण यूरोप की सबसे महत्वपूर्ण राइन नदी के जलस्तर में और गिरावट आ गई. इसके कारण कोयले और तेल की पावर स्टेशन्स पर डिलीवरी और जर्मनी के इंडस्ट्रियल प्लांट्स पर खतरा बढ़ गया है.
जर्मनी के अर्थव्यवस्था के मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने सोमवार को कहा, " पर्यावरण का संकट दुनिया में बढ़ रहा है. उन्होंने एक स्टडी रिलीज़ की, जो दिखाती है कि मौसम में अत्यधिक बदलाव के कारण यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यस्था को 81 बिलियन यूरोप का नुकसान हुआ.
इस ग्रीष्म ऋतु का नुकसान अभी शुरु हुआ है. यूरोप में 600 लोगों की मौत हुई. फ्रांस, इटली, ग्रीस जंगल की आग का खतरा झेल रहे हैं. यूरोपियन यूनियन ने जंगल की आग से निपटने के लिए तीन विमान भेजे. दो पुर्तगाल में और एक स्लोवेनिया में.