ग़ाज़ा के उत्तरी हिस्से में बसे बेइत लाहिया शहर में बने कमाल अदवान अस्पताल के आंगन में मलबे के बीच घूमते हुए फ़िलस्तीनी अपनों की लाशें तलाश कर रहे हैं. अचानक उनमें से किसी एक के रोने की आवाज़ें सन्नाटे को भंग कर देती हैं, जब वह मिली हुई लाश को दफ़नाए जाने के लिए कपड़े में लपेट रहा था.
यह आवाज़ थी 50-वर्षीय महमूद असफ़ के रोने की, जो जबालिया से एक रेहड़ी लेकर आया था, ताकि अपने एक रिश्तेदार के दो बच्चों को तलाश कर सके, जो पिछले 10 दिन से अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती थे.
महमूद असफ़ ने बताया, "हादी मुझे लकवे का शिकार मिला... वह कुर्सियों के नीचे पीठ के बल पड़ा हुआ था, और सब कुछ उसके ऊपर पड़ा था..." महमूद असफ़ ने दोनों बच्चों में से एक के बारे में बात करते हुए बताया, जो लगभग बेहोशी की हालत में था, और गंभीर रूप से जला हुआ था.
हमास द्वारा चलाए जा रहे स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 दिसंबर को जानकारी दी थी कि इज़रायली फ़ौज कई दिन तक चली 'घेराबंदी' के दौरान ग़ाज़ा शहर स्थित कमाल अदवान अस्पताल में जबरन घुसी थी.
इज़रायली फ़ौज ने शनिवार को कहा कि 'कमाल अदवान अस्पताल के इलाके में फ़ौजी गतिविधियां पूरी हो गई हैं...' इज़रायली फ़ौज का कहना है कि "हमास ने इसे (कमाल अदवान अस्पताल को) कमांड और कंट्रोल सेंटर के रूप में इस्तेमाल किया..."
इज़रायली फ़ौज ने कहा कि उत्तरी ग़ाज़ा में चल रहे आखिरी सरकारी अस्पताल में उन्हें हथियार भी मिले हैं और उन्होंने अस्पताल से हमास के लगभग 80 लड़ाकों को गिरफ़्तार किया है.
महमूद असफ़ ने कहा कि चूंकि अब फ़ौज हट गई है, इसलिए वह बच्चों को जल्द से जल्द यहां से ले जाना चाहता था, लेकिन अस्पताल में जो 'भारी, अवर्णनीय विनाश' दिखा, उससे वह भौंचक्का है. उसका कहना था, "हर जगह मरीज़ ही मरीज़ हैं... जीने के लिए कुछ भी नहीं बचा..."
महमूद असफ़ ने बताया, "(बच्चे) गंभीर रूप से जले हुए हैं, जबकि उनके पास खाने, पीने के लिए या इलाज के तौर पर कुछ भी नहीं है..."
इज़रायली फ़ौज ने कहा कि उन्होंने "अस्पताल कर्मियों से पूछताछ की," जिन्होंने "कबूल किया कि हथियार इन्क्यूबेटरों में छिपाए गए थे, जिनका इस्तेमाल वक्त से पहले जन्मे बच्चों के इलाज के लिए किया जाना था..."
हमास ने इज़रायल पर अस्पताल में "भयावह नरसंहार" करने का आरोप लगाया, और दावा किया कि इज़रायली फ़ौजों ने "मरीज़ों के कमरों में गोलीबारी की." कर्मचारियों को गिरफ़्तार किया और विस्थापितों के तंबुओं को बुलडोज़र से तबाह कर दिया.
कमाल अदवान अस्तपाल के आंगन में इज़रायली टैंकों और बुलडोज़रों के निशान साफ़ नज़र आ रहे हैं.
7 अक्टूबर को इज़रायली इलाकों में हमास द्वारा किए गए अभूतपूर्व हमले के जवाब में इज़रायली सेना द्वारा की गई हवाई बमबारी और ज़मीनी हमलों से ग़ाज़ा पट्टी में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे को भारी नुकसान हुआ है.
ताज़ातरीन इज़रायली आंकड़ों के मुताबिक, हमले में अब तक 1,139 लोग मारे गए हैं, जिनमें ज़्यादातर साधारण नागरिक थे, जबकि हमास के आतंकवादियों ने लगभग 250 लोगों को बंधक बनाया था, जिनमें से 105 को रिहा कर दिया गया और कई मारे जा चुके हैं.
फ़िलस्तीनी इलाके के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, हमास को खत्म करने के इरादे से इज़रायल ने ज़मीनी हमलों के साथ-साथ ग़ाज़ा पर लगातार बमबारी भी की है, जिसमें 18,800 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें ज़्यादातर औरतें और बच्चे हैं.
"अच्छा हो, वे हम सभी को मार ही डालें..."
इज़रायल ने हमास पर अस्पतालों का इस्तेमाल करने और उनमें हथियार छिपाकर उन्हें कमांड सेंटर के तौर पर इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है - अस्पतालों को युद्ध कानूनों के तहत विशेष दर्जा हासिल है - हमास ने इन आरोपों से इंकार किया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रविवार को एक बयान में कहा कि वह "कमाल अदवान अस्पताल में सामने आ रहे हालात से बेहद चिंतित हैं और जानकारी एकत्र कर रहा है..."
अस्पताल के आंगन के बाहर खड़े अबू मोहम्मद रोते दिखे, जो अपने बेटे को ढूंढने आए थे. उन्होंने बताया, "उन्होंने इमारत को ढहा दिया... उन्होंने डॉक्टरों को मार डाला... उन्होंने तो डॉक्टरों को भी नहीं बख्शा... उन्होंने कुछ नहीं छोड़ा..."
मलबे की तरफ़ इशारा करते हुए अबू मोहम्मद ने कहा, "मेरा बेटा यहीं है... लेकिन मुझे नहीं पता, मैं उसे कैसे तलाशूंगा..."
अबू मोहम्मद ने सवाल किया, "कहां हैं अरब मुल्क...? कहां हैं सिसी...?" अबू मोहम्मद का सवाल पड़ोसी मुल्क मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी की बाबत था, जो इज़रायल और फ़िलस्तीनियों के बीच अहम मध्यस्थ हैं.
"हम आज़िज़ आ चुके हैं... वे (इज़रायली) हमें 1948 (इज़रायल की स्थापना का वर्ष) से ही मारते आ रहे हैं... अच्छा हो, वे हम सभी को मार ही डालें, ताकि इस यातना के बजाय हम आराम कर सकें..."