कौन है Jaish al-Adl? आखिर ईरान की पाकिस्तान में एयर स्ट्राइक के पीछे की क्या है कहानी?

जैश-अल-अद्ल पहले ग्लोबल टेररिस्ट संगठन जुंदल्लाह का हिस्सा हुआ करता था. जैश-अल-अद्ल का मतलब 'इंसाफ की फौज' यानी 'न्याय की सेना' होता है. यह एक सुन्नी सलाफी अलगाववादी आतंकी संगठन है. आतंकी संगठन जैश-अल-अद्ल का मुख्य ठिकाना पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है.

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नई दिल्ली/इस्लामाबाद/तेहरान:

आतंकवादियों के लिए पाकिस्तान (Pakistan) हमेशा से ही महफूज देश रहा है. पाकिस्तान भी आतंकियों को पनाह देता रहा है. अंतरराष्ट्रीय मीडिया में ऐसे कई सबूत हैं, जिनमें पता चलता है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर एक्टिव आतंकी संगठनों की फंडिंग (Pakistan Terror Funding) भी करता है. लेकिन अब पाकिस्तान के पाले गए आतंकी ही उसके लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं. अमेरिका, भारत के बाद अब ईरान ने पाकिस्तान की सरजमीं पर एयर स्ट्राइक (Iran Air Strike) की है. ईरान ने मंगलवार (16 जनवरी) की रात पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सुन्नी आतंकी संगठन ‘जैश-अल-अद्ल' (Jaish-al-Adl)के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन से अटैक किए. पाकिस्तान के मुताबिक, इन हमलों में 2 बच्चों की जान चली गई है. पाकिस्तान ने कहा कि ईरान को इस कदम के लिए गंभीर नतीजे भुगतने होंगे.

जानिए कौन है आतंकी गुट जैश-ए-अद्ल और पाकिस्तान की सरजमीं पर ईरान की एयर स्ट्राइक के पीछे की क्या है कहानी:-

कौन है आतंकी गुट जैश-ए-अद्ल?
असल में जैश-अल-अद्ल पहले ग्लोबल टेररिस्ट संगठन जुंदल्लाह का हिस्सा हुआ करता था. जैश-अल-अद्ल का मतलब 'इंसाफ की फौज' यानी 'न्याय की सेना' होता है. यह एक सुन्नी सलाफी अलगाववादी आतंकी संगठन है. आतंकी संगठन जैश-अल-अद्ल का मुख्य ठिकाना पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है. 2012 से इस आतंकी संगठन की पाकिस्तान में मजबूत मौजूदगी है. 

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ईरान के हमले की क्या है वजह?
दरअसल, ईरान एक शिया बहुल देश है. पाकिस्तान में करीब 95% लोग सुन्नी हैं. लिहाजा पाकिस्तान के सुन्नी संगठन ईरान का विरोध करते रहे हैं. इसके अलावा बलूचिस्तान का आतंकी संगठन जैश-अल-अदल ईरान की सीमा में घुसकर कई बार वहां की सेना पर हमले करता रहा है. ईरान कई बार पाकिस्तान को आतंकी संगठनों पर लगाम लगाने की वॉर्निंग दे चुकी है.

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ईरान सीमाई प्रांतों में पहले भी जैश-अल-अद्ल से उलझ चुका है. लेकिन मिसाइल और ड्रोन से पाकिस्तानी जमीन पर हमला ईरान की नई आक्रामक नीति है. कहा जा रहा है कि पिछले महीने सिस्तान बलूचिस्तान में एक इरानी पुलिस स्टेशन पर जैश के हमले का बदला है. ईरान पाकिस्तान की सिस्तान प्रांत में 959 किमी लंबी सीमा है. यहां ईरान के अल्पसंख्यक शिया समुदाय रहते हैं.

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जैश-अल-अद्ल के ज्यादातर आतंकी दूसरे पाकिस्तानी आतंकी संगठनों से आए हैं. इजरायल-हमास जंग में ईरान खुलकर हमास का साथ दे रहा है. इस मामले में पाकिस्तान भी हमास का पक्ष ले रहा है. ईरान ने सोमवार को इराक पर भी हमला किया था. तब उसने कहा था कि इराक में इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद का हेडक्वॉर्टर है और इसे ही निशाना बनाया गया है. इराक ने इसे अपने देश पर हमला बताते हुए ईरान के राजदूत को तलब किया था. बाद में इराकी सेना के तरफ से कहा गया कि इस हमले का सही वक्त पर जवाब दिया जाएगा.

क्या है इस हमले की कहानी?
दरअसल, 2015 में पाकिस्तान और ईरान के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे. ईरान के 8 सैनिक पाकिस्तान से ईरानी क्षेत्र में घुसे सुन्नी आतंकवादियों के साथ संघर्ष में मारे गए. यह आतंकी भी जैश-अल-अद्ल के थे. ईरान ने इस मामले में जवाबी कार्रवाई करने की बात कही थी.

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ईरान और पाकिस्तान में क्षेत्रीय होड़ रही है. शिया-सुन्नी के बीच टकराव भी रहा है. हालांकि, पाकिस्तान और ईरान के बीच कूटनीतिक संबंध बने रहे हैं. लेकिन ये हमला अकेले पाकिस्तान पर नहीं है. इससे पहले ईरान ने सीरिया पर भी हमले किए हैं. जिसे सीरिया में इजरायली हमले के जवाब के तौर पर देखा गया. 

ईरान की आक्रामक नीति 
सवाल ये है कि ईरान इन हमलों से क्या संदेश दे रहा है? ईरान के इन हमलों से मध्य पूर्व में इजरायल-गाजा युद्ध के बीच 
आग और बढ़ रही है. ईरान खुले आम दावा करता है कि मध्य पूर्व में अमेरिकी बेस, तेल अवीव और हायफा में इजरायली बेस उसके मिसाइलों की जद में हैं.

कुछ जानकार बताते हैं कि इन छोटे हमलों से ईरान अमेरिका और इजरायल को उलझाए रखना चाहता है. वो अभी भी जंग का विस्तार नहीं चाहता. ईरान अपनी ताकत दिखाना चाह रहा है. लेकिन ये क्षेत्रीय डायनेमिक्स दुनिया की स्थिरता के लिए खतरा हैं. जहां परमाणु शक्तिसंपन्न ईरान और पाकिस्तान के टकराव के अलावा अमेरिका और उसके सहयोगियों का हूती विद्रोहियों पर हमला, ईरान का सीरिया, इराक और अब पाकिस्तान पर टारगेटेड हमला एक चिंताजनक स्थिति पैदा कर रहा है. 

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