अभी हाल ही के दिनों में ईरान और इजराइल के बीच तनाव देखने को मिला. इजराइल ने 13 जून 2025 को ईरान के न्यूक्लियर और सैन्य स्थानों पर हमले किए. इसके जवाब में ईरान ने इजराइल को अपनी हथियारों की शक्ति दिखाते हुए 100 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमले कर दिए. आपको ईरान के हथियारों और मिसाइलों की उस फौज के बारे में बताते हैं, जिससे कहीं ना कहीं इजराइल के साथ-साथ अमेरिका भी खौफ खाता है.
खैबर शेकन मिसाइल
1,450 किलोमीटर रेंज वाली खैबर शेकन मिसाइल ईरान की सबसे आधुनिक और शक्तिशाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों में से एक है. इसका डिज़ाइन दुश्मन के हवाई रक्षा तंत्र को चकमा देने के लिए किया गया है. ये अपनी पैंतरेबाजी और सटीकता के लिए जानी जाती है, जिससे दुश्मन के लिए इसे रोक पाना बेहद मुश्किल हो जाता है.
फत्तेह-1 (Fattah-1)
ईरान ने हाल ही में 'फत्तेह-1' नामक हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास का दावा किया है. अगर ये दावा सही है, तो ये ध्वनि की गति से कई गुना अधिक रफ़्तार से हमला करने वाली दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइलों में से एक होगी. हाइपरसोनिक गति और पैंतरेबाज़ी की क्षमता इसे लगभग अजेय बनाती है.
सेजिल (Sejjil):
ये एक ठोस-ईंधन वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल है, जो अपनी सटीकता और 2,000 किलोमीटर की रेंज के लिए जानी जाती है. ठोस ईंधन इसे तेजी से लॉन्च करने में सक्षम बनाता है, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया का कम समय मिलता है.
खोर्रमशहर (Khorramshahr):
ये तरल ईंधन वाली मिसाइल भी 2,000 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और 1,500 किलोग्राम वजन का वारहेड ले जा सकती है, जो इसकी विनाशकारी क्षमता को और बढ़ाता है.
शाहाब-3 (Shahab-3):
2,000 किलोमीटर तक की मारक क्षमता वाली शाहाब-3 मिसाइल, ईरान को इज़रायल और यहां तक कि यूरोप के कुछ हिस्सों तक हमला करने की क्षमता देती है. ये ईरान की मिसाइल ताकत का एक मुख्य आधार है.
फतेह-110 (Fateh-110):
300 किलोमीटर की रेंज वाली ये मिसाइल अपनी सटीकता और गति के लिए जानी जाती है. ये कम दूरी पर अत्यधिक सटीक हमले करने के लिए आदर्श है.
ईरान ने अपने भूमिगत "मिसाइल शहरों" और "ड्रोन शहरों" का भी प्रदर्शन किया है, जो उसकी सैन्य तैयारियों का सबूत हैं और दुश्मन के लिए एक बड़ा सरदर्द. मिसाइलों के बाद अगर किसी हथियार ने ईरान को वैश्विक मंच पर एक पहचान दी है, तो वो हैं उसके ड्रोन. ईरान का ड्रोन कार्यक्रम दुनिया के सबसे उन्नत कार्यक्रमों में से एक है. उसने छोटे, सस्ते लेकिन बेहद प्रभावशाली ड्रोनों के उत्पादन में महारत हासिल की है. इनकी मारक क्षमता और युद्ध के मैदान पर इनकी बहुमुखी प्रतिभा इन्हें बेहद प्रभावी बनाती है.
अराश-2 ड्रोन (Arash-2 Drone):
ये एक शक्तिशाली आत्मघाती ड्रोन है जो 2,000 किलोमीटर तक हमला कर सकता है और 200 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है. इसकी लंबी दूरी और बड़ा वारहेड इसे विशेष रूप से घातक बनाता है.
शहीद (Shahed), गाजा (Gaza), मोहजेर-6 (Mohajer-6), मेराज (Meraj), करार (Karrar) और अबाबील (Ababil) जैसे ड्रोन जमीन, समुद्र और हवाई लक्ष्यों पर हमला करने और जासूसी करने में सक्षम हैं. इनमें से कई आत्मघाती ड्रोन हैं, जिन्हें दुश्मन के ठिकानों पर सीधे हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे ये सटीक और विनाशकारी वार कर सकते हैं.
ईरान ने ड्रोन तकनीक को विकसित करके कम पैसों में बड़े और असरदार हमले करने की क्षमता हासिल की है. ये ड्रोन दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को भी चुनौती देते हैं, क्योंकि इनकी कम लागत और झुंड में हमला करने की क्षमता इन्हें रोकना मुश्किल है. ईरान की सैन्य ताकत सिर्फ मिसाइलों और ड्रोनों तक सीमित नहीं है. उसके पास एक बड़ी और अनुभवी पारंपरिक सेना भी है, जो संख्या बल और जमीनी युद्ध की क्षमता के मामले में कम नहीं.
सक्रिय सैनिक
ईरान के पास करीब 6 लाख 10 हज़ार सक्रिय सैनिक हैं, जो उसे इजरायल जैसे देशों से कहीं आगे खड़ा करते हैं. ये एक विशाल मानव संसाधन है जो लंबी अवधि के संघर्षों के लिए महत्वपूर्ण है.
रिजर्व फोर्स
3 लाख 50 हज़ार से अधिक रिजर्व सैनिक किसी भी आपात स्थिति में तुरंत तैनात किए जा सकते हैं, जिससे उसकी सेना का आकार और भी बढ़ जाता है.
अर्धसैनिक बल
2 लाख 20 हजार अर्धसैनिक बल भी ईरान की सुरक्षा व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो आंतरिक सुरक्षा और समर्थन अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
टैंक और बख्तरबंद वाहन
ईरान के पास लगभग 1,996 टैंक और 65,765 बख्तरबंद वाहन हैं, जो ज़मीनी युद्ध में उसे मज़बूत स्थिति प्रदान करते हैं. ये भारी सैन्य उपकरण उसे किसी भी ज़मीनी घुसपैठ का सामना करने या जवाबी कार्रवाई करने की क्षमता देते हैं.
तोपखाना
ईरान के पास 580 सेल्फ प्रोपेल्ड आर्टिलरी और 775 मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम भी हैं, जो जमीनी बलों को आग का समर्थन प्रदान करते हैं.
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC)
ईरान की सेना का एक महत्वपूर्ण और शक्तिशाली हिस्सा IRGC है, जिसकी अपनी ज़मीनी सेना, नौसेना यूनिट, एयरोस्पेस डिवीज़न और स्पेशल ऑपरेशंस यूनिट है. ये सीधे सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली ख़ामेनेई के नियंत्रण में है, जो इसे ईरान की राजनीतिक शक्ति का असली केंद्र बनाता है. IRGC की स्पेशल ऑपरेशंस यूनिट्स, जैसे कि कुद्स फ़ोर्स, क्षेत्रीय स्तर पर अपनी गतिविधियों के लिए जानी जाती हैं. ईरान की नौसेना और वायुसेना भी उसकी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करती हैं, खासकर समुद्री सीमाओं और हवाई क्षेत्र की सुरक्षा में.
नौसेना
ईरान के पास 101 नौसैनिक एसेट्स हैं, जिनमें 7 फ्रिगेट और 5 पनडुब्बियाँ शामिल हैं. उसकी नौसेना फारस की खाड़ी और ओमान की खाड़ी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो दुनिया के लिए तेल परिवहन का एक प्रमुख मार्ग है. उसके पास स्पीडबोट्स और मिसाइलों से लैस छोटी नौकाओं का एक बड़ा बेड़ा भी है, जो असीमित युद्ध (asymmetric warfare) के लिए प्रभावी हो सकती हैं.
वायुसेना
हालांकि ईरान की वायुसेना के लड़ाकू विमान इजरायल या अमेरिका जैसे देशों के मुकाबले कम आधुनिक हैं (मुख्यतः अमेरिकी F-4, F-5, और रूसी MiG-29 जैसे पुराने मॉडल), लेकिन उसके पास 551 विमान हैं, जिनमें 186 फाइटर जेट और 129 हेलीकॉप्टर शामिल हैं. ईरान अपनी हवाई रक्षा प्रणालियों और मिसाइलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करता है ताकि उसके हवाई क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके. ईरान ने अपनी सैन्य क्षमता को एक ऐसे मुकाम पर पहुंचाया है जहां उसे दुनिया की बड़ी शक्तियां भी नजरअंदाज नहीं कर सकतीं. उसकी मिसाइलें, ड्रोन और एक बड़ी, सुप्रशिक्षित सेना उसे मध्य पूर्व में एक शक्तिशाली खिलाड़ी बनाती है. ईरान की ये 'चौंकाने वाली फायरपावर' क्षेत्रीय संतुलन में एक महत्वपूर्ण कारक बन चुकी है.