खालिदा जिया और शेख हसीना परिवार में कैसे हुई दुश्मनी, बांग्लादेश में कैसे बना इन दोनों का दबदबा

1991 में खालिदा जिया पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. 1996 के चुनाव में फिर शेख हसीना चुनाव हारीं तो उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया.  आखिरकार एक महीने बाद ही विपक्ष के आंदोलन के चलते खालिदा जिया को इस्तीफा देना पड़ा.

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  • जियाउर रहमान ने शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद सेना का नेतृत्व संभाला और फिर राष्ट्रपति बने
  • जियाउर रहमान की हत्या 1981 में सेना के बागी अधिकारियों ने की, जिसके बाद उनकी पत्नी खालिदा जिया राजनीति में आईं
  • शेख हसीना और खालिदा जिया की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता आज तक जारी है, दोनों ने कई बार प्रधानमंत्री पद संभाला है
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16 दिसंबर 1971. भारत की मदद से पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और एक नया देश बना बांग्लादेश. ऑपरेशन ट्राइडेंट में पाकिस्तान के लेफ्टेनेंट जनरल एएके नियाजी ने अपने 93,000 सैनिकों के साथ भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के साममे सरेंडर कर दिया.

शेख मुजीब उर रहमान पहले प्रधानमंत्री बने. मुजीब के ही सहयोगी हुआ करते थे जियाउर रहमान. पाकिस्तानी सेना में रहते हुए मुजीब के कहने पर इन्होंने सेना से बगावत कर दी और बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े. बांग्लादेश बना तो इन्हें सेना का सह-सेना प्रमुख बनाया गया. इन्हीं दो किरदारों ने अब तक बांग्लादेश को एक तरह से कहें तो चलाया है.  शेख मुजीब उर रहमान की बेटी हैं शेख हसीना और  जियाउर रहमान की पत्नी हैं खालिदा जिया.

75 से शुरू हुई कहानी

शेख मुजीबुर रहमान ने 1971 में बांग्लादेश की स्वतंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया और 1975 में राष्ट्रपति बने, लेकिन उसी साल 15 अगस्त 1975 को उनकी और उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई. सिर्फ शेख हसीना और उनकी बहन बच गईं, क्योंकि वो दोनों उस समय जर्मनी में थीं. बांग्लादेश की सेना ने ये हत्या की थी.   

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जियाउर रहमान ने शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद बांग्लादेश की सेना का नेतृत्व संभाला और बाद में राष्ट्रपति बन गए. उन्होंने एक ऑर्डिनेंस के जरिए उन सभी को इम्यूनिटी दे दी, जिन पर शेख मुजीब की हत्या के आरोप थे. जियाउर रहमान की भूमिका शेख मुजीब की हत्या में विवादास्पद रही है, कुछ लोगों का मानना है कि वह हत्या में शामिल थे, जबकि अन्य का कहना है कि वह सीधे तौर पर शामिल नहीं थे.

बांग्लादेश की राजधानी ढाका में बना शेख मुजीब उर रहमान का चित्र.
Photo Credit: AFP

जियाउर रहमान की भी हुई हत्या

जियाउर रहमान 21 अप्रैल 1977 से 30 मई 1981 तक बांग्लादेश के राष्ट्रपति रहे. हालांकि, उनकी हत्या बांग्लादेश की सेना ने ही कर दी थी. उनकी हत्या 30 मई 1981 को चटगांव में हुई थी, जब वे एक सर्किट हाउस में ठहरे हुए थे. उनकी हत्या के पीछे सेना के कुछ बागी अधिकारियों का हाथ था, जिन्होंने उनके कमरे पर हमला किया और उन्हें गोली मार दी. इसी साल शेख हसीना बांग्लादेश वापस लौटी थीं. जियाउर रहमान की मौत के बाद खालिदा जिया राजनीति में आईं और अपने पति की बनाई पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) को संभाला. जियाउर रहमान ने 1978 में इस पार्टी की स्थापना की थी. 

जब खालिदा और हसीना बनीं दोस्त

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जियाउर रहमान ने राष्ट्रपति रहते हुए जिस इरशाद को बांग्लादेश का सेना अध्यक्ष बनाया था, उसी ने पहले जियाउर रहमान की मौत के बाद पहले अब्दुस सत्तार को देश का नया राष्ट्रपति बनाया, मगर फिर तख्तापलट कर एहसानुद्दीन चौधरी को राष्ट्रपति बना दिया. फिर सालभर के भीतर ही वह खुद राष्ट्रपति बन गए. मगर उनके तौर-तरीके तानाशाह की तरह ही थे. उन्होंने देश में मार्शल ला लगा दिया. तब खालिदा जिया और शेख हसीना ने हाथ मिलाया और इरशाद को इस्तीफा देना पड़ा. मार्शल लॉ हटा तो दोनों की राहें अलग हो गईं.

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आज तक है तब से दुश्मनी

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1991 में खालिदा जिया पहली बार प्रधानमंत्री बनीं. 1996 के चुनाव में फिर शेख हसीना चुनाव हारीं तो उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया.  आखिरकार एक महीने बाद ही विपक्ष के आंदोलन के चलते खालिदा जिया को इस्तीफा देना पड़ा. जून में दोबारा चुनाव हुआ और शेख हसीना प्रधानमंत्री बन गईं. फिर 2001 में खालिदा जिया ने तीसरी बार प्रधानमंत्री का शपथ लिया और पांच साल तक शासन किया. मगर 2009 के बाद से 5 अगस्त 2024 तक शेख हसीना लगातार प्रधानमंत्री रहीं.  खालिदा जिया आरोप लगाती रहीं हैं कि शेख हसीना चुनाव में धांधली के जरिए इन सालों में जीतती रहीं. ऐसे में इन दो बेगमों की लड़ाई आज तक जारी है. 

खालिदा जिया का बेटा लौटा

खालिदा जिया के दो बेटे हैं - तारिक रहमान और अराफात रहमान कोको. अराफात रहमान कोको का 2015 में निधन हो गया था. तारिक रहमान बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक अध्यक्ष हैं और 17 साल बाद लंदन से बांग्लादेश लौटे हैं. रहमान को 2007 में भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. तब उन्होंने दावा किया गया था कि उन्हें कैद में प्रताड़ित किया गया था. रिपोर्टों से पता चला कि उनकी रिहाई राजनीति छोड़ने की शर्त के साथ थी. उस साल बाद में रिहा होने के बाद, वह इलाज के लिए 2008 में लंदन चले गए और फिर आज लौटे.

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शेख हसीना का परिवार वतन से दूर

शेख हसीना भारत में निर्वासित जीवन गुजार रही हैं. शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद जॉय एक बिजनेसमैन हैं और अमेरिका में रहते हैं. वह शेख हसीना के सलाहकार भी रह चुके हैं. वह अपनी मां की राजनीतिक पार्टी, अवामी लीग के साथ भी जुड़े हुए हैं और अक्सर मीडिया में अपनी मां के समर्थन में बयान देते हैं. वहीं बेटी साइमा वाजेद पुतुल एक मनोवैज्ञानिक हैं और न्यूरोडेवलपमेंटल विकारों के क्षेत्र में काम करती हैं.

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