दुश्मन के घर में ही बना लिया अपना खुफिया सैनिक अड्डा, जानें इजराइल ने ईरान हमले की स्क्रिप्ट कैसे तैयार की

अब बात इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) की. एक इराइली सुरक्षा अधिकारी ने जो खुलासा किया है, वो किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी है. उन्होंने बताया कि ये हमला कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि इसकी तैयारी सालों से चल रही थी और इसे अंजाम देने के लिए तीन बहुत ही खुफिया और खतरनाक काम किए गए.

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इजराइल और ईरान के बीच हुए ताजा टकराव की सबसे सनसनीखेज और चौंकाने वाली खबर सामने आई है. एक ऐसा मिलिट्री ऑपरेशन, जिसने पूरी दुनिया के डिफेंस एक्सपर्ट्स को हैरान कर दिया है. इस ऑपरेशन का कोडनेम है - 'राइजिंग लायन' (Rising Lion). ये वो ऑपरेशन है जिसके तहत इजराइल ने ईरान पर एक बहुत बड़ा हमला किया है. खबरों के मुताबिक, इस हमले में 200 से ज्यादा इजराइली फाइटर जेट्स ने हिस्सा लिया, 100 से ज़्यादा ठिकानों को निशाना बनाया गया और उन पर 330 से ज़्यादा बम और मिसाइलें गिराई गईं. लेकिन बड़ा सवाल ये नहीं है कि हमला हुआ. बड़ा सवाल ये है कि इज़राइल ने ये सब किया कैसे? वो भी ईरान जैसे देश के अंदर घुसकर, जिसकी खुफिया और एयर डिफेंस को काफी मजबूत माना जाता है.

अब बात इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) की. एक इराइली सुरक्षा अधिकारी ने जो खुलासा किया है, वो किसी के भी होश उड़ाने के लिए काफी है. उन्होंने बताया कि ये हमला कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि इसकी तैयारी सालों से चल रही थी और इसे अंजाम देने के लिए तीन बहुत ही खुफिया और खतरनाक काम किए गए.

पहला और सबसे चौंकाने वाला कदम: ईरान के अंदर ड्रोन बेस!

मोसाद ने ईरान की राजधानी तेहरान के पास ही एक खुफिया ड्रोन बेस बना लिया था. सोचिए, दुश्मन के घर के आंगन में ही अपना अड्डा! रात को जब ये ऑपरेशन लॉन्च हुआ, तो सबसे पहले इसी बेस से ड्रोन्स को एक्टिवेट किया गया. इन ड्रोन्स ने ईरान के उन सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल लॉन्चर्स को ढूंढ-ढूंढकर तबाह कर दिया, जिनका मुंह इजराइल की तरफ था. मतलब, हमला करने से पहले ही, हमला करने वाले हथियारों को खत्म कर दिया गया.

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दूसरा खुफिया कदम: हथियारों की स्मगलिंग और एयर डिफेंस को अंधा बनाना

अब फाइटर जेट्स को तो ईरान के आसमान में उड़ना था. लेकिन ईरान का एयर डिफेंस सिस्टम उन्हें मार गिरा सकता था. इसका इलाज भी मोसाद ने पहले ही कर लिया था. ऑपरेशन से पहले, कुछ गाड़ियों में खास वेपन सिस्टम्स को स्मगल करके ईरान के अंदर पहुंचाया गया. इन सिस्टम्स का काम था ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम और रडार को जाम कर देना, उसे अंधा बना देना. इसका नतीजा ये हुआ कि जब 200 से ज़्यादा इज़राइली जेट्स ईरान के एयरस्पेस में घुसे, तो उन्हें रोकने वाला कोई नहीं था. उन्हें ईरान के आसमान में पूरी आजादी मिल गई.

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तीसरा और सबसे खतरनाक कदम: जमीन पर मोसाद कमांडो!

ये कहानी का सबसे साहसी हिस्सा है. सिर्फ ड्रोन और smuggled weapons ही नहीं, बल्कि मोसाद के कमांडोज खुद ईरान की जमीन पर मौजूद थे. इन कमांडोज ने ईरान के एंटी-एयरक्राफ्ट ठिकानों के पास जाकर, बहुत ही सटीकता से precision मिसाइलों से हमला किया और उन्हें भी नाकाम कर दिया. ये एक सर्जिकल स्ट्राइक थी, जिसे ज़मीन पर मौजूद एजेंट्स ने अंजाम दिया. मोसाद ने बाद में इस ऑपरेशन के कुछ फुटेज भी जारी किए, जिससे दुनिया को उनकी पहुंच और काबिलियत का अंदाजा हुआ, तो अब सवाल उठता है कि इजराइल ने इतना बड़ा रिस्क लिया क्यों?

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इज़राइल का कहना है कि ये एक 'preemptive' स्ट्राइक थी, यानी खतरे को बढ़ने से पहले ही खत्म करने की कोशिश. उनके मुताबिक, ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम और मिसाइल प्रोग्राम इजराइल के अस्तित्व के लिए खतरा बन चुका था।. इजराइल के मिलिट्री इंटेलिजेंस के चीफ ने तो इसे 'अस्तित्व की लड़ाई' (existential battle) तक कह दिया. डिफेंस मिनिस्टर इजराइल काट्ज़ ने और भी साफ शब्दों में कहा - "जो भी इज़राइल को खत्म करने की बात करेगा, उसे 'eliminate' यानी खत्म कर दिया जाएगा." उन्होंने ये भी दावा किया कि इस हमले में ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) एयर फोर्स की ज़्यादातर टॉप लीडरशिप मारी गई है. अब आप सोच रहे होंगे कि इस पूरे खेल में अमेरिका कहां था? तो खबर के मुताबिक, अमेरिका को इस ऑपरेशन की जानकारी कम से कम एक हफ्ते पहले से थी। दोनों देश लगातार संपर्क में थे.

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हमले का अंजाम और ईरान का जवाब

इस बड़े हमले के जवाब में ईरान ने भी 100 से ज्यादा ड्रोन इजराइल की तरफ लॉन्च किए. लेकिन इजराइली एयर फोर्स ने उन्हें बॉर्डर तक पहुंचने से पहले ही हवा में मार गिराया. तो कुल मिलाकर देखें, तो ये सिर्फ एक हवाई हमला नहीं था. ये जमीन, आसमान और खुफियागीरी का एक ऐसा कॉकटेल था जो फिल्मों में ही देखने को मिलता है. ईरान की जमीन पर ड्रोन बेस, हथियारों की स्मगलिंग, और ज़मीन पर कमांडो की मौजूदगी. ये मोसाद के काम करने के तरीके को दिखाता है, जो किसी भी हद तक जा सकते हैं. इस घटना ने मिडिल ईस्ट में तनाव को एक नए लेवल पर पहुंचा दिया है.

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