इजरायल के रक्षा मंत्री ने कहा कि इजरायली सेना सीरिया के माउंट हरमोन शिखर पर 'जब तक जरूरी होगा, तब तक' रहेगी. सिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया. इजरायल कैट्ज ने मंगलवार को कहा, "हम जब तक जरूरी होगा, तब तक यहां रहेंगे." उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण शिखर पर सैन्य मौजूदगी 'सुरक्षा को मजबूत करती है.' रक्षा मंत्री ने कहा, "माउंट हरमोन का शिखर निकट और दूर के खतरों की पहचान करने के लिए इजरायल की आंखें हैं. यहां से, हम दाईं ओर लेबनान में हिजबुल्लाह की स्थिति और बाईं ओर दमिश्क को देख सकते हैं."
कैट्ज ने कहा, "माउंट हरमोन शिखर इजरायल की आंखें हैं, जहां वह निकट और दूर के खतरों की पहचान कर सकता है. यहां से हम लेबनान में हिजबुल्लाह पर और दमिश्क में पर नजर रख सकते हैं."
पिछले गुरुवार को जारी निर्देशों के बाद, कैट्ज़ ने कहा कि सेना को क्षेत्र में अपनी तैनाती 'तेजी से' पूरी करनी चाहिए, जिसमें 'किलेबंदी, रक्षात्मक उपाय, और लंबे समय तक रहने के लिए सैनिकों की स्थिति में सुधार करना' शामिल है.
गोलान हाइट्स में स्थित माउंट हर्मन को 1967 के मध्य पूर्व युद्ध के दौरान सीरिया से आंशिक रूप से इजरायल हथिया लिया था और 1981 में इसे अपने कब्जे में ले लिया गया. इजरायल के इस कदम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी गई.
यह पर्वत सीरिया, लेबनान और इजरायल के कब्जे वाले गोलान हाइट्स तक फैला हुआ है. इसकी सबसे ऊंची चोटी, 2,814 मीटर, सीरिया में स्थित है, जबकि दक्षिणी ढलान और निचला शिखर इजरायल के कब्जे वाले क्षेत्र में स्थित है.
8 दिसंबर को, इजरायली सेना ने बफर जोन पर कब्जा कर लिया, जो गोलान हाइट्स में एक गैससैनिक क्षेत्र है. इसकी निगरानी सीरिया-इजरायल के बीच 1974 के समझौते के बाद से संयुक्त राष्ट्र बल द्वारा की जाती है. इसी के साथ इजरायल ने माउंट हर्मन के शिखर पर एक सीरियाई सेना की चौकी पर भी कब्जा कर लिया. इस कदम की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई.