इजराइल में हुए हमास के रॉकेट हमलों (Israel Hamas Conflict) में अब तक 300 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं. आखिर आतंकी गुट हमास ने हमले के लिए 6 अक्टूबर का ही दिन क्यों चुना? दरअसल 6 अक्टूबर को यहूदियों का सबसे पवित्र त्योहार योम किप्पुर मनाया जाता है. साथ ही 1973 के संघर्ष की 50वीं वर्षगांठ भी एक खास वजह मानी जा रही है. 1973 में 6 अक्टूबर के दिन योम किप्पुर पर्व पर ही अरब देशों के गठबंधन ने इजराइल के कब्जे वाले क्षेत्रों पर हमले किए थे, जिसकी वजह से योम पिप्पुर युद्ध छिड़ गया था. युद्ध की रेखाएं खींची गईं और इजराइल भी अरब गठबंधन के खिलाफ आक्रमण रुख में आ गया.
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6 अक्टूबर को ही 1967 में हुआ था युद्ध
1967 में छह दिन तक चला युद्ध ज्यादातर गोलान हाइट्स, सिनाई और इजरायल के कब्जे वाले अन्य क्षेत्रों में हुआ था. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने जैसे ही ग्लोबल न्यूक्लियर अलर्ट जारी किया तो राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गया. युद्ध जैसे ही तेज हुआ तो पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के अरब सदस्यों ने इज़राइल का समर्थन करने वाले सभी पश्चिमी देशों को तेल देना बंद कर दिया. जिसकी वजह से वैश्विक ऊर्जा संकट पैदा हो गया. यह युद्ध करीब 2 हफ्ते तक चला, जिसमें करीब 20,000 लोगों की मौत हो गई लेकिन इजराइल को इसमें जीत हासिल हुई.
6 अक्टूबर को थी 973 के संघर्ष की 50वीं वर्षगांठ
इस घटना के ठीक 50 साल बाद 6 अक्टूबर 2023 को गाजा के हमास गुट ने ऑपरेशन अल-अक्सा फ्लड' शुरू करने का ऐलान कते हुए इजराइल पर 5 हजार से ज्यादा रॉकेट बरसाने शुरू कर दिए. इस हमले को उन्होंने प्रतिरोध करार दिया. उन्होंने अरब और इस्लामी देशों को इज़राइल के खिलाफ लड़ाई में शामिल होने का न्योता दिया. हमास इजराइल पर फ़िलिस्तीनी जमीन पर अवैध कब्जे का आरोप लगाता रहा है.
मातम में बदला योम किप्पर का जश्न
हमले के लिए हमास के 6 अक्टूबर का दिन चुनने के पीछे की वजह यहूदी धर्म का पवित्र त्योहार होने के साथ ही 1973 के संघर्ष की 50वीं वर्षगांठ भी है. हालही में इजरायली मीडिया ने योम किप्पर युद्ध का जश्न मना रहा था. शनिवार को हमास के हमले के बाद दोनों के बीच काफी समानताएं देखी गई हैं. बता दें कि इजराइल के लोग सिमचाट तोराह त्योहार मनाने की प्लानिंग कर रहे थे, इस बीच हमास ने इजराइल पर रॉकेट बरसाकर उनकी योजना पर पानी फेर दिया. इस हमले में 300 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
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