ईरान का इजरायल पर हमला : सीरिया की 'चिंगारी' से भड़की 45 साल पुरानी दुश्मनी की आग

कल रात में ईरान ने इजरायल को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइलों की बौछार कर दी. तेल अवीव ने कहा कि अधिकांश ड्रोन और मिसाइलों को सफलतापूर्वक रोक दिया गया.

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इजराइल पर हमले के बाद ईरान में लोगों ने जश्न मनाया.
नई दिल्ली:

इजरायल पर ईरान के ड्रोन हमले के पीछे करीब 50 साल पुरानी प्रतिद्वंद्विता है जो 1979 की ईरानी क्रांति के बाद उभरी थी. पिछले साल इजरायल के शहरों पर हमास के हमले और तेल अवीव की ओर से भीषण जवाबी हमलों के चलते गाजा में युद्ध शुरू हो गया था. माना जाता है कि ईरान इजरायल के खिलाफ हमले में हिजबुल्लाह जैसे समूहों का समर्थन कर रहा है.

हालांकि ताजा ड्रोन हमले पहला उदाहरण है जब ईरान ने अपनी ही धरती से इजरायल के खिलाफ कार्रवाई की. इस बारे में तेहरान ने साफ किया है कि इस महीने की शुरुआत में सीरिया के दमिश्क में उसके दूतावास पर इजरायल के संदिग्ध हमले के बाद यह आत्मरक्षा की कार्रवाई है. ईरान ने अब गेंद इजरायल के पाले में डालते हुए कहा है कि उसे उम्मीद है कि आगे कोई तनाव नहीं बढ़ेगा और "मामले को समाप्त समझा जा सकता है."

ईरान और इजरायल के बीच कैसे बिगड़ते गए संबंध?

सन 1979 की ईरानी क्रांति में पहलवी राजवंश, जो कि अमेरिका से जुड़ा हुआ था, को उखाड़ फेंका गया था. इसके बाद अयातुल्ला रुहोल्लाह खुमैनी के नेतृत्व में एक धार्मिक सत्ता व्यवस्था अस्तित्व में आई. खुमैनी ने अमेरिका को बड़ा शैतान बताया और ईरान के साथ अमेरिका के संबंधों में 180 डिग्री का बदलाव आ गया. खुमैनी ने ईरान के अंतिम सम्राट मोहम्मद रज़ा पहलवी का समर्थन करने, अमेरिका के साथ घनिष्ठ संबंध होने और इजरायल-फिलिस्तीन तनाव को लेकर इजरायल के लिए "छोटा शैतान" के विशेषण का उपयोग किया.

तेहरान और तेल अवीव के बीच बढ़ती दुश्मनी के बीच खुमैनी ने इजरायल पर ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को विफल करने के प्रयासों का भी आरोप लगाया.

पिछले दशकों में तेहरान और तेल अवीव, दोनों ने ही एक-दूसरे पर हमले किए, लेकिन इस तरह के हमलों में अपना हाथ होने से इनकार किया. उनके बीच वर्षों से जारी इस संघर्ष को "शेडो वार" कहा गया है.

इस छाया युद्ध (Shadow War) के बीच लेबनान और सीरिया दो युद्धक्षेत्र बनकर उभरे. ईरान ने हिजबुल्लाह का समर्थन किया, जो लेबनान से इजराइल को निशाना बना रहा है. तेहरान ने सीरिया में वहां के राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन किया, क्योंकि इजरायल ने सीरियाई क्षेत्र में हवाई हमले किए. सीरिया का गोलान हाइट्स एक ऐसा इलाका है जिस पर 1967 के युद्ध के बाद इजरायल ने कब्ज़ा कर लिया था. तेल अवीव की ओर से इस इलाके का उपयोग सीरिया और लेबनान पर हमलों के लिए किया जाता है.

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हमास का इजराइल पर हमला

पिछले साल सात अक्टूबर को हमास के गुर्गों ने इजरायल के शहरों पर अचानक हमला किया. इसमें 1200 से अधिक लोग मारे गए और 200 से अधिक लोगों को बंधक बना लिया गया. ईरान ने सार्वजनिक टिप्पणियों में हमास के हमले में अपनी किसी भी भूमिका से इनकार किया, लेकिन साथ ही उसने इजरायली शहरों पर हमले का स्वागत किया. रिपोर्टों के अनुसार, तेहरान के प्रमुख चौराहों पर "महान मुक्ति शुरू हो गई" जैसे संदेश देने वाले पोस्टर लग गए हैं. विभिन्न मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि ईरान ने इजरायल के शहरों पर हमले की योजना बनाने और उसे अंजाम देने में हमास के गुर्गों को सक्रिय रूप से समर्थन दिया था.

सात अक्टूबर के हमलों के बाद तेल अवीव से भीषण जवाबी हमले शुरू कर दिए गए. गाजा पट्टी पर चौतरफा हमले किए गए. संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक इजरायल की जवाबी कार्रवाई में अब तक 33,000 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं. हिजबुल्लाह ने लेबनान से इजरायल पर रॉकेटों की बौछार करके एक और मोर्चा खोल दिया है.

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दमिश्क पर हवाई हमले से भड़की चिंगारी  

एक अप्रैल को संदिग्ध इजरायली युद्धक विमानों ने सीरिया में ईरान के दूतावास पर बमबारी की. तेहरान ने कहा कि हमले में वरिष्ठ कमांडरों सहित सात सैन्य सलाहकार मारे गए. सीरिया के विदेश मंत्री फैसल मेकदाद ने कहा, "हम इस नृशंस आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं जिसमें  दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास की इमारत को निशाना बनाया गया और कई निर्दोष लोगों की जान ले ली गई."

हमले के बारे में पूछे जाने पर एक इजरायली सैन्य प्रवक्ता ने कहा, "हम विदेशी मीडिया में रिपोर्टों पर टिप्पणी नहीं करते हैं."

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ईरान में संयुक्त राष्ट्र मिशन ने इस हमले को "संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और डिप्लोमेटिक और कांसुलर परिसर में हिंसा के मूलभूत सिद्धांत का घोर उल्लंघन" बताया. मिशन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से हमले की निंदा करने का आग्रह किया और कहा कि तेहरान "निर्णायक प्रतिक्रिया देने का" अधिकार सुरक्षित रखता है.

हिजबुल्लाह ने भी जवाबी कार्रवाई करने का प्रण लिया और कहा, "बदला लिए बिना और दुश्मन को सजा दिए बिना यह अपराध खत्म नहीं होगा."

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आक्रामक ड्रोन हमले

कल रात में ईरान ने इजरायल को निशाना बनाकर ड्रोन और मिसाइलों की बौछार कर दी. ईरानी सेना ने कहा कि उसके ड्रोन और मिसाइलों ने "अपने सभी लक्ष्य पूरे कर लिए हैं." समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरानी सशस्त्र बलों के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बघेरी ने स्टेट टीवी को बताया, "ऑपरेशन ऑनेस्ट प्रॉमिस... कल रात से आज सुबह तक सफलतापूर्वक पूरा हुआ और इसने अपने सभी उद्देश्य पूरे कर लिए."

इजरायली रक्षा बलों ने कहा कि अधिकांश ड्रोन और मिसाइलों को आयरन डोम और एरो एरियल डिफेंस सिस्टम के जरिए सफलतापूर्वक रोक दिया गया. इजरायली सैन्य प्रवक्ता डेनियल हगारी ने कहा, "हमने इजरायल के क्षेत्र में आने वाले 99 प्रतिशत खतरों को रोक दिया. यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण रणनीतिक सफलता है."

रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के सहयोगी सीरिया ने कहा है कि उसकी जमीन से हवा में मार करने वाली रक्षा प्रणालियां और प्रमुख ठिकाने हाई अलर्ट पर हैं.

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