इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग में अब अमेरिका भी शामिल हो गया है. अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी सेना ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान में ईरान की परमाणु सुविधाओं पर 'बहुत सफल' हमले किए हैं. इससे पहले, ईरान ने इजरायल की ओर दर्जनों ड्रोन लॉन्च किए थे. अमेरिकी हमलों के बाद ईरान क परमाणु एजेंसी की तरफ से एक बयान जारी किया गया है.
'कानून के खिलाफ हैं हमले'
ईरानी परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने अमेरिकी हमलों को कानून के खिलाफ बताया है. एजेंसी की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है, 'पिछले कुछ दिनों में जायोनी दुश्मन की तरफ से किए गए क्रूर हमलों के बाद, आज सुबह इस्लामी ईरान के दुश्मनों द्वारा फोर्डो, नतांज और इस्फहान में देश के परमाणु स्थलों पर हमला किया गया, जो अंतरराष्ट्रीय कानून, खासतौर पर परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का उल्लंघन करता है.' एजेंसी ने हमलों के बाद स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह का कोई लीक नहीं हुआ है और इन स्थलों के करीब रह रहे निवासियों के लिए कोई खतरा नहीं है. साथ ही सुरक्षा स्थिर स्थिति में है.
एजेंसी ने आगे कहा, 'यह कार्रवाई, जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करती है, दुर्भाग्य से अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की उदासीनता और यहां तक कि मिलीभगत के बीच हुई है. अमेरिकी दुश्मन ने साइबरस्पेस के माध्यम से उपरोक्त स्थलों पर हमले की जिम्मेदारी ली जो सुरक्षा समझौते और एनपीटी के आधार पर आईएईए की निरंतर निगरानी में हैं.'
परमाणु अड्डे 'राष्ट्रीय उद्योग'
ईरान की परमाणु एजेंसी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से उम्मीद जताई है कि वह जंगल के कानून की अराजकता की निंदा करे और ईरान को उसके वैध अधिकारों को प्राप्त करने में समर्थन दे. एजेंसी का कहना है कि ईरान का परमाणु ऊर्जा संगठन 'महान' ईरानी राष्ट्र को भरोसा दिलाता है कि अपने दुश्मनों की नापाक साजिशों के बावजूद, अपने हजारों क्रांतिकारी और उत्साही वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के प्रयासों से, वह इस 'नेशनल इंडस्ट्री' के विकास को, जो परमाणु शहीदों के खून का फल है, रुकने नहीं देगा.
वहीं इस्लामिक सलाहकार सभा के अध्यक्ष के सलाहकार महदी मोहम्मदी ने कहा है कि ईरान के नजरिये से कुछ भी असाधारण नहीं हुआ है. ईरान पिछली कई रातों से फोर्डो साइट पर हमले की आशंका जता रहा था. कुछ समय पहले ही साइट को खाली करा लिया गया था. अगर हमला हुआ भी तो उसे कोई नुकसान नहीं होगा.
ट्रंप ने की शांति की बात
हमलों के बाद ट्रंप ने तीन मिनट का एक संबोधन देश के नाम दिया. इसमें उन्होंने कहा कि हमलों का मकसद ईरान की 'परमाणु संवर्धन क्षमता को रोकना और दुनिया में आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले नंबर एक देश की तरफ से पैदा हुए परमाणु खतरे पर लगाम लगाना था'. साथ ही ट्रंप ने चेतावनी भी दी कि अगर शांति जल्दी नहीं आती है, तो हम सटीकता, गति और कौशल के साथ उन अन्य लक्ष्यों पर हमला करेंगे.'